मुंबई. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के परिजनों ने पटना मेें उनकी अस्थियां विसर्जित कर दी हैं। उन्होंने 14 जून को मुंबई में खुदकुशी कर ली थी। 15 जून को विले पार्ले श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया था। लॉकडाउन के चलते उनकी बॉडी को पटना ले जाने की इजाजत नहीं दी गई थी।
एक और करीबी मुकेश छाबड़ा से पूछताछ हुई
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले में पुलिस लगातार उनके करीबियों से पूछताछ कर रही है। गुरुवार को उनकी फ्रेंड और अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को पुलिस ने पूछताछ के लिए बांद्रा पुलिस स्टेशन बुलाया है। कहा जा रहा है कि रिया ही सुशांत के सबसे करीब थीं।
बुधवार को पुलिस ने कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा को बांद्रा पुलिस स्टेशन में बुलाया था। यहां उनसे करीब 7 घंटे तक पूछताछ हुई। मुकेश सुशांत के बहुत करीबी थे। उनके साथ फिल्म की थी। मुकेश से सुशांत की आदतों और उनके ड्रीम क्या थे- इन सबके बारे में बात हुई। मुकेश ने पुलिस को बताया कि सुशांत कभी उनसे निजी बातें शेयर नहीं करते थे। ना कभी इस बात का उन्हें एहसास हुआ कि सुशांत किसी डिप्रेशन में हैं।
सुशांत ने मरने से पहले नौकरों का फाइनल पेमेंट किया था
घर पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने पुलिस को बताया है कि सुशांत ने मौत से तीन दिन पहले उनके साथ काम करने वालों की फाइनल पेमेंट कर दी थी। साथ ही उन्होंने अपने कुछ उधार भी क्लियर कर दिए थे। उन्होंने नौकरों से कहा था कि वे अब आगे उन्हें पैसे नहीं दे पाएंगे। यह सुनकर वे थोड़ा निराश भी हुए थे।
सुशांत के घर से बरामद हुईं 5 डायरी
डीसीपी अभिषेक त्रिमुखे के मुताबिक, इस मामले में अब तक 10 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। सुशांत की फ्रेंड रिया चक्रवर्ती को बुधवार को समन दिया गया था। सूत्रों की मानें तो अभी तक की जांच में इंडस्ट्री की गुटबाजी को लेकर सुशांत के किसी करीबी ने कोई बयान नहीं दिया है। वहीं, सुशांत के घर की छानबीन से पता चला है कि उन्हें पढ़ने का बेहद शौक था। खासकर फिजिक्स में ज्यादा दिलचस्पी थी। उनके घरों से 5 डायरी मिली हैं। इसमें वह किताबों में पढ़े गए महत्वपूर्ण कोट को लिखा करते थे।
नगालैंड सरकार को डेढ़ करोड़ की मदद की थी
सुशांत के घर की छानबीन के दौरान पुलिस को कुछ ऐसे कागजात भी मिले हैं जिससे पता चलता है कि उन्होंने नगालैंड सरकार के मुख्यमंत्री राहत कोष में करीब डेढ़ करोड़ की मदद की थी। नगालैंड सरकार की तरफ से उनको जो थैंक्यू लेटर भेजा गया था, उससे इस बात की पुष्टि होती है कि वह समाजसेवा में भी सक्रिय थे।