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सरकार बचाने के लिए गहलोत का गेम प्लान / 2 डिप्टी सीएम, 7 मंत्री और 15 संसदीय सचिव बनाने की संभावना; एक डिप्टी सीएम गुर्जर समुदाय से हो सकता है, पद से हटने के बाद पायलट का पहला इंटरव्यू / भाजपा में शामिल नहीं हो रहा, 6 महीने से सिंधिया से नहीं मिला; राजद्रोह के आरोप के नोटिस से आत्मसम्मान को ठेस लगी

सचिन पायलट को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नाराज विधायकों को साधने में जुट गए हैं। सूत्रों के अनुसार, इसके लिए गहलोत 16 जुलाई के आसपास अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। -फाइल चर्चा है कि सरकार में टूट न हो इसके लिए गहलोत कुछ नाराज विधायकों को मंत्री बना सकते हैं गहलोत कुछ अपने खास मंत्रियों को इस्तीफा दिलाकर पायलट खेमे के विधायकों को मंत्री बना सकते हैं, सचिन पायलट ने कहा- मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गुस्सा नहीं हूं, न ही किसी तरह का पद या पावर चाहता हूं पायलट ने बताया- मैं भाजपा के किसी नेता से नहीं मिला हूं, करीब 6 महीने से ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी नहीं मिला

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जयपुर. सचिन पायलट को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नाराज विधायकों को साधने में जुट गए हैं। सूत्रों के अनुसार, इसके लिए गहलोत 16 जुलाई के आसपास अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। सरकार को टूटने से बचाने के लिए इसमें नाराज चल रहे विधायकों को जगह दी जा सकती हैं। इस बात की भी संभावना है कि कुछ मंत्रियों का इस्तीफा दिलाकर पायलट खेमे के विधायकाें को मंत्री बनाया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने मंगलवार शाम मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाई थी। इसके बाद से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। बताया जा रहा है कि गहलोत अब दो उप मुख्यमंत्री बना सकते हैं। सात नए चेहरों को भी मंत्री बनने का मौका मिल सकता है। इसके अलावा सरकार में 10 से 15 संसदीय सचिव भी बनाए जा सकते हैं।

पहले भी 2 डिप्टी सीएम का फॉर्मूला लागू कर चुके गहलोत
गहलोत अपनी पहले की सरकारों में भी दो डिप्टी सीएम का फार्मूला लागू कर चुके हैं। उनकी पहली सरकार में बनवारी लाल बैरवा एससी कोटे और कमला बेनीवाल जाट कोटे से डिप्टी सीएम रहीं थीं। चर्चा है कि पायलट के जाने से छिटक रहे गुर्जर समुदाय को साधने के लिए गहलोत किसी गुर्जर विधायक को डिप्टी सीएम बना सकते हैं। पायलट की बर्खास्तगी के बाद अलवर, टोंक सहित कई जिलों में उनके समर्थक सड़क पर उतर आए थे।

डिप्टी सीएम की दौड़ में चार नाम
इस बार ब्राह्मण, गुर्जर और एससी कैटेगरी के विधायकों में से किन्हीं दो को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। एससी कोटा से खिलाड़ी लाल बैरवा, गुर्जर कोटा से जितेंद्र सिंह या शकुंतला रावत और ब्राह्मण कोटा से महेश जोशी को मौका मिल सकता है। नए मंत्रिमंडल में नरेंद्र बुढ़ानियां, लाखन मीणा, जोगेंद्र अवाना, राजेंद्र गुढ़ा, राजकुमार शर्मा को मंत्री के रूप में जगह मिल सकती है। कुछ मंत्रियों का प्रोफाइल अपग्रेड भी होगा। तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग को शिक्षा का पूरा महकमा मिल सकता है।

राजद्रोह के आरोप के नोटिस से आत्मसम्मान को ठेस लगी:पायलट

जयपुर. राजस्थान में पिछले 5 दिन से चल रहे सियासी घमासान के बीच सचिन पायलट पहली बार सामने आए। उन्होंने न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा- मैं साफ कर दूं कि भाजपा में शामिल नहीं हो रहा हूं। मैं भाजपा के किसी नेता से नहीं मिला हूं। करीब छह महीने में सिंधिया से भी नहीं मिला हूं। मैं इस समय कह सकता हूं कि अपने लोगों के लिए काम करना जारी रखूंगा। पायलट ने कहा कि राज्य पुलिस ने मुझे एक नोटिस दिया, जिसमें राजद्रोह के आरोप थे। जिससे मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची।

कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी से मेरी कोई बात नहीं हुई है। प्रियंका गांधी जी ने मुझसे फोन पर बात की थी, यह एक व्यक्तिगत बातचीत थी।

हम राजद्रोह कानून के विरोधी, यह मेरे खिलाफ ही इस्तेमाल किया गया

पायलट ने कहा कि यदि आपको 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी का मैनीफेस्टो याद है, तो हमने ड्रैकियन राजद्रोह कानून का खंडन करने की बात की थी। यहां कांग्रेस सरकार अपने ही मंत्री के खिलाफ इसे इस्तेमाल कर रही थी। मेरा कदम अन्याय के खिलाफ एक आवाज थी।

मैं किसी तरह की पावर नहीं चाहता

मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गुस्सा नहीं हूं, न ही किसी तरह का पद या पावर चाहता हूं। हमने अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाई। वसुंधरा राजे सरकार पर अवैध खनन की लीज को खत्म करने का दबाव बनाया। वहीं, सत्ता में आने के बाद मैं चाहता था कि चुनावों में जनता से किए गए वादे पूरे किए जाएं, लेकिन गहलोत जी ने कुछ नहीं किया है। वे भी उसी रास्ते पर चल दिए।

मुझे राजस्थान के विकास का काम करने की इजाजत नहीं थीपायलट ने कहा मुझे और मेरे साथ कार्यकर्ताओं को राजस्थान के विकास के लिए काम करने की अनुमति नहीं दी। अधिकारियों को मेरे निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए कहा गया था, फाइलें मेरे पास नहीं भेजी गईं। कैबिनेट की बैठकें महीनों तक नहीं होती थीं। ऐसे पद का क्या मतलब जहां बैठकर में जनता से किए वादे पूरे नहीं कर सकता? इसके बारे में कई बार अविनाश पांडे और पार्टी के बड़े नेताओं को भी जानकारी दी, गहलोत जी से भी बात की, लेकिन बैठकें ही नहीं होती थीं।

 

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