Newsportal

वैज्ञानिकों ने संक्रमण से बचने के लिए फोर-C फॉर्मूला दिया, जिंदगी को आसान और सुरक्षित बनाना है तो इन बातों को अभी से अपनाएं

0 72

रॉनी कैरिन रैबिन. जब देश में लॉकडाउन चल रहा था तो कई नियम बिल्कुल साफ थे। जैसे- जरूरी लोग ही बाहर निकलेंगे, सभी गैर जरूरी दुकानें बंद रहेंगी, ऑनलाइन डिलीवरी नहीं होगी। अब देश अनलॉक के दौर में है तो परेशानियां ज्यादा बढ़ती नजर आ रही हैं। आने वाला वक्त कई मायनों में और मुश्किलों से भरा होने वाला है। ऐसे में हमें सरकार, डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों की सलाह को अमल में लाने की आदत डालनी होगी, ताकि जिंदगी आसान और सुरक्षित हो सके।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे वक्त में हम ‘फोर C’ फॉर्मूले को अपनाकर संक्रमण से बच सकते हैं। फोर-C का मतलब-  ‘कॉन्टेक्ट, कन्फाइन्मेंट, क्राउड, चॉइस’ है। इसके जरिए हम न सिर्फ खुद को, बल्कि सोसाइटी को भी सुरक्षित रख सकते हैं।

  • कॉन्टैक्ट (संपर्क)

अब आपको अपने काम मास्क लगाकर, सोशल डिस्टेंसिंग और बार-बार हाथ धोने जैसी सावधानियों के साथ करना है। कोशिश करें कि जिन सार्वजनिक जगहों पर आप जा रहे हैं, वहां सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हों। यह वायरस इंसान से इंसान में फैलता है, लेकिन सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन(सीडीसी) टेबल, लाइट स्विच, हैंडल्स, फोन जैसी सतहों की लगातार सफाई की सलाह देते हैं।

स्कॉटलैंड में यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट एंड्रयुज स्कूल ऑफ मेडिसिन में वायरोलॉजी और इंफेक्शियस डिसीज के एक्सपर्ट डॉक्टर मुगे सेविक बताते हैं कि 6 फीट के अंदर 2 लोगों के बीच हुई 15 मिनट की बातचीत को क्लोज कॉन्टैक्ट माना जाता है। जितने नजदीक जाकर देर तक बातचीत होगी, उतना संक्रमण का जोखिम बढ़ेगा।

  • कन्फाइनमेंट (बंद होना)

बंद जगहों पर इंडोर एक्टिविटीज वायरस फैलाने का काम करती हैं। खासकर, तब जब बिल्डिंग के अंदर की हवा बाहर न जा पाए या खिड़कियां बंद हों। कुछ एक्सपर्ट्स ने बंद सार्वजनिक जगहों पर जैसे- ऑफिस, इंडोर रेस्टोरेंट्स में सेफ्टी को लेकर सवाल उठाए हैं।

डॉक्टर सेविक के मुताबिक, जहां हवा रुकी हुई होगी, वहां वायरस के ड्रॉपलेट्स उम्मीद से ज्यादा देर तक रह सकते हैं। इससे सतह ज्यादा दूषित होंगी। ताजी हवा वायरस के साथ घुल जाती हैं। इसलिए जब आप अच्छे एयर फ्लो या खिड़की के पास होंगे तो आपका अपर रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट वायरस के संपर्क में कम आएगा।

अमेरिका में खुल रहे बिजनेस की जगहों के लिए हाल ही में सीडीसी ने गाइडलाइंस जारी की हैं। इसमें उनसे वेंटिलेशन सिस्टम दुरुस्त रखने के लिए कहा है। सीडीसी ने बाहर की हवा के फ्लो को बढ़ाने के लिए उपाय करने के भी निर्देश दिए हैं।

  • क्राउड (भीड़)

बड़े समूह में जोखिम ज्यादा होता है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि लोग कहां इकट्ठे हुए हैं। भीड़ का मतलब है ज्यादा लोग, ज्यादा संपर्क और संक्रमण होने के ज्यादा चांसेज। आखिरकार संक्रमण से बचना नंबर का खेल है, जहां कम ज्यादा होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर में इंफेक्शियस डिसीज की एक्सपर्ट डॉक्टर बार्बरा टेलर बताती हैं कि यह सोचने का बेहद अलग तरीका है, जिसकी दुनिया के अधिकांश लोगों को आदत नहीं है।

टेलर कहती हैं कि किसी जगह पर लोगों की संख्या बहुत मायने रखाती है। आप एक माहौल तैयार कर सकते हैं, जहां सभी लोग 6 फीट की दूरी पर होंगे। लेकिन अगर कहीं 500 लोग जमा हैं तो 30 लोगों की भीड़ की तुलना में यह काफी जोखिम भरा होगा।

  • चॉइस (पसंद)

हर व्यक्ति को अपने लिए फैसला लेना होगा कि वो कितने जोखिम के साथ कंफर्टेबल है। ज्यादा जोखिम वाले लोग अपने लिए ज्यादा प्रीकॉशन्स लेना चाहेंगे। इस ग्रुप में 65 साल और इससे ज्यादा उम्र के लोग, कम इम्युनिटी वाले, फेंफड़ों और किडनी की बीमारी से जूझ रहे लोग शामिल होते हैं। डॉक्टर टेलर कहती हैं कि युवा और बच्चों को भी अपने आसपास के लोगों की सुरक्षा के बारे में विचार करना चाहिए।

Leave A Reply

Your email address will not be published.