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लॉकडाउन के बाद की जिंदगी / मंदिरों में दर्शन के लिए होंगे टाइम स्लॉट, चरणामृत और प्रसाद बांटने पर भी हो सकती है रोक

कर्नाटक में सरकार कर रही है मंदिरों के लिए नए नियमों पर विचार आंध्रप्रदेश में तिरुपति सहित सारे बड़े मंदिरों में दर्शन के समय आधार कार्ड हो सकता अनिवार्य

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भोपाल. लॉकडाउन फेज-4 सोमवार, 18 मई से शुरू होगा। हालांकि, फिलहाल मंदिरों को बंद ही रखा जाएगा लेकिन राज्य सरकारें और देशभर के मंदिर प्रशासन इस बात पर विचार कर रहे हैं कि लॉकडाउन पूरी तरह से खुलने के बाद की व्यवस्थाएं कैसी होनी चाहिए। इसकी शुरुआत कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों ने कर भी दी है है।

आंध्रप्रदेश में सरकारी निर्देश जारी हो चुका है कि लॉकडाउन के बाद मंदिरों में दर्शन के लिए लोगों को आधार कार्ड लाना जरूरी होगा। कर्नाटक सरकार राज्य के लगभग साढ़े तीन हजार मंदिरों में चरणामृत और प्रसाद वितरण जैसी व्यवस्था पर अस्थायी रुप से रोक लगाने पर विचार कर रही है। ज्यादातर मंदिरों में भगवान के दर्शन दूर से ही होंगे। गर्भगृहों में जाने पर रोक लग सकती है।

आंध्रप्रदेश के बंदोबस्ती विभाग ने निर्देश जारी किए हैं कि मंदिर सुबह 6 से शाम 6 के बीच टाइम स्लॉट के हिसाब से श्रद्धालुओं को एसएमएस से दर्शन का समय दें। यात्री को अपनी पहचान के लिए आधार कार्ड लाना जरूरी होगा और एक घंटे में अधिकतम 250 लोग दर्शन कर सकेंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखना होगा।

दर्शन के लिए टाइमस्लॉट एक दिन पहले शाम को ही तय कर दिए जाएंगे। इसका अर्थ है कि तिरुपति, श्रीशैलम जैसे मंदिरों में दर्शन के लिए यात्रियों को एक दिन पहले या ऑनलाइन अनुमति लेना होगी। हालांकि, इस निर्देश पर अभी मंदिरों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

तिरुपति मंदिर में फिलहाल भी कर्मचारियों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की शर्तों को लागू किया गया है। सेनेटाइजर और मास्क अनिवार्य किया गया है।
  • तिरुपति में कर्मचारियों के साथ दर्शन की रिहर्सल

तिरुपति मंदिर में लॉकडाउन खत्म होने के बाद दर्शन की व्यवस्था कैसी होगी इसे लेकर जल्दी ही तैयारी शुरू कर सकता है। मंदिर में दर्शन शुरू होने के पहले इसकी रिहर्सल करने पर विचार किया जा रहा है। मंदिर के कर्मचारियों और लोकल लोगों की मदद से इसे किया जाएगा। मंदिर प्रशासन लॉकडाउन खुलने के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने को लेकर पूरी योजना बना रहा है।

  • क्या बदल सकता है मंदिरों में 

मंदिरों में परंपराएं कुछ महीनों के लिए बदल सकती हैं। जैसे-
1. मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा लाए गए हार-फूल और प्रसाद पर रोक लग सकती है।
2. मंदिर के पुजारियों की सुरक्षा के लिए चरणामृत और प्रसाद वितरण रोका जा सकता है क्योंकि उन्हें भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।
3. मंदिरों के गर्भगृहों में प्रवेश रोका जा सकता है, क्योंकि वहां जगह कम होती है और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो सकता।
4. लंबी कतारों में दर्शन करवाने की व्यवस्था भी नहीं रहेगी।
5. मंदिरों में मिलने वाले अन्न प्रसाद आदि की व्यवस्थाओं में भी बदलाव होगा।
6. मंदिरों की सवारी और पालकियों पर भी कुछ समय रोक लग सकती है।

चर्च में होने वाली प्रेयर्स में अगले कुछ महीनों खासा असर दिखाई देगा। संडे की प्रेयर में कम से कम लोगों के आने या सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आयोजन किया जाएगा। 
  • चर्च की संडे प्रेयर्स में भी दिखेगा बदलाव

चर्च में होने वाली संडे प्रेयर्स में भी बदलाव दिखने वाला है। केरल सहित कई जगहों पर इसकी तैयारी की जा रही है। रविवार की प्रार्थना में काफी लोग रहते हैं। इससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुश्किल होगा। केरल के कुछ चर्च विवाह समारोह आदि में भी ज्यादा भीड़ न आए इसको लेकर योजना बना रहे है।

गोल्डन टैम्पल अमृतसर में भी लॉकडाउन के दौरान लंगर व्यवस्था पर खासा प्रभाव देखा गया। हाल ही में एक पर्व में यहां गिनती के लोग ही शामिल हो पाए। 
  • गुरुद्वारों की लंगर व्यवस्था में बदलाव भी की संभावना

सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का प्रभाव अमृतसर के गोल्डन टेंपल से लेकर पटना साहिब तक पड़ने वाला है। लंगर में बैठने की व्यवस्था को लेकर गुरुद्वारा समितियों को विचार करना होगा। इसके साथ ही यहां होने वाले अरदास सहित अन्य उत्सवों में भी सोशल डिस्टेसिंग को लेकर ध्यान रखना होगा।

  • जिनालयों पर भी होगा असर 

जैन मुनियों के विहार में होने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ और मंदिरों में होने वाले उत्सव समारोह पर असर पड़ सकता है। कुछ जगहों पर संतों के विहार के समय निर्धारित संख्या में लोगों की उपस्थिति और चातुर्मास जैसे आयोजनों में भी लोगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का नियम बनाया जा रहा है।

  • बौद्ध उत्सवों में कम से कम लोग होंगे शामिल 

बौद्ध धर्म से जुड़े अधिकतर उत्सवों में कम से कम लोगों को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि हाल ही में 7 मई को बुद्ध पूर्णिमा पर लुंबिनी, सारनाथ और बोधगया जैसे तीर्थों में भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव मात्र 10-10 लोगों की उपस्थिति में मनाया गया। इसी तरह की व्यवस्था आने वाले समय में भी लागू रह सकती है। कोरोना वायरस के चलते ज्यादातर उत्सव और पब्लिक गैदरिंग वाले कार्यक्रमों को थोड़े समय के लिए टाला जा रहा है।

 

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