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रेलवे ने प्राइवेट ट्रेनों की टाइमलाइन तय की:2023 में पहला सेट आएगा, इसमें 12 ट्रेनें होंगी; 2027 तक सभी 151 गाड़ियां चलने लगेंगी

मेड इन इंडिया होंगी सभी ट्रेनें, रेलवे को 30 हजार करोड़ के निवेश की उम्मीद प्राइवेट ट्रेनें चलाने के लिए रिक्वेस्ट फॉर क्वालीफिकेशन प्रोसेस नवंबर तक पूरी हो जाएगी

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अभी तेजस एक्सप्रेस के नाम से देश में प्राइवेट ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इन ट्रेनों का संचालन आईआरसीटीसी की ओर से किया जाता है। (सिंबॉलिक फोटो)

 

रेलवे ने प्राइवेट सेक्टर की मदद से चलाई जाने वाले ट्रेनों के लिए टाइमलाइन तय कर दी है। इसके मुताबिक, 2023 में प्राइवेट ट्रेनों का पहला सेट आएगा। इसमें 12 ट्रेनें होंगी। रेलवे के मुताबिक, सभी 151 ट्रेनों को 2027 तक पेश कर दिया जाएगा।

क्या है योजना?
रेलवे ने अपने नेटवर्क पर प्राइवेट पैसेंजर ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है। इसके तहत 151 मॉडर्न पैसेंजर ट्रेनें चलाने के लिए प्राइवेट सेक्टर से प्रस्ताव मांगे हैं। प्राइवेट ट्रेनें 109 जोड़ी रूट पर चलाई जाएंगी। इन ट्रेनों को चलाने के लिए प्राइवेट कंपनियों की ओर से शुरुआत में करीब 30 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।

ऐसे लॉन्च की जाएंगी प्राइवेट ट्रेनें

वित्त वर्ष         ट्रेनों की संख्या
2022-23 12
2023-2024 45
2025-26 50
2026-2027 44
कुल ट्रेनें 151

नवंबर तक फाइनल हो जाएगा आरएफएक्यू
प्राइवेट ट्रेनें चलाने के लिए भारतीय रेलवे ने 8 जुलाई को रिक्वेस्ट फॉर क्वालीफिकेशन (आरएफक्यू) के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसके नवंबर तक फाइनल होने की उम्मीद है। रेलवे की ओर से तय की गई टाइमलाइन के मुताबिक, फाइनेंशियल बिड मार्च 2021 में खोली जाएगी और 31 अप्रैल 2021 तक सफल आवेदक चुन लिए जाएंगे। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, सबसे ज्यादा ऐवरेज रेवेन्यू देने वालों को इस प्रोजेक्ट के लिए चुना जाएगा।

ट्रेनें भारत में ही बनेंगी
रेलवे ने कहा है कि 70 फीसदी प्राइवेट ट्रेनें भारत में तैयार की जाएंगी। इन ट्रेनों को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की मैक्सिमम स्पीड के हिसाब से बनाया जाएगा। 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से यात्रा में 10% से 15% कम समय लगेगा, जबकि 160 किलोमीटर की स्पीड से 30% समय बचेगा। इनकी स्पीड मौजूदा समय में रेलवे की ओर से चलाई जा रहीं सबसे तेज ट्रेनों से भी ज्यादा होगी। हर ट्रेन में 16 कोच होंगे।

आरएफक्यू के मुताबिक, प्राइवेट कंपनियों को रेलवे को वास्तविक खपत के आधार पर फिक्स्ड हौलेज चार्ज, एनर्जी चार्ज देना होगा। इसके अलावा रेवेन्यू का बंटवारा तय शेयर के मुताबिक होगा। रेलवे को इन 151 ट्रेनों से सालाना 3000 करोड़ रुपए का हौलेज चार्ज मिलने की उम्मीद है। इन ट्रेनों में ड्राइवर और गार्ड भारतीय रेलवे की ओर से अपॉइंट किए जाएंगे। प्राइवेट ट्रेनों का ऑपरेशन और मेंटेनेंस भारतीय रेलवे के हिसाब से होगा।

अभी तेजस एक्सप्रेस के नाम से चल रही हैं प्राइवेट ट्रेनें
ये प्राइवेट ट्रेनें दिल्ली-लखनऊ और मुंबई-अहमदाबाद रूट पर चलाई जा रही हैं। इनका संचालन रेलवे की सब्सिडियरी आईआरसीटीसी की ओर से किया जा रहा है।

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