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राजस्थान में गहलोत vs पायलट the End / सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए, दो अन्य मंत्रियों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा से भी पद छीना, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल से मिलने पहुंचे

जयपुर में 2 दिन में 2 बार विधायक दल की बैठक हुई, सचिन पायलट और उनके विधायक नहीं पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का 109 विधायक होने का दावा, कहा- सरकार को खतरा नहीं पायलट खेमे ने कहा- हमारे पास 30 से ज्यादा विधायक, सरकार बहुमत साबित करे, सचिन की जगह गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष बनाया गया है।उधर, गणेश गोगरा विधायक को प्रांत युवा कांग्रेस का और हेम सिंह शेखावत को प्रदेश सेवा दल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

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जयपुर. सचिन पायलट के लिए कांग्रेस के दरवाजे अब बंद हो गए हैं। तीन दिन से उन्हें मनाने की तमाम कोशिशें फेल होने के बाद आखिरकार पार्टी ने एक्शन ले लिया। सचिन को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। इसके अलावा, उनके समर्थक मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा से मंत्री पद छीन लिया है। सचिन की जगह गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष बनाया गया है।उधर, गणेश गोगरा विधायक को प्रांत युवा कांग्रेस का और हेम सिंह शेखावत को प्रदेश सेवा दल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

विधायक दल की बैठक के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘भाजपा ने राजस्थान की बहादुर जनता द्वारा चुनी गई कांग्रेस सरकार को अस्थिर कर गिराने की साजिश की है। भाजपा ने धनबल और सत्ताबल के दुरुपयोग से, ईडी और इनकम टैक्स विभाग के दुरुपयोग से कांग्रेस और स्वतंत्र विधायकों को खरीदने की कोशिश का जुर्म किया है।’

उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में, कांग्रेस के नेताओं ने पायलट और दूसरे साथी मंत्रियों और विधायकों से लगातार संपर्क करने की कोशिश की। केसी वेणुगोपाल ने कई बार पायलट से बात की।’

आज भी पायलट का इंतजार किया, बैठक एक घंटे टाली
कल दिन भर सियासी ड्रामा चलता रहा। आज भी हालात वैसे ही बने। विधायक दल की बैठक सुबह 10:30 बजे होनी थी, लेकिन यह एक घंटे देरी से 11:30 बजे शुरू हुई। बगावत पर उतरे पायलट और उनके समर्थक विधायकों का इंतजार किया गया। इससे पहले पायलट को इस बैठक के लिए न्योता भेजा गया था। हालांकि, पायलट खेमे ने फिर आने से इनकार कर दिया।

अपडेट्स

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल से मिलने के लिए रवाना हुए।
  • भाजपा नेता ओम माथुर ने कहा- सचिन पायलट के लिए पार्टी के द्वार खुले। उनका स्वागत है।
  • सूत्रों के मुताबिक, सचिन पायलट अब गहलोत के साथ काम नहीं करना चाहते। उन्होंने अपनी यह मंशा कांग्रेस के सीनियर नेताओं के साथ बातचीत में जाहिर की है।
  • राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने मंगलवार सुबह विधायक दल की बैठ्क के पहले कहा कि हम सचिन पायलट को दूसरा मौका दे रहे हैं, उनसे आज की विधायक दल की बैठक में भाग लेने के लिए कहा। मुझे उम्मीद है कि आज सभी विधायक आएंगे और नेतृत्व को एकजुटता देंगे, जिसके लिए राजस्थान के लोगों ने मतदान किया, हम सभी राज्य के विकास के लिए काम करना चाहते हैं।
  • राज्य के खाद्य और आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, ‘वे इस संकट में सचिन पायलट के साथ खड़े हैं।’
  • राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा, ‘कांग्रेस दावा कर रही है कि उनके नेता एकजुट हैं, लेकिन यह साफ है कि उनके बीच आंतरिक विवाद है। इसलिए सचिन पायलट पार्टी छोड़ रहे हैं। अभी हमने फ्लोर टेस्ट की मांग नहीं की है।

बैठक में 22 विधायक नहीं पहुंचे
कांग्रेस विधायक: सचिन पायलट, रमेश मीणा, इंद्राज गुर्जर, गजराज खटाना, राकेश पारीक, मुरारी मीणा, पीआर मीणा, सुरेश मोदी, भंवर लाल शर्मा, वेदप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, हरीश मीणा, बृजेन्द्र ओला, हेमाराम चौधरी, विश्वेन्द्र सिंह, अमर सिंह, दीपेंद्र सिंह और गजेंद्र शक्तावत।
निर्दलीय विधायक: सुरेश टांक, ओम प्रकाश और खुशवीर सिंह जोजावर।

गहलोत ने अपने विधायकों की परेड कराई थी
इससे पहले, सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने विधायकों की परेड कराई थी। इस दौरान, उन्होंने कहा कि हमारे पास बहुमत (101 विधायक) से ज्यादा 109 एमएलए हैं। वहीं, पायलट ने सोमवार शाम अपने विधायकों का वीडियो जारी किया। कहा कि उनके पास 19 विधायक हैं। हालांकि, वीडियो में 17 विधायक नजर आए। खेमे ने कहा कि गहलोत सरकार अल्पमत में है। फ्लोर टेस्ट कराए। गहलोत खेमे के विधायक जयपुर के पास कूकस के फेयर माउंट होटल में ठहरे हैं। वहीं, पायलट खेमे के विधायक हरियाणा के मानेसर में रुके हैं।

राहुल, प्रियंका ने संपर्क साधा, लेकिन पायलट समझौते के लिए राजी नहीं

कांग्रेस पायलट को मनाने में जुटी है। सोमवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा पी. चिदंबरम और केसी वेणुगोपाल ने उनसे संपर्क साधा था। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि पायलट समझौते को राजी नहीं हुए। उन्होंने राहुल गांधी के साथ मुलाकात से भी इनकार कर दिया। हालांकि, सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि पायलट ने शीर्ष नेतृत्व के समक्ष चार शर्तें रखी हैं। इनमें कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का पद बरकरार रखने के अलावा गृह और वित्त विभाग दिए जाने की मांग भी शामिल है। उधर, पायलट सीधे कुछ बोलने और ट्‌वीट करने के बजाय करीबियों से बयान दिला रहे हैं, ताकि पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उन पर कोई कार्रवाई न हो सके।

राजस्थान विधानसभा की मौजूदा स्थिति: कुल सीटें: 200

पार्टी विधायकों की संख्या
कांग्रेस 107
भाजपा 72
निर्दलीय 13
आरएलपी 3
बीटीपी 2
लेफ्ट 2
आरएलडी  1

राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं। सरकार को 13 में से 10 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है। लिहाजा गहलोत के पास 118 विधायकों का समर्थन है। उधर, भाजपा के पास 72 विधायक हैं। बहुमत जुटाने के लिए कम से कम 29 विधायक चाहिए।

 

 

राजस्थान में आखिर क्यों बिगड़ी बात? / पायलट को मनाने की कोशिश की गई, लेकिन वे गहलोत की लीडरशिप में काम करने को तैयार नहीं थे

  • राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच आखिरकार सुलह नहीं हो पाई। पायलट और उनके समर्थक दो मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच आखिरकार सुलह नहीं हो पाई। पायलट और उनके समर्थक दो मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
  • राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, अहमद पटेल, पी चिदंबरम और केसी वेणुगोपाल ने कई बार सचिन पायलट से बात की
  • पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री पद से कम पर राजी नहीं थे, इसके बाद आलाकमान ने कार्रवाई का मन बना लिया

जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच आखिरकार सुलह नहीं हो पाई। मंगलवार को पायलट दूसरी बार विधायकों की बैठक में नहीं पहुंचे। इसके बाद बैठक में पायलट को पार्टी से बाहर करने का प्रस्ताव पास किया गया। पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। उनके 2 समर्थकों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी मंत्री पद हटा दिया गया।

दरअसल, पायलट अब गहलोत के साथ काम करने को राजी नहीं थे। यह बात उन्होंने आलाकमान से स्पष्ट कर दी थी। वहीं, दूसरी तरफ वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, अहमद पटेल, पी चिदंबरम और केसी वेणुगोपाल ने कई बार सचिन पायलट से बात की। उन्हें मनाने की कोशिश की थी। लेकिन, पायलट पीछे हटने को तैयार नहीं थे। इसके बाद सोमवार देर रात पायलट के खिलाफ कार्रवाई की रूपरेखा तैयार हो गई थी।

पायलट मुख्यमंत्री पद से कम पर राजी नहीं थे
अभी तक के घटनाक्रम में पायलट और गहलोत ने एक दूसरे का नाम लेकर कोई आरोप नहीं लगाया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पायलट से बात करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन गहलोत के साथ काम करने को तैयार नहीं थे। वे मुख्यमंत्री पद से कम में तैयार नहीं थे। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस लीडरशिप गहलोत को हटाने को राजी नहीं है। इसके बाद सुलह की कोशिशों की बात बिगड़ गई।

इन मांगों पर सहमत था आलाकमान
चर्चा है कि कांग्रेस आलाकमान पायलट खेमे की कुछ मांगें मानने को तैयार था। जैसे पायलट समर्थकों को दिया गया एसओजी का नोटिस वापस लिया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष पद पर पायलट को बनाए रखने पर भी कांग्रेस राजी बताई जा रही थी। पायलट की नाराजगी की एक वजह यह भी बताई जाती थी कि गहलोत सरकार में एक और उपमुख्यमंत्री बनाने की सोच रहे हैं। सचिन को इस बात का भी आश्वासन दिया गया था कि दूसरा उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा।

पायलट बना सकते हैं नई पार्टी
दिल्ली में मौजूद सचिन पायलट अभी पूरी तरह अपने पत्ते नहीं खोल रहे थे। पहले उनके भाजपा में शामिल होने की खबर आई, लेकिन बाद में वे गलत साबित हुई। हालांकि, इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। इस बात के साफ संकेत नहीं मिले हैं कि पायलट पूरी तरह से भाजपा के साथ जाने को तैयार हैं। सवाल उठता है कि पायलट आगे क्या करेंगे? क्योंकि उन्होंने गहलोत के साथ काम करने से भी इनकार कर दिया है। पायलट के कुछ करीबियों का दावा है कि वह नई पार्टी बनाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

 

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