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राजस्थान में गहलोत vs पायलट / कांग्रेस विधायक दल की दो दिन में दूसरी बैठक थोड़ी देर में, पायलट को न्योता भेजा; प्रदेश कांग्रेस प्रभारी बोले- हम उन्हें दूसरा मौका दे रहे हैं

राजस्थान में गहलोत सरकार पर संकट पांचवें दिन मंगलवार को भी बरकरार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का 109 विधायक होने का दावा, कहा- सरकार को खतरा नहीं बगावत पर उतरे सचिन पायलट खेमे ने कहा- हमारे पास 30 से ज्यादा विधायक, सरकार बहुमत साबित करे

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जयपुर. राजस्थान में गहलोत सरकार पर संकट पांचवें दिन मंगलवार को भी बरकरार है। कल दिन भर सियासी ड्रामा चलता रहा। कांग्रेस ने इस मामले को निपटाने के लिए आज फिर विधायक दल की बैठक बुलाई है। इसमें बगावत पर उतरे उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को भी बुलाया गया है। हालांकि, सचिन खेमे से इसमें शामिल होने की अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है। उधर, खबर है कि प्रियंका गांधी इस बैठक में शामिल हो सकती हैं।

इससे पहले, सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने विधायकों की परेड कराई थी। इस दौरान, उन्होंने कहा कि हमारे पास बहुमत (101 विधायक) से ज्यादा 109 एमएलए हैं। वहीं, पायलट ने सोमवार शाम अपने विधायकों का वीडियो जारी किया। कहा कि उनके पास 19 विधायक हैं। हालांकि, वीडियो में 17 विधायक नजर आए। खेमे ने कहा कि गहलोत सरकार अल्पमत में है। फ्लोर टेस्ट कराए। गहलोत खेमे के विधायक जयपुर के पास कूकस के फेयर माउंट होटल में ठहरे हैं। वहीं, पायलट खेमे के विधायक हरियाणा के मानेसर में रुके हैं।

अपडेट्स

  • राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने मंगलवार सुबह कहा कि हम सचिन पायलट को दूसरा मौका दे रहे हैं, उनसे आज की विधायक दल की बैठक में भाग लेने के लिए कहा। मुझे उम्मीद है कि आज सभी विधायक आएंगे और नेतृत्व को एकजुटता देंगे, जिसके लिए राजस्थान के लोगों ने मतदान किया, हम सभी राज्य के विकास के लिए काम करना चाहते हैं।
  • राज्य के खाद्य और आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, ‘वे इस संकट में सचिन पायलट के साथ खड़े हैं।’

राहुल, प्रियंका ने संपर्क साधा, लेकिन पायलट समझौते के लिए राजी नहीं

कांग्रेस पायलट को मनाने में जुटी है। सोमवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा पी. चिदंबरम और केसी वेणुगोपाल ने उनसे संपर्क साधा था। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि पायलट समझौते को राजी नहीं हुए। उन्होंने राहुल गांधी के साथ मुलाकात से भी इनकार कर दिया। हालांकि, सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि पायलट ने शीर्ष नेतृत्व के समक्ष चार शर्तें रखी हैं। इनमें कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का पद बरकरार रखने के अलावा गृह और वित्त विभाग दिए जाने की मांग भी शामिल है। उधर, पायलट सीधे कुछ बोलने और ट्‌वीट करने के बजाय करीबियों से बयान दिला रहे हैं, ताकि पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उन पर कोई कार्रवाई न हो सके।

विधायक दल की बैठक से 19 नदारद
सीएम आवास पर सोमवार को दोपहर एक बजे विधायक दल की बैठक हुई थी। इसमें सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर मांग की गई कि बैठक में शामिल नहीं होने वाले विधायकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और बर्खास्त किया जाए। पायलट खेमे का दावा है कि विधायक दल की बैठक में जो 19 विधायक नहीं पहुंचे उनमें दीपेंद्र सिंह शेखावत, राकेश पारीक, जीआर खटाना, मुरारी लाल मीणा, गजेंद्र सिंह शक्तावत, इंद्रराज सिंह गुर्जर, भंवर लाल शर्मा, विजेंद्र ओला, हेमाराम चौधरी, पीआर मीणा, रमेश मीणा, विश्वेंद्र सिंह, रामनिवास गावड़िया, मुकेश भाकर, सुरेश मोदी, हरीश मीणा, वेद प्रकाश सोलंकी व अमर सिंह जाटव शामिल हैं। इनके अलावा जिन तीन निर्दलीय विधायकों को कांग्रेस ने अपनी संबद्धता सूची से हटाया था, उनके सहित करीब 30 विधायक हमारे साथ हैं।

राजस्थान विधानसभा की मौजूदा स्थिति: कुल सीटें: 200

पार्टी विधायकों की संख्या
कांग्रेस 107
भाजपा 72
निर्दलीय 13
आरएलपी 3
बीटीपी 2
लेफ्ट 2
आरएलडी  1

राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं। सरकार को 13 में से 10 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है। लिहाजा गहलोत के पास 118 विधायकों का समर्थन है। उधर, भाजपा के पास 72 विधायक हैं। बहुमत जुटाने के लिए कम से कम 29 विधायक चाहिए।

 

सुलह का रास्ता खुला होने के संकेत / पायलट ने दिनभर चुप्पी साधे रखी; गहलोत ने एक बार भी पायलट का नाम नहीं लिया, रेजोल्यूशन में भी डिप्टी सीएम का जिक्र नहीं

  • जानकारों का कहना है कि आलाकमान सचिन पायलट (बाएं) की यह मांग मान सकते हैं कि अशोक गहलोत (दाएं) दूसरा डिप्टी सीएम नहीं बनाएं।- फाइल फोटोजानकारों का कहना है कि आलाकमान सचिन पायलट (बाएं) की यह मांग मान सकते हैं कि अशोक गहलोत (दाएं) दूसरा डिप्टी सीएम नहीं बनाएं।- फाइल फोटो
  • राजस्थान में सोमवार की उठापटक में सचिन पायलट का कोई बयान सामने नहीं आया
  • गहलोत ने भी पायलट का नाम सावर्जनिक तौर पर नहीं लिया

जयपुर. राजस्थान का सियासी संकट दिलचस्प मोड़ पर है। सचिन पायलट के रुख को देखकर माना जा रहा था कि अब वे कांग्रेस से बगावत के रास्ते पर आगे बढ़ चुके हैं। लेकिन, सोमवार की शाम तक नजारा कुछ बदलता नजर आया। अब इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस आलाकमान पायलट और गहलोत के बीच सुलह का रास्ता तलाश रहे हैं। इसके तीन संकेत नजर आए।

1- पायलट चुप रहे, गहलोत भी कुछ नहीं बोले
सोमवार को दिनभर राजनीतिक सरगर्मी चलती रही। लेकिन, न तो पायलट का कोई बयान सामने आया और न ही गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर सचिन का नाम लिया। यह साफ था कि पायलट विधायक दल की बैठक में नहीं जाएंगे। तब इस चर्चा ने जोर पकड़ा था कि पार्टी बैठक में न जाने पर पायलट को पार्टी से निकाला जा सकता है। लेकिन सोमवार के घटनाक्रम में रणदीप सुरजेवाला ने भी पायलट के लिए अपना नरम रुख रखा। प्रेस कान्फ्रेंस मे उन्होंने भाजपा पर ही निशाना साधा। विधायक दल की बैठक में भी एक प्रस्ताव पास हुआ। इसमें अनुशासनहीनता करने वाले विधायकों को पार्टी से बाहर करने का जिक्र था। इसमें भी पायलट का नाम लिए बिना प्रस्ताव पास किया गया। हालांकि, शाम को मैसेज दिया गया कि पायलट समेत सभी बागी विधायक कार्रवाई के लिए तैयार रहें। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मंगलवार की मीटिंग में फिर से पायलट को पहुंचने के लिए कहा, हालांकि पायलट ने इनकार कर दिया।

2- पहले पायलट के पोस्टर हटाए गए, फिर लगाए गए
सोमवार सुबह जयपुर कांग्रेस ऑफिस से पायलट के पोस्टर हटा दिए गए। तब इस चर्चा ने और जोर पकड़ लिया कि पायलट का कांग्रेस से रिश्ता टूटने वाला है। आरोप था कि एनएसआईयू के कार्यकर्ता ने पोस्टर हटाया है। लेकिन बाद में एनएसआईयू के अध्यक्ष ने कहा कि पायलट के पोस्टर हटाने वाले आसामाजिक तत्व थे। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

3-पायलट के भाजपा के करीब जाने का कोई इशारा नहीं मिला
दिल्ली में मौजूद सचिन पायलट रविवार को एग्रेसिव नजर आ रहे थे। यहां तक खबर आई थी कि वे सोमवार को भाजपा में शामिल हो जाएंगे, लेकिन सोमवार को पायलट खेमा पूरी तरह चुप रहा। दिल्ली में भी पायलट गुट की कोई ऐसी एक्टिविटी नहीं दिखी कि वे भाजपा के करीब जा रहे हैं। दोपहर बाद खबर आई कि पायलट भाजपा में शामिल नहीं होंगे।

इन संकेतों के राजनीतिक मायने?
सियासी जानकार यह मतलब निकाल रहे हैं कि कांग्रेस आलाकमान सुलह का रास्ता तलाशने के लिए पायलट की कुछ मांगे मान सकते हैं। जैसे पायलट समर्थकों को दिया गया एसओजी का नोटिस वापस लिया जाएगा। पायलट, प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने की खबरों से भी नाराज चल रहे थे। उनका प्रदेश अध्यक्ष पद बरकरार रखा जा सकता है। आलाकमान पायलट की यह मांग भी मान सकते हैं कि गहलोत अपनी सरकार में दूसरा उपमुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे। पायलट की नाराजगी की एक वजह यह भी बताई जाती है कि गहलोत सरकार में एक और उपमुख्यमंत्री बनाने की सोच रहे हैं।

 

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