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राजस्थान कांग्रेस में टूट का डर: पायलट के साथ 30 कांग्रेसी-निर्दलीय, पर दिल्ली गए दो कांग्रेस एमएलए बोले- आखिरी सांस तक पार्टी के साथ; जयपुर में कल विधायक दल की बैठक

सिंधिया-पायलट की दोस्ती और सियासी संकट? / पायलट के साथ 15 विधायक, क्या राजस्थान में भी दोहराई जा सकती है मध्य प्रदेश की कहानी?राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायकों का समर्थन इसके अलावा सरकार को 13 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन

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  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार दोपहर भाजपा पर सरकार गिराने का आरोप लगाया था, लेकिन कुछ घंटे बाद ही उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और समर्थक विधायकों की नाराजगी की खबरें आ गईं। इससे राजस्थान में सियासी हालात बदल गए। – फाइल फोटो
  • विधायकों की खरीद-फरोख्त की जांच कर रही एसओजी ने पायलट को नोटिस भेजा, पायलट की नाराजगी से राजस्थान में हलचल
  • सूत्रों ने बताया- पायलट के समर्थन में 30 कांग्रेस, कुछ निर्दलीय विधायक; पायलट ने 15 भाजपा विधायकों से संपर्क का दावा किया

जयपुर. विधायकों की खरीद-फरोख्त की जांच कर रही एसओजी के नोटिस के बाद राजस्थान की सियासत में हलचल मच गई है। नोटिस से नाराज डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके समर्थकों ने सीएम अशोक गहलोत के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, 30 कांग्रेसी विधायक, कुछ निर्दलीय और 15 भाजपा विधायक पायलट के संपर्क में हैं।

खबर ये भी है कि पायलट समेत 12 कांग्रेस और 3 निर्दलीय विधायक के दिल्ली के अलावा हरियाणा के होटलों में हैं। डिप्टी सीएम सचिन पायलट समेत 12 कांग्रेस और 3 निर्दलीय विधायकाें के दिल्ली के अलावा हरियाणा के तावड़ू स्थित एक हाेटल में हाेने की सूचना मिली।

राजस्थान की सियासत के अहम अपडेट्स…

  1. अशोक गहलोत ने सोमवार सुबह 10.30 बजे विधायक दल की बैठक बुलाई है। सभी विधायकों को जयपुर पहुंचने को कहा गया है।
  2. केंद्र ने रणदीप सुरजेवाला और अजय माकन को ऑब्जर्वर बनाकर जयपुर भेजा है। ये यहां पर विधायकों से बातचीत करेंगे।
  3. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट किया- पुराने साथी पायलट को देखकर दुखी हूं, जिन पर गहलोत सरकार ने केस किया। कांग्रेस में काबिलियत की कद्र नहीं।
  4. कपिल सिब्बल ने अपनी ही पार्टी पर तंज कसा- क्या कांग्रेस तभी जागेगी, जब उसके अस्तबल से घोड़े चले जाएंगे?
  5. अशोक गहलोत सुबह से अपने आवास पर कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों से मिल रहे हैं। सभी मंत्रियों और विधायकों को कहा गया है कि वह अपने क्षेत्र को छोड़कर जयपुर पहुंचे।

एसओजी नोटिस पर सीएम बोले- यह सामान्य प्रक्रिया
पायलट के नाराज होने की वजह विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) का नोटिस बताया जा रहा है। एसओजी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत अन्य मंत्रियों को भी नोटिस भेजा है।
हालांकि, सीएम ने कहा है कि यह सामान्य प्रक्रिया है। नोटिस के बाद पायलट समर्थक विधायक नाराज हैं। उनका कहना है कि सरकार ने सभी हदें पार कर दी हैं और अब अशोक गहलोत के साथ काम करना असंभव है।

दिल्ली गए दो विधायकों के सुर अलग
दिल्ली गए कांग्रेसी विधायकों दानिश अबरार और रोहित बोहरा ने जयपुर लौटकर कहा कि वे निजी कारणों से दिल्ली गए थे। अगर मीडिया कहता है कि हम इस वजह से वहां गए, या उस वजह से वहां गए.. तो ये हमारी समस्या नहीं है। हम किसी भी विवाद का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। हम कांग्रेस के िसपाही हैं और आखिरी सांस तक कांग्रेस के साथ रहेंगे।

एसओजी जांच में सामने आई विधायकों को 25 करोड़ देने की बात

  • एसओजी के अनुसार उसने अवैध हथियार और विस्फोटक सामग्री की तस्करी से जुड़े मामले में मोबाइल नंबर 9929229909 और 8949065678 को सर्विलांस पर लिया हुआ था।
  • सर्विलांस पर लिए गए मोबाइल की बातचीत में सामने आया है कि राज्यसभा चुनाव से पहले सरकार गिराने की साजिश रची गई थी। विधायकों को 25-25 करोड़ रुपए देने की जानकारी भी सामने आई है।
  • विधायकों को पैसा देने के मामले में एसीबी ने शनिवार को तीन निर्दलीय विधायकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। इनमें महुवा से ओमप्रकाश हुड़ला, अजमेर किशनगढ़ से सुरेश टांक और पाली मारवाड़ जंक्शन से निर्दलीय विधायक खुशवीर सिंह शामिल हैं।

सोशल मीडिया पर चर्चा- सचिन पायलट अगले सीएम होंगे?
सोशल मीडिया पर सचिन पायलट के अगला सीएम बनने की चर्चा चल रही है। लोग सवाल कर रहे हैं कि पायलट राजस्थान के अगले ज्योतिरादित्य सिंधिया होंगे? क्या राजस्थान में भाजपा की सरकार बन जाएगी?

ये विधायक दिल्ली पहुंचे
सुरेश टांक, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, ओम प्रकाश हुडला, राजेंद्र बिधुड़ी, पीआर मीणा, रोहित बोहरा, चेतन डूडी और दानिश अबरार दिल्ली पहुंचे हैं। बाकी के विधायकों के नाम का पता नहीं चल पाया है। भास्कर से बातचीत में इन विधायकों ने बताया कि वे निजी काम से दिल्ली पहुंचे हैं।

राजस्थान विधानसभा की मौजूदा स्थिति: कुल सीटें: 200

पार्टी विधायकों की संख्या
कांग्रेस 107
भाजपा 72
निर्दलीय 13
आरएलपी 3
बीटीपी 2
लेफ्ट 2
आरएलडी  1

राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायकों का समर्थन है। इसके अलावा, सरकार को 13 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है। गहलोत सरकार के पास 121 विधायकों का समर्थन है। उधर, भाजपा के पास 72 विधायक हैं। बहुमत जुटाने के लिए कम से कम 29 विधायक चाहिए।

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जयपुर. राज्यसभा चुनाव के बाद सुरक्षित दिख रही राजस्थान की कांग्रेस सरकार फिर संकट में घिरती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा पर अपनी सरकार गिराने की कोशिशों का आरोप लगाया है। विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए कांग्रेस विधायकों को 25 करोड़ रुपए देने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। लेकिन, इसके तुरंत बाद उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की नाराजगी और समर्थक विधायकों के साथ सोनिया गांधी से मुलाकात की भी खबर आ गई।

इन सारे तारों को जोड़ने के बाद साफ है कि गहलोत सरकार पर खतरे के बादल हैं। इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या कांग्रेस के असंतुष्ट गुट के साथ मिलकर भाजपा मध्य प्रदेश और कर्नाटक की कहानी राजस्थान में भी दोहरा सकती है?

युवा चेहरों को दोनों राज्यों में बनाया था चुनावी चेहरा
मध्यप्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने युवा चेहरों यानी मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य और राजस्थान में सचिन पायलट को चेहरा बनाया था। लेकिन, कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद दोनों युवा नेताओं की उपेक्षा और नाराजगी की खबरें आईं।

सिंधिया को न तो मुख्यमंत्री पद मिला और न ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद। राजस्थान में पायलट को उपमुख्यमंत्री तो बनाया गया, लेकिन अक्सर गहलोत से उनकी खटपट की खबरें मीडिया में आती रहती हैं।

दोनों युवा नेताओं के बीच है गहरी दोस्ती
ज्योतिरादित्य और सचिन पायलट के बीच अच्छी दोस्ती रही है। इस साल जब मार्च में ज्योतिरादित्य ने भाजपा में शामिल होकर सभी को चौंका दिया था। तक सोशल मीडिया में अचानक सचिन पायलट ट्रेंड करने लगे थे।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर गहलोत पर सरकार पर सियासी सर्जिकल स्ट्राइक होती है तो उसमें ज्योतिरादित्य की भूमिका को भी इंकार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि, कमोबेश जो स्थिति कमलनाथ सरकार में ज्योतिरादित्य की थी। कुछ वैसी ही गहलोत सरकार में सचिन पायलट की है। बार-बार मुख्यमंत्री के साथ टकराव या अनबन की खबरें आती हैं।
फिलहाल आंकड़ों का गणित क्या कहता है
राजस्थान की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखें तो कांग्रेस के पास 107 विधायकों का समर्थन है। इसके अलावा सरकार को 13 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल के विधायक का भी समर्थन है यानी गहलोत सरकार के पास 121 विधायकों का समर्थन है।

राज्यसभा चुनाव के समय इस बात की तस्दीक भी हुई थी। 200 विधायकों वाली विधानसभा में फिलहाल कांग्रेस की स्थिति मजबूत दिखती है। भाजपा के पास इस समय 72 विधायक हैं और उसे मौजूदा स्थिति में बहुमत जुटाने के लिए कम से कम 29 विधायक चाहिए।

सिर्फ निर्दलीयों से नहीं बनेगी बात
अगर यह मान भी लिया जाए कि फिलहाल जो 13 विधायक गहलोत सरकार के साथ हैं, वह टूटकर भाजपा के साथ आ जाए तो भी आंकड़ा 85 तक ही पहुंचता है। इक्का-दुक्का और विधायकों को भी अपनी ओर करने के बाद भाजपा बहुमत के 101 के आंकड़े से दूर दिखती है। कांग्रेस के पास अपने दम पर बहुमत है। निर्दलीयों के अलग होने पर उस पर तुरंत कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिखता।

फिर भाजपा के बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए जरूरी है कि कांग्रेस में टूट हो। कांग्रेस के पास 101 विधायक है और पार्टी में टूट के लिए दो तिहाई विधायक चाहिए। यानी दलबदल कानून के हिसाब से कांग्रेस में टूट के लिए 71 विधायक चाहिए जो संभव नहीं लगता। कांग्रेस के असंतुष्ट गुट के पास इतने विधायक नहीं हैं।

तो क्या हो सकता है गहलोत सरकार गिराने का गेम प्लान
फिर संख्या बल में मजबूत दिख रही गहलोत सरकार कैसे गिर सकती है? कांग्रेस के दो तिहाई विधायक टूटना संभव नहीं दिखते और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से बात नहीं बनती दिखती। अब गहलोत सरकार गिराने का वही तरीका दिखता है, जो मध्य प्रदेश में इस्तेमाल किया गया था।

मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की सियासत में समानता भी है। वहां ज्योतिरादित्य सिंधिया कमलनाथ सरकार से असंतुष्ट थे। राजस्थान में सचिन पायलट और गहलोत में तनातनी की खबरें आती रहती हैं।

सचिन पायलट समर्थक 24 विधायक खिला सकते हैं गुल
अगर मध्य प्रदेश की तर्ज पर कांग्रेस के कुछ विधायक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देते हैं और निर्दलीय भी कांग्रेस के बजाय भाजपा का समर्थन कर दें तो गहलोत सरकार अल्पमत में आ सकती है। चर्चा है कि सचिन पायलट के समर्थक 24 विधायक हैं। इनमें कुछ गुड़गांव-मानेसर के होटल में हैं। अगर मान लिया जाए कि सचिन पायलट की नाराजगी दूर नहीं होती है और उनके समर्थक सभी 24 विधायक इस्तीफा दे देते हैं।

इससे कांग्रेस के विधायकों की संख्या 83 रह जाएगी। अब भी अगर कांग्रेस का समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायक गहलोत के साथ बने रहते हैं तो उनकी सरकार बच सकती है। लेकिन, निर्दलीय विधायक आमतौर पर उसी के साथ जाते हैं, जिसकी सरकार बनती दिखती है। ऐसे में निर्दलीयों का साथ छोड़ने पर कांग्रेस सरकार सदन में बहुमत खो देगी।

ऐसे बन सकती है भाजपा की सरकार
अगर कांग्रेस के 24 विधायक इस्तीफा दे देते हैं तो सदन में विधायकों की कुल संख्या 176 रह जाएगी और बहुमत साबित करने का आंकड़ा 101 से कम होकर 89 रह जाएगा। भाजपा के पास इस समय 72 विधायक हैं। अगर उसे 13 निर्दलीयों का भी समर्थन मिल जाए तो उसके समर्थक विधायकों की संख्या 85 तक पहुंच जाती है।

आरएलडी और एकाध और विधायक का समर्थन जुटाकर भाजपा सरकार बनाने के करीब पहुंच जाएगी। हालांकि, इसमें विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल की महती भूमिका होगी। मध्य प्रदेश और कर्नाटक में इसी फार्मूले पर काम कर भाजपा कांग्रेस की सरकारें उलट चुकी है।

दिल्ली में फिलहाल 15 विधायक

दिल्ली में फिलहाल सचिन पायलट के साथ 13 से 15 विधायक मौजूद हैं। जिसमें कुछ निर्दलीय भी शामिल बताए जा रहे हैं। अगर ये भी इस्तीफा देते हैं तो विधायकों की कुल संख्या 185 हो जाएगी। वहीं, बहुमत की संख्या 93 हो जाएगी। भाजपा के पास 72 और आरएलपी के 3 विधायक हैं। जिसके बाद बहुमत के लिए 18 विधायकों की जरूरत पड़ेगी।

 

 

विधानसभा का हाल

1- राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में अभी कांग्रेस के 107 विधायक हैं, जबकि बीजेपी सदस्यों की संख्या 75 है.

2- कांग्रेस के विधायकों की संख्या 101 है, उसे बसपा के 6 विधायकों ने समर्थन दिया है. वहीं, बीजेपी के पास अपने कुल 72 विधायक हैं, वहीं पार्टी को आरएलपी के 3 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है.

3- कांग्रेस और भाजपा के अलावा निर्दलीय या अन्य विधायकों की कुल संख्या 18 है.

4-इनमें बीटीपी के 2 MLA, 2 सीपीएम, 1 आरएलडी और 13 निर्दलीय विधायक शामिल हैं

5- सचिन पायलट के समर्थक विधायकों की संख्या अगर 24 मान ली जाए, तो इनके इस्तीफ के बाद सदन में विधायकों की संख्या 176 रह जाएगी.

6- 176 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 89 विधायकों की जरूरत होगी.

7- पायलट समर्थक विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के पास 107 में से सिर्फ 83 विधायक बचेंगे, जो बहुमत से 6 कम हैं.

8- वहीं बीजेपी अपने 75 विधायकों के साथ भी बहुमत से 14 सीटें दूर रहेगी.

9- ऐसे में निर्दलीय विधायकों का मत महत्वपूर्ण हो जाएगा.

10- इन 18 में से कांग्रेस को जहां बहुमत के लिए सिर्फ 5 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा, वहीं बीजेपी को 14 सदस्यों की आवश्यकता होगी.

आपको बता दें कि राज्यसभा चुनाव में विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में SOG का नोटिस मिलने के बाद डिप्टी सीएम सचिन पायलट नाराज बताए जा रहे हैं. आज सुबह पायलट और उनके समर्थक 12 विधायकों के दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने की खबरों के चर्चा में आने के बाद प्रदेश में सियासी गहमा-गहमी शुरू हो गई है. हालांकि गहलोत समर्थक विधायकों ने दावा किया है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है.

 

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