मोदी कैबिनेट के फैसले / सहकारी बैकों को आरबीआई के दायरे में लाने के लिए अध्यादेश लाया जाएगा, मुद्रा योजना के तहत शिशु लोन पर ब्याज में 2% छूट
8.6 करोड़ ग्राहकों की चिंताएं दूर करने के लिए 1540 सहकारी बैंकों को आरबीआई के तहत लाने का फैसला ओबीसी कमीशन का कार्यकाल 6 महीने बढ़ाया गया, कमीशन अब 31 जनवरी 2021 तक रिपोर्ट दे सकेगा
नई दिल्ली. कैबिनेट की बैठक में बुधवार कई फैसले हुए। सहकारी बैंकों को आरबीआई के दायरे में लाया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट ने अध्यादेश लाने का फैसला लिया। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि मुद्रा लोन के तहत दिए जाने वाले शिशु लोन की ब्याज दरों में 2% की छूट दी जाएगी।
कैबिनेट के फैसले
1. शिशु लोन की ब्याज की दरों में 2% की छूट दी जाएगी। इससे 9.37 करोड़ लोगों फायदा होगा।
2. सहकारी बैंकों को आरबीआई के अंडर में रखने के लिए अध्यादेश लाया जाएगा। खाताधारकों की चिंताएं दूर करने के लिए यह फैसला लिया गया।
3. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाएगा। इससे बुध सर्किट में पर्यटन बढ़ेगा।
4. ओबीसी कमीशन के कार्यकाल को 6 महीने बढ़ाया गया है। अब ओबीसी आयोग 31 जनवरी 2021 तक रिपोर्ट दे सकता है। कमीशन को पिछड़ा वर्ग की सब-कैटेगरी के मामले की जांच के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा।
5. पशुपालन इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए एनिमल हस्बैंडरी डेवलपमेंट फंड को मंजूरी दी गई। इसके तहत सरकार कर्ज लेने वालों को ब्याज में 3% की छूट देगी।
6. अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्रों को निजी सेक्टर के खोलने की मंजूरी दी गई। इसके लिए एक नया संस्थान बनाया जाएगा। इसका नाम इंडियन नेशनल स्पेस, प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर होगा। यह संस्थान स्पेस एक्टिविटीज में प्राइवेट कंपनियों की मदद करेगा।
सहकारी बैंकों को आरबीआई के दायरे में लाने का फैसला क्यों?
जावड़ेकर ने बताया कि 1,482 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों और 58 मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव बैंकों को आरबीआई के दायरे में लाया जाएगा। इससे 8.6 करोड़ खाताधारकों की चिंताएं दूर होंगी। को-ऑपरेटिव (सहकारी) बैंकों में ग्राहकों के 4.84 लाख करोड़ रुपए जमा हैं।