Newsportal

मेरठ की गीता ने दिल्ली में 50 हजार रु से शुरू किया बिजनेस, 6 साल में 7 करोड़ रु टर्नओवर, पिछले महीने यूरोप में भी एक ऑफिस खोला

यूपी के मेरठ की रहने वाली गीता सिंह दिल्ली में एक पीआर कंपनी चलाती हैं। देश के 180 शहरों में उनका नेटवर्क हैं। हाल ही में एस्टोनिया में भी उन्होंने अपना एक ऑफिस खोला है। पापा सरकारी नौकरी करते थे, चार भाई बहनों की जरूरतें पूरी करने के लिए वे दिन-रात लगे होते थे, गीता इंडियन ऑयल की बिल्डिंग देखकर सोचती थी कि एक दिन ऐसा ही दफ्तर खोलूंगी शुरुआत में घर के एक कमरे को ही ऑफिस बनाया, पैसों की बचत के लिए खुद ही कमरे की सफाई करती थी, सबकी टेबिल अरेंज करती थी, क्योंकि एक्स्ट्रा स्टाफ रखने के पैसे नहीं थे

0 133

उत्तर प्रदेश के मेरठ जैसे छोटे शहर से निकलकर देश की राजधानी दिल्ली में अपने दम पर अपनी मुकाम हासिल करने वाली गीता सिंह एक पब्लिक रिलेशन (पीआर) कंपनी चलाती हैं, 200 से ज्यादा उनके क्लाइंट्स हैं, 50 के करीब लोग उनके यहां काम करते हैं। सालाना 7 करोड़ रुपए का टर्नओवर है। अभी पिछले ही महीने उन्होंने एस्टोनिया(यूरोप) में भी अपना एक ऑफिस खोला है।

33 साल की गीता एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखती हैं। उनकी 12वीं तक पढ़ाई मेरठ के सरकारी स्कूल में हुई। उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन किया फिर एक निजी संस्थान से मास कम्युनिकेशन में डिप्लोमा किया।

उनके पापा सरकारी नौकरी करते थे, चार भाई बहनों की जरूरतें पूरी करने के लिए वे दिन-रात लगे रहते थे। वे चाहते थे कि गीता पढ़ लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर या आईएएस बने, लेकिन गीता को कभी इनमें दिलचस्पी नहीं रही, वो हमेशा से चाहती थीं कि कुछ अपना करूं, 10 से 5 की शिफ्ट में काम करना उन्हें पसंद नहीं था।

वो बताती हैं कि डिप्लोमा करने के दौरान जब मैं अपने घर से कॉलेज के लिए निकलती थी तो रास्ते में इंडियन ऑयल की एक बड़ी बिल्डिंग दिखती थी। मैं पूरी राह उसे निहारते हुए जाती थी, सोचती थी कि एक दिन ऐसी ही बिल्डिंग में मेरा दफ्तर होगा, जहां मैं खुद का काम करूंगी। लेकिन कब और कैसे करूंगी, यह तय नहीं कर पा रही थी। डिप्लोमा के बाद 4 साल तक मैंने कई कंपनियों में काम किया। पीआर मैनेजमेंट से लेकर कंटेंट क्रिएशन तक। इससे मुझे बहुत कुछ सीखने समझने को मिला।

गीता अपने टीम मेंबर्स के साथ। आज उनकी टीम में 50 लोग हैं, 300 से ज्यादा लोग फ्रीलांस के रूप में भी काम करते हैं।
गीता अपने टीम मेंबर्स के साथ। आज उनकी टीम में 50 लोग हैं, 300 से ज्यादा लोग फ्रीलांस के रूप में भी काम करते हैं।

गीता बताती हैं कि 2011-12 में फेसबुक पर एक ग्रुप में किसी ने पोस्ट शेयर किया था, उन्हें कुछ कंटेंट राइटर की जरूरत थी। मैंने उनसे कॉन्टैक्ट किया और उनका काम ले लिया। तब मैं अपनी जॉब भी कर रही थी, कुछ दिन उनका काम किया। फिर मुझे बर्डेन महसूस होने लगा, मैं अकेले इतना कुछ कैसे कर पाऊंगी। मैंने एक दोस्त से बात की और उनकी मदद से कुछ और लोगों में काम बांट दिया। तब एक महीने में 70-80 हजार रुपए मैंने कमाए थे। मेरे लिए वो काम टर्निंग पॉइंट था। मेरा आत्मविश्वास मजबूत हुआ था। मेरे दोस्त भी कहने लगे कि तुम अब अपना काम शुरू करो।

लेकिन एक मिडिल क्लास फैमिली में वो भी एक लड़की के लिए नौकरी छोड़कर खुद का बिजनेस शुरू करना आसान नहीं था। जब मैंने पापा को नौकरी छोड़ने और अपना काम शुरू करने के बारे में बताया तो वे इसके लिए बिल्कुल भी राजी नहीं हुए। उन्होंने कहा कि अगर जॉब छोड़ रही हो तो फिर सरकारी नौकरी की तैयारी करो, कोचिंग करो। उनको कहीं न कहीं यह लगता था कि अकेली लड़की सबकुछ कैसे मैनेज कर पाएगी, पैसे कहां से आएंगे।

फिर मैंने उन्हें काफी समझाया। पापा उस समय दिल्ली में ही पोस्टेड थे, मैं भी उनके साथ ही रहती थी। तब मेरे पास कुछ सेविंग थी। कुछ पैसे पापा से लिए और कुछ दीदी से। करीब 50 हजार रुपए से 2012-13 में काम शुरू किया। शुरुआत में घर के एक कमरे को ही ऑफिस बनाया। तब सिर्फ एक स्टाफ को मैंने हायर किया था। पैसों की बचत के लिए खुद ही कमरे की साफ सफाई करती थी, सबके टेबल अरेंज करती थी, क्योंकि ऑफिस में एक्स्ट्रा स्टाफ रखने के पैसे नहीं थे।

तस्वीर तब की है जब गीता के मम्मी-पापा उनके ऑफिस पहुंचे थे। गीता के पापा एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं जबकि मां हाउस वाइफ हैं।
तस्वीर तब की है जब गीता के मम्मी-पापा उनके ऑफिस पहुंचे थे। गीता के पापा एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं जबकि मां हाउस वाइफ हैं।

जहां तक मुझे याद है, पहले महीने में 60-70 हजार रुपए की आमदनी हुई थी। जिससे मैंने कुछ कम्प्यूटर और ऑफिस के सामान खरीदे थे। चूंकि मैंने इस फील्ड में काम किया था तो क्लाइंट्स बनाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। जैसे- जैसे काम बढ़ता गया वैसे-वैसे क्लाइंट्स बढ़ते गए। उसके बाद हमने दूसरी जगह अपना ऑफिस शिफ्ट किया। आज देश के 180 से ज्यादा शहरों में हमारा नेटवर्क है। अभी हाल ही में एस्टोनिया में भी हमने अपना एक ऑफिस खोला है, जहां मेरी छोटी बहन काम संभालती है।

वो कहती हैं, ‘अगर लॉकडाउन नहीं हुआ होता तो हमारा मुंबई में भी एक ऑफिस होता। हमने डील फाइनल कर ली थी, बस पेमेंट करना बाकी था तभी लॉकडाउन लग गया। इस दौरान मुझे भी दूसरे लोगों की तरह दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई प्रोजेक्ट पेंडिंग रह गए, कई क्लाइंट्स मजबूरी का फायदा उठाकर आधे दाम में डील करने का दबाव बनाते थे। इस साल को तो हम अपने बिजनेस ईयर में काउंट ही नहीं कर रहे हैं। हालांकि अब पिछले दो महीने से धीरे- धीरे चीजें वापस पटरी पर लौट रही हैं।

गीता कहती हैं, ‘ पहले पापा मुझसे कहते थे कि उनके डायरेक्टर का बेटा डॉक्टर बना है, उनके दोस्त की बेटी इंजीनियर बनी है और तुम मेरी सुनती ही नहीं हो। लेकिन आज वे मेरे काम से बहुत खुश हैं, वे अपने दोस्तों से मेरे काम के बारे में बात करते हैं। वो कहती हैं, ‘ 2015 में अपने पेरेंट्स के साथ पुष्कर गई थी। मम्मी- पापा पहली बार प्लेन में चढ़े थे। वे लोग बहुत खुश थे, उस समय उनकी जो फीलिंग्स थी उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है, सिर्फ महसूस किया जा सकता है। उनके इस सफर में उनके हसबैंड का भी भरपूर सपोर्ट रहा है। वे अक्सर उन्हें गिफ्ट के रूप में लैपटॉप या ऑफिस की जरूरत वाली चीजें दिया करते हैं।

गीता सिंह पतंजलि के को-फाउंडर आचार्य बालकृष्ण के साथ। उनकी कंपनी ने पंतजलि के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है।
गीता सिंह पतंजलि के को-फाउंडर आचार्य बालकृष्ण के साथ। उनकी कंपनी ने पंतजलि के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है।

पीआर मैनेजमेंट से लेकर पॉलिटिकल कैम्पेनिंग तक

गीता बताती हैं कि हम लोग मुख्य रूप से अभी सोशल मीडिया मार्केटिंग, पॉलिटिकल इमेज ब्रांडिंग और कैम्पेनिंग, पब्लिक रिलेशन (पीआर), कंटेंट क्रिएशन और ट्रांसलेशन का काम करते हैं। लोकसभा चुनाव और दिल्ली विधानसभा चुनाव में हमारी टीम काम कर चुकी है। अभी भी कुछ पॉलिटिकल लोगों के काम हमारे पास हैं।

200 से ज्यादा क्लाइंट्स जुड़े हैं

गीता की कम्पनी के साथ अभी 200 से ज्यादा क्लाइंट्स जुड़े हैं। जिनमें पतंजलि, पियर्सन, आईआईटी दिल्ली, पायोनियर इंडिया जैसे ब्रांड्स शामिल हैं। गीता बताती हैं कि पतंजलि के लिए हमने ट्रांसलेशन और बुक पब्लिकेशन का काम किया है और अभी भी कर रहे हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.