Newsportal

भारत से चार गुना ज्यादा है ड्रैगन का सैन्य खर्च, फिर भी जमीन पर हमारी सेना मजबूत

चीन के हमलों को माकूल जवाब देने की स्थिति में भारत, टैंक-तोप और सैनिकों की तादाद में मजबूत भारत, भारतीय सैनिकों के पास तगड़ा युद्धाभ्यास, हर मौसम में मार कर सकती है वायुसेना, सीमा पर हैं हमारे बेस

0 228

गलवां घाटी में पैदा हुए गतिरोध के बाद भारत और चीन सीमा पर सैन्य गतिविधियां तेज हो गई हैं। चीन के अड़ियल रुख के चलते युद्ध जैसी स्थिति से भी इनकार नहीं किया जा सकता। वैसे तो चीन ने  रक्षा साजो-सामान पर भारत से चार गुना ज्यादा पैसा खर्च करता है, लेकिन जंग के मैदान में हमारे फौजी उसकी सेना से कहीं आगे हैं। भारत के पास न सिर्फ दुनिया में सबसे ज्यादा सैनिक हैं, बल्कि  उनमें पहाड़ों पर युद्ध का बेमिसाल अनुभव भी है।

वायुसेना के पास भी जबरदस्त मारक क्षमता है। 1962 के युद्ध में भले ही भारत को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन सितंबर 1967 में नाथु ला में  चीन को सबक सिखा दिया था। उसके बाद से आज तक चीन ने हम पर गोली चलाने की हिम्मत नहीं की है। भारत ने 1962 के बाद से तीन जंग जीती हैं, वही चीन ने सिर्फ एक लड़ाई 1979 में लड़ी और उसमें भी करारी हार हुई थी।

चीन के पास भारत से दो गुना लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान हैं, लेकिन टैंक व तोप के लिहाज से भारत मजबूत है। हमारे पास 4,200 से अधिक टैंक हैं, जबकि चीन के पास 3,500 टैंक हैं। वहीं, चीन  के पास साढ़े तीन हजार तोपें हैं तो हमारे पास चार हजार से ज्यादा हैं। सैनिकों की संख्या में तो भारत दुनिया में इस वक्त सबसे बड़ी सेना बन चुका है। हमारे पास 35 लाख सैनिक हैं तो चीन के पास  27 लाख ही हैं।

एक अंतरराष्ट्रीय शोध के मुताबिक, चीन के हमलों का जवाब देने में भारत अच्छी स्थिति में है। दरअसल, चीन के खिलाफ भारत की थल सेना उत्तरी, मध्य और पूर्वी कमांड में, वायु सेना पश्चिम, मध्य और पूर्वी वायु कमांड में संगठित है। चीन से लगती सीमा पर भारतीय सेना के हमलावर बल की संख्या करीब सवा दो लाख है।

इनमें से लद्दाख में 3 हजार कर्मी टी-72 टैंक ब्रिगेड और करीब एक हजार फौजी अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मोस मिसाइल रेजीमेंट में हैं। वहीं, वायुसेना के 270 लड़ाकू विमान और 68 हमलावर विमान चीन सीमा पर मौजूद हैं। सेना और वायुसेना चीनी सीमा के करीब होने  से कम समय में जल्दी जवाब दिया जा सकता है।

भारत अमेरिका, जापान, इजरायल, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास करता है। बड़े युद्ध की स्थिति में युद्ध क्षेत्र की सही तस्वीर को लेकर अमेरिकी इंटेलिजेंस भारत की मदद कर  सकते हैं। वहीं मौजूदा तनाव के बीच अमेरिका, रूस जैसे कई बड़ी सैन्य क्षमता वाले देश भारत के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं।

इसके अलावा पाकिस्तान की ओर दो दशक से चलाए जा रहे छद्म युद्ध के  कारण भारतीय फौज को दुर्गम इलाकों में जंग का भरपूर अनुभव है जबकि चीन ने एकमात्र वियतनाम युद्ध लड़ा ,उसमें भी उसे मुंह की खानी पड़ी।

हार्वर्ड केनेडी स्कूल के बेल्फर सेंटर फॉर साइंस एंड इटरनेशनल अफेयर्स के मुताबिक भारत के लड़ाकू विमान मिराज-2000 और सुखोई एसयू-30 हर मौसम में उड़ान भरने में सक्षम हैं, जबकि चीन का सिर्फ जे-10 विमान ही हर मौसम में उड़ान भर सकता है। वहीं जे-11 और एसयू-30 में यह क्षमता नहीं है।

सैनिक टैंक तोप हेलिकॉप्टर्स  लड़ाकू विमान पनडुब्बी भारत 35 लाख 4292 4060 722 538 16 चीन 27 लाख 3500 3600 911 1232 76

भारत के पास चीन सीमा से सटे कई एयरबेस हैं, जहां से लड़ाकू विमान उड़ान भर सकते हैं। तिब्बत और शिनचियांग प्रांत के चीनी एयबेस अधिक ऊंचाई पर हैं और मुश्किल भौगोलिक स्थिति और मौसम की की वजह से चीनी लड़ाकू विमान आधे पेलोड और ईंधन के साथ ही उड़ान भर सकते हैं। भारत ने अपने बेस सीमा के नजदीक बनाए हैं, जिनमें इंफ्रास्ट्रक्चर, बेहतर कमांड, संचार प्रणाली और वायु रक्षा पर जोर दिया गया है।

बताया जाता है कि चीन के करीब सवा दो लाख सैनिक पश्चिमी थिएटर कमांड पर तैनात हैं, जो कि तिब्बत और शिनजियांग जिलों में हैं। भारत से युद्ध होता है तो इसका एक हिस्सा उपलब्ध नहीं होगा, जो कि या तो रूस की सीमा पर है या फिर शिनजियांग और तिब्बत में तैनात हैं। साथ ही दक्षिण चीन सागर और सिल्क रूट की सुरक्षा के लिए भी उसने फौजी लगा रखे हैं।

चीन 6830 मील तक मारक क्षमता  चीन के पास डीएफ-31 ए, डीएफ- 21 और डीएफ-31 परमाणु हथियारों से लैस मिसाइलें हैं। तीनों श्रेणियों में कुल सात मिसाइलें हैं।  डीएफ-31 ए की मारक क्षमता सबसे ज्यादा है। यह 6830 मील तक मार कर सकती है।  डीएफ-31 दूसरे नंबर पर आती है, यह 4350 मील तक मार कर सकती है जबकि डीएफ-21 की मारक क्षमता 1335 मील है।

भारत शंघाई तक मार कर सकती है अग्नि-3 भारत के पास अग्नि-3 और अग्नि -2 परमाणु क्षमता से लैस मिसाइलें हैं। दोनों मिसाइलें क्रमश: 1990 मील और 1240 मील तक मार कर सकती हैं। इनकी जद में शंघाई के अलावा पाकिस्तान व दक्षिण एशिया के कई देश आते हैं।  दो लड़ाकू विमान मिराज 2000एच और जगुआर आईएस भी परमाणु बम ले जाने में सक्षम हैं।  मिराज की मारक क्षमता 920 मील तक है तो जगुआर की 560 मील है।♠

Leave A Reply

Your email address will not be published.