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फ्रांस से 5 राफेल रवाना:पांचों राफेल 7 हजार किमी की दूरी तय कर बुधवार को भारत पहुंचेंगे, एयर टू एयर रीफ्यूलिंग होगी; पायलटों के लिए सिर्फ यूएई में एक हॉल्ट

पांचों राफेल बुधवार को भारत पहुंच जाएंगे। इन्हें अम्बाला में तैनात किया जाएगा। दिसंबर 2021 में आखिरी बैच आने की उम्मीद, छह ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट भी आएंगे भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ में 36 राफेल फाइटर जेट की डील की थी

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भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होने वाला है। फ्रांस के मेरिनेक एयरबेस से 5 राफेल फाइटर विमानों का पहला बैच रवाना हो चुका है। 7 हजार किमी की दूरी तय कर यह बुधवार 29 जुलाई को भारत पहुंचेगा। राफेल विमानों में एयर टू एयर रीफ्यूलिंग की जाएगी। पायलटों को आराम देने के लिए ये विमान सिर्फ यूएई में ही रुकेंगे। इन मल्टी-रोल फाइटर जेट्स के शामिल होने से भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।

कोरोना महामारी के कारण राफेल विमानों की डिलीवरी लेट हुई है। दिसंबर 2021 में इसके आखिरी बैच के मिलने की उम्मीद है।

रवानगी के दौरान भारतीय राजदूत मौजूद रहे
राफेल लड़ाकू विमानों की रवानगी के दौरान भारतीय राजदूत जावेद अशरफ भी मेरिनेक एयरबेस पर मौजूद रहे। वे इस दौरान पायलटों से भी मिले। उन्होंने राफेल उड़ाने वाले पहले भारतीय पायलटों को बधाई दी। उन्होंने फ्रेंच एयरफोर्स और राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन को भी धन्यवाद दिया।

राफेल की रवानगी के समय भारतीय राजदूत जावेद अशरफ पायलटों से मिले।

अंबाला में तैनाती होगी

पांचों राफेल की तैनाती अंबाला में होगी। यहां पर तैनाती से पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ तेजी से एक्शन लिया जा सकेगा। दिलचस्प बात ये भी है कि अम्बाला एयरबेस चीन की सीमा से भी 200 किमी की दूरी पर है। अंबाला में 17वीं स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज राफेल की पहली स्क्वाड्रन होगी।मिराज 2000 जब भारत आया था तो कई जगह रुका था, लेकिन राफेल एक स्टॉप के बाद सीधे अम्बाला एयरबेस पर उतरेगा।

राफेल विमानों की रवानगी से पहले काकपिट में बैठे भारतीय राजदूत जावेद अशरफ।

परमाणु हमला करने में सक्षम है राफेल

राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर है। ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है। इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है।

इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है। राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है। इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है।इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है।

राफेल में ग्लास कॉकपिट है। इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है।

100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है

राफेल सिंथेटिक अपरचर रडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता। जबकि, इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है।इन सबके अलावा किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है। इसके अलावा राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है।राफेल में आधुनिक हथियार भी हैं। जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है।

भारत और फ्रांस के बीच फाइटर एयरक्राफ्ट की खरीद का लंबा इतिहास रहा है। सबसे पहले 1953 में भारत ने फ्रांस का तूफानी एयरक्राफ्ट खरीदा था।

विमानों को पावरफुल बनाया जा रहा
राफेल फाइटर जेट को और ज्यादा पावरफुल बनाया जा रहा है। वायुसेना इसे हैमर मिसाइल से लैस करवा रही है। इसके लिए इमरजेंसी ऑर्डर कर दिए गए थे। वायुसेना की जरूरत को देखते हुए फ्रांस के अधिकारियों ने किसी और के लिए तैयार किए गए स्टॉक में से भारत को हैमर देने का फैसला किया था। हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज) मीडियम रेंज मिसाइल है, जिसे फ्रांस की वायुसेना और नेवी के लिए बनाया गया था। ये आसमान से जमीन पर वार करती है। हैमर लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में भी मजबूत से मजबूत शेल्टर और बंकरों को तबाह कर सकती है।

मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से लैस है
राफेल फाइटर जेट्स मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से भी लैस है। मीटियर विजुअल रेंज के पार भी अपना टारगेट हिट करने वाली अत्याधुनिक मिसाइल है। उसे अपनी इसी खासियत के लिए दुनिया में जाना जाता है। मीटियर की रेंज 150 किमी है। स्काल्प डीप रेंज में टारगेट हिट कर सकती है। स्काल्प करीब 300 किलोमीटर तक अपने टारगेट पर सटीक निशाना लगाकर उसे तबाह कर सकती है।

भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ में 36 राफेल फाइटर जेट की डील की थी। 36 में से 30 फाइटर जेट्स होंगे और 6 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट होंगे। ट्रेनर जेट्स टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट्स जैसे सभी फीचर होंगे।

राफेल की ताकत और बढ़ेगी:राफेल के लिए हैमर मिसाइल का इमरजेंसी ऑर्डर, लद्दाख जैसे इलाके में 70 किमी रेंज में बंकरों को भी तबाह कर सकती है ये मिसाइल

  • फ्रांस की वायुसेना के लिए बनी हैमर मिसाइल से 60 से 70 किलोमीटर रेंज तक किसी भी तरह के टारगेट को तबाह किया जा सकता है
  • 5 राफेल का पहला बैच जुलाई के आखिर तक भारत आ सकता है, इन्हें अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर वायुसेना में शामिल किया जाएगा

इस महीने के आखिर में मिलने वाले राफेल फाइटर जेट को और ज्यादा पावरफुल बनाया जा रहा है। वायुसेना इसे हैमर मिसाइल से लैस करेगी। इसके लिए फ्रांस से बातचीत हुई है और हैमर मिसाइल के लिए इमरजेंसी ऑर्डर कर दिए गए हैं।

न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि फ्रांस राफेल के लिए जल्द से जल्द हैमर मिसाइल सप्लाई करने के लिए तैयार है। वायुसेना की जरूरत को देखते हुए फ्रांस के अधिकारियों ने किसी और के लिए तैयार किए गए स्टॉक में से भारत को हैमर देने का फैसला किया है।

हैमर मिसाइल की खासियत

  • हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज) मीडियम रेंज मिसाइल है, जिसे फ्रांस की वायुसेना और नेवी के लिए बनाया गया था। ये आसमान से जमीन पर वार करती है।
  • हैमर लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में भी मजबूत से मजबूत शेल्टर और बंकरों को तबाह कर सकती है।
  • हैमर से 60 से 70 किलोमीटर रेंज तक किसी भी तरह के टारगेट को तबाह किया जा सकता है।

राफेल मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से भी लैस होगा

5 राफेल 29 जुलाई को फ्रांस से भारत आ रहे हैं, वहीं मीटिअर और लॉन्ग रेंज स्काल्प जैसी अत्याधुनिक मिसाइल इससे पहले ही भारत पहुंच गईं होंगी। मीटियर विजुअल रेंज के पार भी अपना टारगेट हिट करने वाली अत्याधुनिक मिसाइल है। उसे अपनी इसी खासियत के लिए दुनिया में जाना जाता है। मीटियर की रेंज 150 किमी है।

स्काल्प डीप रेंज में टारगेट हिट कर सकती है। स्काल्प करीब 300 किलोमीटर तक अपने टारगेट पर सटीक निशाना लगाकर उसे तबाह कर सकती है।

29 जुलाई को वायुसेना में शामिल हो सकता है राफेल
भारतीय वायुसेना ने के मुताबिक, 5 राफेल का पहला बैच जुलाई के अंत तक भारत आ सकता है। इन्हें 29 जुलाई को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर वायुसेना में शामिल किया जाएगा। फाइनल इंडक्शन सेरेमनी 20 अगस्त को होगी।

भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ में 36 राफेल फाइटर जेट की डील की थी। 36 में से 30 फाइटर जेट्स होंगे और 6 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट होंगे। ट्रेनर जेट्स टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट्स जैसे सभी फीचर होंगे।

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