पैकेटबंद चीजों के मानक बदलेंगे:फैट-शुगर के मानक 8 गुना बढ़ाने की तैयारी, यह खतरनाक पर लोगों को बताएंगे नहीं; नवंबर तक लागू हो सकती है योजना
एफएसएसएआई के वर्किंग ग्रुप ने तैयार किया दो साल पुराने नियमन में बदलाव का मसौदा
पैकेट-बंद फूड नुकसानदेह हैं या नहीं, इसे तय करने वाले मानक लागू करने से पहले ही भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने इनमें बदलाव की तैयारी कर ली है। FSSAI के वर्किंग ग्रुप ने जो नए मानक बनाए हैं, वह पहले से तय और WHO के मानक से 8 गुना तक ज्यादा हैं।
इसे नवंबर तक लागू करने की योजना है। अगर ऐसा हुआ तो खाद्य पदार्थों में फैट, सोडियम (नमक) और शुगर अंतरराष्ट्रीय मानकों से कई गुना अधिक होंगे, फिर ही उसे हेल्दी माना जाएगा। इससे लोगों को पता नहीं चलेगा कि जो वे खा रहे हैं, वह उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है।
देश में पैकेज्ड फूड का मार्केट 2.5 लाख करोड़ से ज्यादा का
- दरअसल, दो साल पहले लेबलिंग एंड डिस्प्ले रेगुलेशन ड्राफ्ट जारी हुआ था। उसमें WHO से तय सोडियम और शुगर मानक पूरी तरह अपनाए गए थे। फैट के मानकों में थोड़ी ढील दी गई थी। सूत्रों के मुताबिक, इंडस्ट्री के दबाव में ये नियमन लागू नहीं हो सका।
- दिसंबर 2020 में FSSAI की ओर से प्रकाशित स्टडी में बताया गया कि इन मानकों से देश में बिकने वाले 90% से ज्यादा उत्पाद अनहेल्दी श्रेणी में चले जाएंगे। फिर FSSAI ने मानकों की समीक्षा के लिए छह सदस्यीय ग्रुप बनाया।
- एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि ग्रुप ने जो नए मानक बनाएं हैं, उनमें पहले की तुलना में आठ गुना तक ढील दी गई है। इंडस्ट्री इन मानकों में यह कह कर ढील मांग रही है कि पुराने मानक से उनके उत्पाद नहीं बन सकते। गौरतलब है कि देश में पैकेज्ड फूड का मार्केट साइज 2.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का है।
अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से कई गंभीर बीमारियों का खतरा
फूड एक्टिविस्ट और ब्रेस्टफीड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के समन्वयक डॉ. अरुण गुप्ता कहते हैं, कोई उत्पाद हानिकारक है तो खरीदने वाले को पता होना चाहिए, जैसा तंबाकू उत्पादों में होता है। ज्यादा शुगर, साल्ट और फैट वाले उत्पाद अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड हैं। इनसे कैंसर, मोटापा, हाइपरटेंशन और डायबिटीज का खतरा होता है। खुराक में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड 10% बढ़ाने से रोगों का खतरा भी 10% बढ़ जाता है।