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नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड: सेल्फ नॉमिनेशन प्रोसेस खत्म हो, खेल मंत्रालय खुद इंटरनेशनल मेडल जीतने वाले प्लेयर्स का सिलेक्शन कर अवॉर्ड दे

अभी खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड के लिए खिलाड़ियों को खुद फॉर्म भरकर खेल मंत्रालय को भेजना होता है रेसलर योगेश्वर दत्त, मुक्केबाज मनोज कुमार समेत कई खिलाड़ी इस प्रोसेस को खत्म करने की मांग कर रहे बॉक्सर अमित पंघाल ने सिलेक्शन प्रोसेस को भेदभावपूर्ण बताया है, इसे लेकर वे खेल मंत्री को चिठ्ठी भी लिख चुके हैं

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नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड से जुड़ी सेल्फ नॉमिनेशन प्रोसेस से खिलाड़ी नाखुश हैं और वे इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि खेल मंत्रालय इंटरनेशनल मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों का खुद सिलेक्शन करे और फिर उन्हें खेल रत्न या अर्जुन अवॉर्ड दिया जाए। अभी अवॉर्ड के लिए खिलाड़ियों को खुद अपना फॉर्म खेल मंत्रालय को भेजना होता है।

वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में सिल्वर जीतने वाले देश के पहले पुरुष मुक्केबाज अमित पंघाल अवॉर्ड की सिलेक्शन प्रोसेस को भेदभावपूर्ण बता चुके हैं। उन्होंने हाल ही में सिलेक्शन प्रोसेस बदलने को लेकर खेल मंत्री किरन रिजिजू को चिठ्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि सिलेक्शन सिस्टम को ऐसा बनाए जाए कि किसी खिलाड़ी को अवॉर्ड के गिड़गिड़ाना न पड़े।

ओलिंपिक मेडल जीत चुके रेसलर योगेश्वर दत्त, मुक्केबाज मनोज कुमार और डिस्कस थ्रो की खिलाड़ी कृष्णा पूनिया भी अमित की बात का समर्थन कर रहे हैं।

सेल्फ नॉमिनेशन की प्रक्रिया हो खत्म
2012 के लंदन ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले रेसलर योगेश्वर दत्त का कहना है कि स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) और स्पोर्ट्स फेडरेशन के पास खिलाड़ियों के प्रदर्शन का पूरा रिकॉर्ड होता है। ऐसे में खेल मंत्रालय खिलाड़ियों से आवेदन मंगाने की बजाए प्रदर्शन के आधार पर उन्हें अर्जुन अवॉर्ड या खेल रत्न दे।

अवॉर्ड के लिए नई पॉलिसी की जरूरत
2013 में खेल रत्न न मिलने पर विरोध जताने वाली एथलीट कृष्णा पूनिया ने भास्कर को बताया कि मौजूदा पॉलिसी में बदलाव की जरूरत है। उनके मुताबिक, इन पुरस्कारों के लिए एक कमेटी बनाई जानी चाहिए, जिसमें सभी ओलिंपिक और नॉन ओलिंपिक खेलों के प्रतिनिधि शामिल हों, ताकि सिलेक्शन के समय किसी भी खिलाड़ी के साथ अन्याय न हो।

खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार के लिए नियम
नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड के लिए खिलाड़ियों का सिलेक्शन हर चार साल के प्रदर्शन के आधार पर होता है। इसके लिए पॉइंट सिस्टम बनाया गया है। ओलिंपिक, वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड जीतने पर 40, सिल्वर पर 30 और ब्रॉन्ज जीतने पर 20 पॉइंट मिलते हैं।

2014 में हाई कोर्ट के निर्देश के बाद ओलिंपिक और पैरालिंपिक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को अवॉर्ड के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं है। खेल मंत्रालय खुद इनके नाम की सिफारिश करता है, बशर्ते उन्हें पहले से यह पुरस्कार न मिला हो।

अवॉर्ड को लेकर खिलाड़ी कोर्ट का सहारा भी ले चुके
ऐसा पहली बार नहीं है, जब अवॉर्ड प्रोसेस शुरू होने के साथ ही सवाल उठे हैं। 2014 में बॉक्सर मनोज कुमार सिलेक्शन कमेटी द्वारा नजरअंदाज होने पर दिल्ली हाई कोर्ट गए थे। तब कोर्ट के आदेश पर उन्हें अर्जुन अवॉर्ड मिला था। वहीं, पिछले साल खेल रत्न हासिल करने वाले रेसलर बजरंग पूनिया ने 2018 में सर्वोच्च खेल पुरस्कार ने मिलने पर कोर्ट जाने की धमकी दी थी। तब विराट कोहली और वेटलिफ्टर मीराबाई चानू को खेल रत्न मिला था।

पॉइंट में अव्वल के बाद भी पिछड़ गए थे बजरंग
नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड के लिए तय किए गए पॉइंट सिस्टम के मुताबिक, रेसलर बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट के 2018 में 80 अंक थे, जबकि मीराबाई चानू के 44 पॉइंट थे। क्रिकेट में ओलिंपिक या वर्ल्ड चैम्पियनशिप जैसे टूर्नामेंट नहीं होने की वजह से कोहली के खाते में एक भी अंक नहीं था।

तब पूनिया ने यह सवाल उठाया था कि जब उनके सबसे ज्यादा अंक थे, तो फिर उन्हें खेल रत्न के लिए क्यों नहीं चुना गया?

खेल रत्न के बाद अर्जुन पुरस्कार के लिए नाम भेजने पर उठे सवाल
वेटलिफ्टर मीराबाई चानू और रेसलर साक्षी मलिक का नाम इस साल अर्जुन पुरस्कार के लिए भेजा गया है। इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि इन दोनों एथलीट को पहले ही देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

साक्षी को 2016 में, तो मीराबाई को 2018 में खेल रत्न मिला था। ऐसे में अर्जुन अवॉर्ड के लिए इनका नाम भेजना किसी के गले नहीं उतर रहा। हालांकि, नियमों के तहत खेल रत्न जीतने के बाद भी खिलाड़ी अर्जुन अवॉर्ड के लिए नाम भेज सकता है।

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