Newsportal

डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन के पॉलिसी पेपर में कश्मीर और CAA मामले में मोदी सरकार की आलोचना, ट्रम्प को मिल सकता है फायदा

0 227

अहमदाबाद.

इस साल के अंत में अमेरिका के राष्ट्रपति पद का चुनाव होने वाला है। इसमें डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन और वर्तमान राष्ट्रपति और रिपब्लिक उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। इस बीच जो बिडेन ने हाल ही में एक पॉलिसी पेपर जारी किया है। इसमें उन्होंने मोदी सरकार के कश्मीर और CAA से संबंधित फैसलों की आलोचना की।

बिडेन ने कहा है कि भारत की परंपरा में सांप्रदायिकता का कोई स्थान नहीं रहा है। ऐसे में सरकार के यह फैसले विरोधाभासी दिखते हैं। उन्होंने कहा है कि वह जब सत्ता में आएंगे तो इन मामलों पर भारत के साथ कड़ा रवैया अपनाएंगे। बिडेन का यह रवैया ट्रम्प के लिए इस लिहाज से फायदेमंद साबित हो सकता है कि एऩआरआई मतदाता उन्हें अपना समर्थन दे सकते हैं।

क्या है पॉलिसी पेपर?

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दोनों दलों के उम्मीदवार अपनी-अपनी ओर से पॉलिसी पेपर जारी करते हैं। इसमें विभिन्न विषयों पर उनकी नीति कैसी होगी? इससे संबंधित बातें वे इन पेपरों के जरिए जनता के बीच रखते हैं। कुछ महत्वपूर्ण मामलों पर दोनों उम्मीदवारों के बीच सार्वजनिक डिबेट भी आयोजित की जा सकती है। दरअसल, इन दिनों पूरी दुनिया की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति पद के दावेदार का वैश्विक राजनीति और कूटनीति को लेकर नजरिया कैसा है? ऐसे में यह पॉलिसी पेपर बेहद महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

जो बिडेन की पॉलिसी

डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बिडेन के कैम्पेन की वेबसाइट www.joebiden.com पर जारी किए गए पॉलिसी पेपर में एजेंडा फॉर मुस्लिम अमेरिकन कम्युनिटी शीर्षक से दर्शाई गई नीतियां www.joebiden.com/muslimamerica/ के तहत चर्चा में हैं। उसी तरह इनमें चीन का उइगर, म्यानमार का रोहिंग्या और भारत में कश्मीरी मुस्लिम सबंधित प्रतिभाव को ऐसे दिखाया गया है।

  1. मुस्लिम बाहुल्य देशों में मुस्लिमों के साथ जो कुछ भी होता है, उसका अमेरिकन मुस्लिमों पर भी बहुत असर पड़ता है। मैं उनकी भावनाएं समझ सकता हूं।
  2. चीन में उइगर मुस्लिमों को कॉन्सन्ट्रेशन कैम्प में रखा जाता है, जो बहुत ही शर्मनाक है। मैं जब चुनाव जीतूंगा तो इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाऊंगा। दुनिया का विश्वास हासिल करूंगा।
  3. कश्मीर में स्थानीय लोगों के अधिकारों का पुन:स्थापन हो, इसके लिए भारत सरकार को हर संभव प्रयास करना चाहिए। विरोध की आवाज दबाना, इंटरनेट बंद करना अलोकतांत्रिक है।
  4. NRC और CAA मामले में भारत सरकार का रवैया निराशाजनक है। वहां की परंपरा सदियों से सांप्रदायिक से दूर रही हैं। ऐसे में यह नीतियां विरोधाभासी जान पड़ती हैं।

स्थानीय हिंदुओं का भारी विरोध

जो बिडेन की इस पॉलिसी पेपर के ऐलान के तुरंत बाद ही स्थानीय हिन्दुओं में गुस्सा देखने को मिला। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंदुओं के बड़े समूह ने बिडेन की प्रचार टीम के साथ बैठक की। उन्होंने हिंदू अमेरिकन कम्युनिटी के लिए पॉलिसी पेपर की मांग की है। हालांकि, बिडेन की टीम की ओर से इस मामले में उनके समर्थन जैसी कोई बात नहीं कही गई है।

अभी तक बिडेन की छवि भारत के दोस्त जैसी

बराक ओबामा की सरकार के दौरान 8 साल तक उप-प्रमुख रहते जो बिडेन भारत के प्रति मित्रता भरे व्यवहार के लिए पहचाने गए हैं। सेनेटर के तौर पर अपनी लंबी यात्राओं में उन्होंने भारत से जुड़े मामलों को समर्थन ही दिया है। इतना ही नहीं उपराष्ट्रपति रहते हुए बिडेन ने दीपावली भी मनाई थी।

अमेरिका में हिन्दू कितने, मुस्लिम कितने?

गैर-राजकीय अमेरिकन संस्था प्यु रिसर्च सेन्टर के अनुमान के मुताबिक, अमेरिका में मुस्लिमों की आबादी 34 लाख के आसपास है। इसमें दक्षिण एशियन और अरब मुस्लिमों का हिस्सा सबसे ज्यादा है। वहीं, हिंदुओं की आबादी 22 लाख के आसपास है। अमेरिका की कुल जनसंख्या के अनुसार, हिन्दुओं को अमेरिका में चौथे नंबर का धार्मिक समुदाय का दर्जा प्राप्त है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.