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जवानों को सख्त जरूरत, लेकिन कीमत के चलते क्लाशनिकोव असॉल्ट राइफल में देरी

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यह कमेटी भारत-रूस के साझा व्यापार की ओर से बनाई जा रही 6.71 लाख एके-203 के दाम पर चर्चा को लेकर बनाई गई थी। ये राइफल उत्तर प्रदेश के अमेठी में कोरवा आयुध कारखाने में बनाई जानी है। सूत्रों की मानें तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस के दौरे के दौरान रूस के उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव और रक्षा मंत्री सर्जी सोउगू के साथ इस बारे में चर्चा की।
रक्षा मंत्रालय की ओर से बनाई गई पांच सदस्यीय लागत कमेटी ने यह सुझाव रखा है कि 7.62*39 एमएम कैलिबर की एके-203 के उचित दाम लिए जाएं। भारतीय ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी)और रूस की रोसोनबोरोन एक्सपोर्ट और क्लाशनिकोव कंपनी ने मिलकर एक साझा कंपनी बनाई है जिसका नाम है आईआरआरपीएल।
साल 2019 में बनी इस कंपनी का उद्देश्य लागत कमेटी के साथ आंकड़े और कीमत साझा करना था। रक्षा अधिग्रहण काउंसिल, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री करते हैं, उन्होंने जनवरी 2019 में 6.71 लाख एके-203 राइफल को 4,358 करोड़ की कीमत पर सप्लाई करने की जरूरी स्वीकृति दे दी थी।

सूत्रों की मानें तो दोनों देशों की साझा कंपनी ने पहले टेक्नो-कमर्शियल बोली के विस्तार पर जोर दिया लेकिन फरवरी में जब बोली लग गई तब कंपनी ने बताया कि राइफल की कीमत बेंचमार्क कीमत से थोड़ी ज्यादा रहेगी। एके-203 राइफल की कीमत तय करने में काफी समय लगा।

ओएफबी ने राइफल बनाने के लिए जो कीमत रखी वो 5.56 एमएम की आईएनएसएएस (इंडियन स्मॉल आर्म सिस्टम) और 7.62 एमएम ट्रिची असॉल्ट राइफल की तुलना में काफी ज्यादा थी। एके-203 प्रोजेक्ट की मांग लंबे समय से चली आ रही है, इससे लगभग 14 लाख सैनिकों की ताकत और बढ़ जाएगी।

 

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