चीनी सामान पर सख्ती की तैयारी, ऑनलाइन सामान बेचने से पहले कंपनी को बताना होगा कि सामान भारतीय है या नहीं
नई दिल्ली. लद्दाख में भारत की सीमा पर चीन की हरकत और 20 भारतीय जवानाें की शहादत के बाद देशभर में चीन में बने उत्पादाें के बहिष्कार की आवाज उठ रही है। इस बीच, केंद्र सरकार भी चीन से आयात कम करने के रास्ते तलाश रही है। वाणिज्यिक एवं उद्याेग मंत्रालय ई-काॅमर्स पाॅलिसी में अहम प्रावधान करने जा रहा है।
अब ई-कॉमर्स कंपनियों काे अनिवार्य रूप से यह बताना हाेगा कि वे जाे सामान बेच रही हैं, वह भारत में बना है या नहीं। मसाैदे से जुड़े मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘हम इसे लागू करने पर सक्रियता से विचार कर रहे हैं। इससे चीन के आयात को कम करने में मदद मिलेगी।’
31 मार्च 2020 काे खत्म हुए वित्त वर्ष के शुरुआती 11 महीनाें में चीन का भारत के साथ काराेबार 3.57 लाख कराेड़ रुपए (47 अरब डाॅलर) पहुंच गया था। मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, यह एक तरह का चेकमार्क हाेगा, जहां ग्राहक के पास मेड इन इंडिया सामान खरीदने का विकल्प माैजूद हाेगा। पाॅलिसी काे जल्द ही इस आम लाेगाें के सुझावाें के लिए सार्वजनिक किया जाएगा। औपचारिकताओं के बाद इसे लागू किया जाएगा।
“मेड इन इंडिया” ऐप से जानें सामान भारतीय है या नहीं
बाजार में बिकने वाले हर पैक्ड सामान पर एक बारकाेड हाेता है। इससे आसानी से यह पता लगाया जा सकता है कि वह सामान भारत में बना है या किसी अन्य देश में। प्ले स्टाेर पर “मेड इन इंडिया” एप उपलब्ध है। इसके जरिये किसी भी सामान के बारकाेड काे स्कैन कर यह जाना जा सकता है कि वह किस देश में बना है।
चीन की 35 से अधिक कंपनियों का निवेश
अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट एंड द हेरिटेज फाउंडेशन की रिपाेर्ट के मुताबिक, चीन की 35 से अधिक ऐसी कंपनियां हैं जिन्हाेंने भारत में 2008 से 2019 के बीच 10 करोड़ डाॅलर से अधिक निवेश किया है। इनमें अलीबाबा ने 12 सालाें में 11,252 करोड़ रुपए का निवेश किया है। यही नहीं, चीन की बड़ी कंपनियों की आगे भी निवेश की तैयारी है। जैसे फोसुन समूह बेंगलुरू की रियल एस्टेट कंपनी का 51% हिस्सा खरीदने के अंतिम चरण में है।
12 साल में बढ़ता गया भारत में निवेश
कंपनी | राशि |
अलीबाबा | 11,252 |
मिनमेटल्स | 9,120 |
सिंगशान स्टील | 8,816 |
सीट्रिप | 8,284 |
फुसान | 8,208 |
बीबीके इले. | 4,256 |
शंघाई ऑटाे | 2,660 |
-राशि करोड़ रुपए में। |