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कोरोना पर आयुष मंत्रालय का प्रोटोकॉल:कोरोना के हल्के और एसिंप्टोमैटिक मरीजों का आयुर्वेद से भी इलाज होगा, सरकार ने गुडुची, पिप्पली और आयुष-64 दवा का कॉम्बिनेशन बताया

वर्चुअल प्रोग्राम के जरिए आयुष राज्यमंत्री श्रीपद नाइक और डॉ. हर्षवर्धन की मौजूदगी में प्रोटोकॉल जारी किया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोविड के क्लीनिकल मैनेजमेंट के लिए प्रोटोकॉल जारी किया मेडिकल स्टडी में पुष्टि हुई कि कोरोना से बचाव में आयुर्वेदिक औषधियां काम आती हैं- हर्षवर्धन

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मंगलवार को कोविड के क्लीनिकल मैनेजमेंट के लिए प्रोटोकॉल जारी किया। इसमें कोरोना संक्रमण की रोकथाम, हल्के लक्षण और एसिंप्टोमैटिक मरीजों के इलाज के लिए खान-पान संबंधी उपाय, योग, जड़ी-बूटियों, अश्वगंधा और आयुष-64 के इस्तेमाल की बात कही है।

हर्षवर्धन ने मंगलवार को कहा- मेडिकल स्टडी से इस बात की पुष्टि हुई है कि कोरोना से बचाव में अश्वगंधा, लौंग, गिलोय और आयुष-64 जैसी आयुर्वेदिक औषधियां काम आती हैं। यह प्रोटोकॉल न केवल कोरोना के मैनेजमेंट के लिए एक जरूरी कदम है, बल्कि इस ट्रेडिशनल नॉलेज से आधुनिक समय की मेडिकल प्रॉब्लम्स को भी हल किया जा सकता है।

1. एसिंप्टोमैटिक और हल्के लक्षण वालो का इलाज कैसे?

  • प्रोटोकॉल के मुताबिक, हल्के लक्षणों वाले और एसिंप्टोमैटिक कोरोना मरीज 15 दिन, एक महीने या आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से दिन में दो बार गर्म पानी के साथ अश्वगंधा या इसका चूर्ण, 15 दिन तक लेना चाहिए।
  • दिन में दो बार गर्म पानी के साथ 375 मिलीग्राम गुडुची और पिप्पली और दिन में दो ही बार 500 मिलीग्राम की आयुष-64 टैबलेट लेनी चाहिए।
  • हल्के लक्षणों वाले मरीजों को अगर सांस लेने में तकलीफ न हो या ऑक्सीजन का स्तर कम न हो तो 15 दिन तक या आयुर्वेदिक डॉक्टर के सलाह के अनुसार, दिन में दो बार गर्म पानी के साथ 375 मिलीग्राम गुडुची और पिप्पली और दिन में दो ही बार 500 मिलीग्राम की आयुष-64 टैबलेट लेनी चाहिए।
  • इन दवाइयों को लेने के साथ खानपान संबंधी या अन्य नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए।

2. संक्रमण से बचने के लिए क्या करें?

  • सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई और हाथों की स्वच्छता के अलावा मास्क पहनना जरूरी है।
  • एक चुटकी हल्दी और नमक को गर्म पानी में डालकर गरारे करें। त्रिफला और यष्टीमधु यानी मुलेठी को पानी में उबालकर उससे गरारे करें।
  • अणु तेल, षडबिन्दु, तिल का तेल या नारियल का तेल की बूंदें नाक में डाली जा सकती हैं।
  • गाय के घी को भी दिन में एक या दो बार नाक में डालना चाहिए, खासकर जब घर से बाहर जाना हो और बाहर से घर लौटे हों।
  • यूकेलिप्टस के तेल, अजवाइन या पुदीने को पानी में डालकर दिन में एक बार भाप लेना चाहिए।
  • कम से कम छह से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। कसरत करनी चाहिए और योग प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए।
  • अदरक, धनिया, तुलसी की पत्ती या जीरा डालकर उबाले गए पानी को पीना चाहिए।
  • ताजा, गर्म और संतुलित खाना खाएं। आधा चम्मच हल्दी 150 एमएल गर्म दूध में डालकर रात में पीना चाहिए। अपच होने पर दूध नहीं पीना चाहिए।
  • आयुष काढ़ा या क्वाथ दिन में एक बार लेना चाहिए।

3. संक्रमित के संपर्क में आने पर क्या करें?

  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर या जिन इलाकों में ज्यादा मामले हों, वहां के लोगों को 15 दिन, एक महीने या आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लें।
  • दिन में दो बार गर्म पानी के साथ अश्वगंधा या इसका चूर्ण, दिन में दो बार गिलोय घनवटी लेना चाहिए।
  • दिन में एक बार गर्म पानी के साथ च्यवनप्राश लेना चाहिए।

4. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए क्या करें?

  • कई आसनों के बारे में बताया गया है, जिनसे सांस संबंधी समस्याएं ठीक होती हैं और तनाव कम होता है।
  • योग से रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी बढ़ती है। कोरोना से ठीक हुए लोगों के लिए आसन बताए गए हैं, जिनसे फेफड़े की क्षमता बढ़ती है। चिंता, बेचैनी कम होती है।
  • बुखार के साथ बदन दर्द, सिर दर्द, खांसी, गले की खराश, स्वाद का खत्म होना, थकान, ऑक्सीजन की कमी, डायरिया और दम फूलने की स्थिति में ली जाने वाली कुछ आयुर्वेदिक दवाएं भी बताई गई हैं।

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