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कोरोना के न्यू हॉटस्पॉट:देश के 54% नए केस गांवों में मिले, अप्रैल में 415 जिलों में कोरोना के 10 से कम केस थे, अब ऐसे जिलों की संख्या सिर्फ 14

जुलाई महीने में 51% कोरोना के नए केस गांवों मिले हैं,वहीं अगस्त महीने में 13 तारीख तक 54% नए केस में पाए गए हैं जिन जिलों में सबसे ज्यादा मामले आए, उनमें आंध्र प्रदेश का ईस्ट गोदावरी, महाराष्ट्र का जलगांव, ओडिशा का गंजाम और कर्नाटक का बालारी शामिल

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लॉकडाउन लगने के बाद देशभर में बड़ी संख्या में श्रमिक पलायन करने पे मजबूर हुए। इनमें से ज्यादातर शहरों से गांव में लौटे हैं। – फाइल फोटो

 

दुनिया में कोरोना का कहर जारी है। संक्रमित मरीजों की संख्या 2.18 करोड़ के पार पहुंच चुकी है, करीब 7.74 लाख लोगों की जान भी गई है। भारत की बात करें तो संक्रमित मरीजों की संख्या 27 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। 51,797 लोगों की मौत भी हुई है।

एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट आई है। इसमें अप्रैल से लेकर 13 अगस्त तक के आंकड़े हैं। इसके मुताबिक, रूरल एरिया के जिलों में कोरोना के मामले बढ़े हैं। जुलाई महीने में 51% कोरोना के नए केस ग्रामीण जिलों में मिले हैं, वहीं अगस्त महीने में 13 तारीख तक 54% नए केस पाए गए हैं।

इस महीने में 50 ऐसे जिले जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले आए, उनमें आंध्र प्रदेश के 13 जिले हैं, इनमें से 11 जिले रूरल एरिया के हैं। इसके बाद महाराष्ट्र हैं, जहां के 12 जिलों में से 6 रूरल एरिया के हैं।

जिन जिलों में सबसे ज्यादा मामले आए, उनमें आंध्र प्रदेश का ईस्ट गोदावरी, महाराष्ट्र का जलगांव, ओडिशा का गंजाम और कर्नाटक का बालारी शामिल है। ईस्ट गोदावरी अपने राज्य के इकोनॉमी में 11 फीसदी कॉन्ट्रीब्यूट करता है।

लॉकडाउन लगने के बाद देशभर में बड़ी संख्या में श्रमिक पलायन करने पे मजबूर हुए। इनमें से ज्यादातर शहरों से गांव में लौटे हैं। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कम से कम 40 करोड़ लोग गरीबी में जीवन जीने पर मजबूर हुए हैं।

इन क्षेत्रों में कोरोना के मामले बढ़ने से सबसे ज्यादा परेशानी गरीबों को हो रही है। यूपी और बिहार की ज्यादातर आबादी गांवों में रहती है। बिहार की 90 फीसदी आबादी करीब गांवों में रहती है। ताजा डेटा के मुताबिक बिहार में 10 हजार लोगों पर एक बेड और 4 डॉक्टर हैं।

मीडिया रिपोर्ट मुताबिक, एक महीना पहले तक किसी भी ग्रामीण जिले में कोरोना के 10 हजार मामले नहीं थे। लेकिन, अब तीन जिलों में 10 हजार से ज्यादा मामले हैं, जबकि 4 जिले ऐसे हैं, जहां 5 हजार केस हैं।

देश में कब पीक पर होगा कोरोना

एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जब भारत में रिकवरी रेट 75 फीसदी पार हो जाएगी, तब कोरोना अपने पीक पर होगा। अभी भारत की रिकवरी रेट 72 करीब फीसदी है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रिकवरी रेट और पीक रेट में कोई ठोस संबंध नहीं मिला है। ब्राजील में जब रिकवरी रेट 69 फीसदी था, तब वहां पीक पर पहुंचा था जबकि अमेरिका में दो दो बार पीक पर कोरोना पहुंच गया है।

पांच राज्यों में पीक पर पहुंचा कोरोना
अगर राज्यों की बात करें तो देश के पांच राज्य दिल्ली, त्रिपुरा, गुजरात, तमिलनाडु और जम्मू कश्मीर में कोरोना पीक पर पहुंच गया है। जबकि महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में अभी आने वाला है। रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं लेकिन उसके मुकाबले टेस्ट पर मिलियन रेट कम है।

भारत में 22 दिन में कोरोना के केस डबल हो रहे हैं। जबकि दुनिया में 43 दिन में मामले दोगुने हो रहे हैं। भारत में 100 से एक लाख केस होने में 65 दिन लगे थे और फिर एक लाख से 10 लाख पहुंचने में सिर्फ 59 दिन लगे।

भारत की जीडीपी 16.5 फीसदी घट सकती है
रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (मार्च से जून) में भारत की जीडीपी 16.5 फीसदी घट सकती है। हालांकि, इससे पहले मई में जारी इसी रिपोर्ट में फर्स्ट क्वार्टर में देश की जीडीपी में 20 फीसदी गिरावट की आशंका जाहिर की गई थी।

अगर देशभर के राज्यों की जीडीपी की बात करें तो कुल 38 लाख रुपए का घाटा कोरोना की वजह से होने का अनुमान है। जो राज्यों की कुल जीडीपी का 16.9% है। वहीं पर कैपिटा इनकम की बात करें तो भारत में फाइनेंशियल ईयर 2021 में 27 हजार रु घाटा होगा जबकि तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, तेलंगाना, हरियाणा और गोवा जैसे राज्यों में प्रति व्यक्ति इस वर्ष 40 हजार रु घाटे का अनुमान है।

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