Newsportal

कोरोना के दौर में ऑनलाइन कोचिंग:देश में 7.10 करोड़ छात्र कोचिंग या ट्यूशन पढ़ते हैं, 90% छात्र अब क्लास रूम की जगह ऑनलाइन कोचिंग को तरजीह दे रहे

करीब 5 महीने तक नुकसान झेलने के बाद अब देश में ऑनलाइन कोचिंग का दौर शुरू हो रहा है कोरोना की वजह से देश में 75 हजार करोड़ के कोचिंग कारोबार को भारी नुकसान पहुंचा है

0 114

देश में बहुत कम लोग होंगे, जिन्होंने दिल्ली, इलाहाबाद और कोटा के कोचिंग संस्थानों के बारे में नहीं सुना हो। कोरोना की वजह से देश में 75 हजार करोड़ के कोचिंग कारोबार को भारी नुकसान पहुंचा है। करीब 5 महीने तक नुकसान झेलने के बाद अब देश में ऑनलाइन कोचिंग का दौर शुरू हो रहा है। कई नामी-गिरामी संस्थानों ने ऑनलाइन कोचिंग शुरू की है।
एक सर्वे से पता चला है कि तकनीक के बेहतर होने व इसकी पहुंच बढ़ने से अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले 90 फीसदी छात्र क्लास रूम की जगह ऑनलाइन कोचिंग को ही तरजीह दे रहे हैं।
देश में कोचिंग का क्या है कारोबार?

  • देश में हाल के सालों में कोचिंग का कारोबार तेजी से बढ़ा है। इलाहाबाद और दिल्ली जैसे शहरों को छोड़ भी दें तो हाल के सालों में राजस्थान का अनाम-सा शहर कोटा देश के सबसे बड़े कोचिंग हब के तौर पर उभरा है। उद्योग-व्यापार संगठन एसोचैम ने 2013 में अपनी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि 2017 तक देश में कोचिंग उद्योग बढ़कर 5.2 लाख पहुंच जाएगा।
  • वैसे, असंगठित क्षेत्र की वजह से इस कारोबार के सटीक टर्नओवर का अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन 2014 में नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि देश में फिलहाल 7.10 करोड़ छात्र कोचिंग या निजी ट्यूशन करते हैं। अब ये छात्र धीरे-धीरे ऑनलाइन कोचिंग की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। पहले ये ऑफलाइन यानी क्लासरूम में कोचिंग कर रहे हैं।

क्यों बढ़ रहा ऑनलाइन कोचिंग का कारोबार?

  • दरअसल, स्कूलों में पढ़ाई और शिक्षकों के खराब स्तर के साथ ही इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट संस्थानों में दाखिले के लिए बढ़ती होड़ ने कोचिंग के कारोबार को फलने-फूलने में मदद पहुंचाई है।
  • कोटा की कामयाबी के पीछे भी यही वजहें हैं। वहां तमाम कोचिंग संस्थानों में छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के पाठ्यक्रम और पैटर्न को घुट्टी में भर कर पिलाया जाता है।

कोरोना के बाद कोचिंग वाले शहरों में क्या बदला?

  • कोरोना की वजह से दिल्ली, इलाहाबाद, कोटा जैसे शहरों से छात्रों के घर लौट जाने के कारण स्थानीय लोगों की आमदनी अचानक गिर गई। कई कोचिंग संस्थानों को भी छात्रों से ली हुई एडवांस फीस लौटानी पड़ी है। लेकिन, अब ऑनलाइन कोचिंग के रास्ते ऐसे संस्थान नुकसान की भरपाई कर दोबारा अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास कर रहे हैं।
  • कंपटीशन कोचिंग क्लासेज अमूमन फरवरी तक चलते हैं, यानी कोरोना के पांव पसारने से पहले ही 2019-20 के बैच की कोचिंग तो पूरी हो चुकी थी। अगले बैच के लिए दाखिला भी हो चुका था, लेकिन अचानक लॉकडाउन की वजह से छात्र यहां नहीं आ सके।

ऑनलाइन कोचिंग में कैसे हो रही पढ़ाई?

  • अब बड़े शहरों में तमाम कोचिंग संस्थान ऑफलाइन की जगह ऑनलाइन कोचिंग की राह पर चल रहे हैं। इसके लिए ज्यादातर संस्थानों ने अपनी फीस नहीं बढ़ाई है। इसके साथ ही छात्रों को किश्तों में भुगतान की सुविधा भी दी जा रही है।
  • नई दिल्ली के मुनरिका, लक्ष्मीनगर, मुखर्जी नगर और कालू सराय इलाकों में आईआईटी और सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाओं के लिए सैकड़ों कोचिंग संस्थान चलाए जाते हैं, इनमें से भी ज्यादातर अब ऑनलाइन की राह अपना रहे हैं।
  • जयपुर का गोपालपुरा बाइपास इलाका भी हाल के सालों में कोचिंग हब के तौर पर उभरा है। कोरोना की वजह से महीनों से जारी लॉकडाउन और भविष्य में ऑफलाइन पढ़ाई को लेकर गहराती अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए कोचिंग संस्थान से लेकर इनमें पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र भी अब डिजिटल कोचिंग के पक्ष में हैं। उनके सामने दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है।

ऑनलाइन कोचिंग के क्या हैं फायदे?

  • ऑनलाइन कोचिंग के अपने फायदे भी हैं, एक साल कोटा में मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की कोचिंग लेकर लौटे कोलकाता के समीरन बनर्जी कहते हैं, “हम घर बैठे आराम से पढ़ाई कर सकते हैं। हमें लंबी यात्रा नहीं करनी होगी। इसके अलावा इसमें खर्च भी कम है। मुझे कोटा में रहने-खाने के लिए हर महीने 20 हजार रुपए देने होते थे।”

कितने छात्र ऑनलाइन कोचिंग कर रहे हैं?

  • केपीएमजी की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 में ऑनलाइन कोचिंग करने वाले छात्रों की तादाद महज 16 लाख थी। 2021 में इसके बढ़ कर 96 लाख तक पहुंच जाने की उम्मीद है।
  • एक कोचिंग संस्थान के संचालक मिहिर कुमार बर्मन कहते हैं, “अब बेहतर तकनीक की वजह से ऑनलाइन पढ़ाई या कोचिंग में पहले जैसी दिक्कतें नहीं रहीं। अब वर्चुअल क्लासरूम में छात्र अपने शिक्षकों से उसी तरह सवाल पूछ सकते हैं, जिस तरह सामान्य कक्षा में पूछा जाता है।”
  • अन्य कई छात्रों का भी कहना है कि इंटरनेट की बढ़ती पहुंच, कोचिंग के नए-नए ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसी चीजों से अब कई मिथक टूटे हैं। पहले माना जाता था कि ऑनलाइन शिक्षा या कोचिंग उतनी असरदार नहीं हो सकती, लेकिन अब तमाम पाठ्यक्रम डिजिटल स्वरूप में मौजूद हैं, बेहतर क्वॉलिटी के वीडियो लेक्चर उपलब्ध हैं, इसकी वजह से छात्र पढ़ाई में काफी सहज हो गए हैं।

एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

  • एजुकेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर बच्चे कंफर्ट हैं। कोलकाता में एक मशहूर कोचिंग संस्थान में फिजिक्स पढ़ाने वाले गौतम सेन कहते हैं, “कोचिंग संस्थानों को शुरुआती दौर में भले झटका लगा हो, लेकिन अब उन्होंने तेजी से कायाकल्प करते हुए डिजिटल कोचिंग की वैकल्पिक राह चुन ली है। ऑनलाइन कोचिंग से देश के छोटे शहरों में रहने वाले ऐसे छात्र भी लाभ उठा सकते हैं, जो पहले बेहतर संस्थान नहीं होने की वजह से कोचिंग नहीं कर पाते थे।”
  • टीचर मनोजित बागची कहते हैं, “ऑनलाइन कोचिंग के व्यापक होने की स्थिति में कोटा और कुछ अन्य शहरों में बने कथित कोचिंग हब का वर्चस्व टूट जाएगा। हालांकि, इसमें अभी कुछ समय लगेगा, लेकिन इसकी शुरुआत तो हो ही चुकी है।”

कोटा की कैसे बदली कहानी?

  • राजस्थान के कोटा में तो इस कारोबार से हजारों लोग जुड़े हैं। यहां पेइंग गेस्ट और होटल, टिफिन सर्विस और दूसरे कई सैकड़ों छोटे कारोबार इसी के भरोसे चलते हैं।
  • दो दशक पहले तक इस शहर को जेके सिंथेटिक्स और दूसरी छोटी-मोटी निर्माण कंपनियों के लिए जाना जाता था, लेकिन 1997 में जेके मिल के बंद होने से पांच हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए थे। उसके बाद 2017 में सरकारी इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड भी बंद हो गई, लेकिन उससे पहले ही इस शहर ने कोचिंग के तौर पर आजीविका की नई राह तलाश ली थी।
  • जेके सिथेंटिक्स के एक रिटायर इंजीनियर बीके बंसल ने 1983 में यहां एक छात्र को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया था। फिर उन्होंने बंसल कोचिंग की स्थापना की जो नब्बे के दशक तक आईआईटी में प्रवेश के इच्छुक छात्रों के लिए हब बन गई। उसके बाद देखादेखी कई अन्य संस्थान भी शुरू हुए।

कोटा में कितने छात्र आते हैं?

  • कोरोना से पहले हालत यह थी कि हर साल देश के कोने-कोने से करीब दो लाख छात्र उज्ज्वल भविष्य का सपना लिए कोटा शहर में पहुंचते थे।
  • कोचिंग संस्थानों के साथ ही यहां पीजी, होटल, रेस्तरां और कई अन्य सहायक कारोबार की शुरुआत हुई और देखते-देखते कोटा देश ही नहीं विदेश में भी आईआईटी छात्रों की फैक्टरी के तौर पर मशहूर हो गया।

कोटा में कमाई का क्या है जरिया?

  • लंबे अरसे से कोटा की पूरी अर्थव्यवस्था कोचिंग के कारोबार पर ही खड़ी है। कोटा में एक पीजी चलाने वाले रामप्रवेश दूबे बताते हैं, “शहर में रहने वाला लगभग हर व्यक्ति अपनी रोजी-रोटी के लिए कुछ हद तक बाहरी छात्रों पर निर्भर था। कइयों की रोजी-रोटी तो घर के किराए से ही चलती थी।”
  • एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाने वाले सुमित बागची बताते हैं, “कोटा में कम से कम तीन हजार हॉस्टल और डेढ़ हजार मेस हैं, इसी से पता चलता है कि कोचिंग के कारोबार की कितनी अहमियत है।”

Leave A Reply

Your email address will not be published.