Newsportal

कानपुर शूटआउट / विकास दुबे के साथी प्रभात मिश्रा का कानपुर में एनकाउंटर, गैंग का दूसरा बदमाश रणवीर इटावा में ढेर; विकास की तलाश में 3 राज्यों में छापे

प्रभात की गिरफ्तारी फरीदाबाद से हुई थी, कानपुर लाते वक्त उसने भागने की कोशिश की थी, एकदम फिल्मी है विकास दूबे की कहानी, सनी देओल की वजह से बन गया ‘विकास पंडित

0 160

  • इटावा में रणवीर उर्फ बाऊउन के एनकाउंटर की लोकेशन पर पुलिस।इटावा में रणवीर उर्फ बाऊउन के एनकाउंटर की लोकेशन पर पुलिस।
  • प्रभात की गिरफ्तारी फरीदाबाद से हुई थी, कानपुर लाते वक्त उसने भागने की कोशिश की थी
  • विकास दुबे मंगलवार को फरीदाबाद में देखा गया, पुलिस के पहुंचने से पहले ही फरार हो गया

कानपुर. कानपुर शूटआउट के मुख्य आरोपी विकास दुबे का साथी प्रभात मिश्रा भी मारा गया है। प्रभात को पुलिस ने बुधवार को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया था। कानपुर लाते वक्त उसने भागने की कोशिश की और पुलिस की पिस्टल छीनकर फायरिंग कर दी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में प्रभात को गोली लग गई और उसकी मौत हो गई। दूसरी ओर विकास दुबे गैंग के रणवीर उर्फ बाऊउन को पुलिस ने इटावा में मार गिराया।

पुलिस ने बुधवार को ही विकास के करीबी अमर दुबे का भी एनकाउंटर कर दिया था। अमर हमीरपुर में छिपा था। कानपुर के बिकरू गांव में 2 जुलाई को 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद अब तक विकास गैंग के 5 लोग एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं। विकास की तलाश में यूपी के अलावा दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान पुलिस अलर्ट है। विकास मंगलवार को फरीदाबाद के एक होटल में देखा गया था, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही फरार हो गया।

विकास दुबे की निजी जिंदगी से कराते हैं रूबरू, प्यार, शादी और फिर मिला धोखा

कानपुर: विकास दुबे ने अपने एक चेहरे के पीछे इतने चेहरे छिपा रखे हैं कि उसे अच्छे अच्छे लोग नहीं पहचान पाएं। दुश्मनी निभाने में उसने अपने खास रिश्तेदारों को भी नहीं छोड़ा। न केवल चचेरे भाई की हत्या में उसका हाथ रहा, बल्कि प्रेमिका से पत्नी बनी युवती और उसके भाई तक का भी दुश्मन बन गया। इन दोनों की हत्या के लिए वह लंबे वक्त तक प्रयास करता रहा। आखिरकार विकास के डर के कारण युवती उसकी शरण में आ गई और भाई हमेशा के लिए यूपी छोड़कर चला गया। यह कहानी है शास्त्री नगर के कुख्यात बदमाश राजू खुल्लर और उसकी बहन सोनू की। आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हुए राजू और विकास दुबे वर्ष 1995 में एक दूसरे के संपर्क में आए। कुछ ही वक्त में राजू विकास का अच्छा दोस्त बन गया।

राजू खुल्लर विकास के बहुत से गैर कानूनी धंधे संभालने लगा। घर में आने जाने के कारण उसकी बहन सोनू से विकास के प्रेम संबंध हो गए। उसके बाद में विकास ने सोनू से शादी की तो राजू साला बन गया। इन वर्षों में विकास ने बहुत सारी दौलत कमाई। सभी सोनू के नाम करता चला गया। विकास के साथ राजू खुल्लर की भी ताकत बढ़ती चली गई। वर्ष 2000 में ताराचंद्र इंटर कालेज के सेवानिवृत्त प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडेय और वर्ष 2001 में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री की हत्या के बाद विकास कभी जेल में रहा तो कभी भागता फिरता रहा। अगले पांच वर्ष इसी तरह से बीते। इस दौरान विकास की सभी सत्ता बहुत हद तक राजू खुल्लर और उसकी बहन सोनू के पास ही रही। इसी बीच सोनू के संबंध विकास के एक बेहद ही खास शख्स से हो गए। तीनों ने विकास से दूरी बनाने की कोशिश की। राजू बहन सोनू को लेकर बहुत वक्त तक गायब रहा।

Vikas Dubey

राजू सोनू के नाम विकास की खरीदी हुई जमीनों को बेचने की कोशिश में लग गया था। इसी बीच संतोष शुक्ला हत्याकांड में विकास आजाद हो गया। राजू और सोनू की इस हरकत का पता चलने पर वह बहुत गुस्से में आ गया। उसे सोनू के बेवफा होने से अधिक अपनी संपत्तियों के जाने का डर था। अपने दर्जनों गुर्गे राजू और सोनूूूूूूूूू को जिंदा या मुर्दा पकड़कर लाने के लिए लगा दिए। उस दौर के प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं कि सोनू की तलाश में विकास दुबे ने शास्त्री नगर स्थित उसके घर पर धावा बोला था। उस समय उसने मोहल्ले के कई घरों की तलाशी ली थी। लेकिन सोनू नहीं मिली। इस बेवफाई से विकास इतना ज्यादा बौखला गया था कि राजू का यूपी में रहना उसने मुश्किल कर दिया।

भाई के फरार होने और विकास के नजदीकी व्यक्ति के साथ देने से मना करने पर सोनू ने विकास के सामने खुद को सौंप दिया। कहते हैं कि उसके बाद सोनू ने नाम बदलकर विकास का काम संभाल लिया। चर्चाएं तो ये भी हैं कि विकास दुबे के लखनऊ आवास में बतौर पत्नी साथ रहने वाली महिला रिचा दुबे ही सोनू है। अपराध की दुनिया में वह विकास दुबे की हर कदम पर साथ देती रही है। यहां तक कि वह घरों के सीसीटीवी कैमरे अपने मोबाइल से आपरेट करती रहती है। घर पर दबिश की सभी सूचनाएं विकास को देती है।

 

एकदम फिल्मी है विकास दूबे की कहानी, सनी देओल की वजह से बन गया ‘विकास पंडित’

sunny vikash

सनी देओल की फिल्म अर्जुन पंडित साल 1999 में रिलीज हुई थी, ये वही दौर था, जब विकास दूबे की अपराध की दुनिया में एंट्री हुई थी, विकास की कहानी भी फिल्मी ही है।

यूपी पुलिस से छिपकर भाग रहे कुख्यात विकास दूबे को फिल्मों का बहुत शौक है, एक्टर सनी देओल उसके फेवरेट हैं, खासकर विकास दूबे को उनकी फिल्म अर्जुन पंडित बहुत पसंद है, इस फिल्म को विकास ने सैकड़ों बार देखा है, फिल्म में सनी देओल के किरदार से विकास इतना प्रभावित हुआ कि उसने भी अपना नाम पंडित कर लिया, उसके साथ रहने वाले गुर्गे से लेकर आस-पास के गांव के लोग भी उसे पंडित कहकर ही बुलाते हैं, चौबेपुर थाने के एसएचओ से लेकर कास्टेबल तक उसे इसी नाम से जानते हैं।

1999 में रिलीज हुई थी फिल्म
आपको बता दें कि सनी देओल की फिल्म अर्जुन पंडित साल 1999 में रिलीज हुई थी, ये वही दौर था, जब विकास दूबे की अपराध की दुनिया में एंट्री हुई थी, विकास की कहानी भी फिल्मी ही है,अर्जुन पंडित देखने के बाद विकास ने अपने गुर्गों से कहा था कि वो उसे पंडित कहकर बुलाये, इस नाम को सुनते ही विकास का चेहरा चमकने लगता था।

भेष भदलने में माहिर
विकास दूबे की तलाश में यूपी पुलिस की 50 से ज्यादा टीमें ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है, लेकिन अभी तक विकास पुलिस की गिरफ्त से बाहर है,Vikas homeजानकारों का कहना है कि विकास मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करता है, दूसरी आशंका ये जाहिर की जा रही है कि वो भेष बदलने में माहिर है, वो दूसरे प्रदेश में जाकर खेतों में मजदूरी या कुछ छोटे-मोटे काम भी कर सकता है। हालांकि पुलिस दूसरे प्रदेशों में भी दबिश दे रही है।

राजनीति में रुचि
विकास राजनीति में भी सक्रिय था, साल 2015 में नगर पंचायत चुनाव भी जीता था, स्थानीय नेताओं का उसे संरक्षण प्रप्त था, सपा-बसपा में रहने के बाद भी वो बीजेपी के भी आसपास मंडराता रहता था,Vikas Dubeyसूत्रों का दावा है कि सीएम योगी ने विकास के किन-किन नेताओं से लिंक थे, उन सभी नेताओं और अधिकारियों की सूची तैयार करने को कहा है।

अब तक कैसे बचता रहा
आपको बता दें कि विकास दूबे ने 2001 में राज्यमंत्री संतोष शुक्ला का थाने में घुसकर हत्या की थी, हालांकि 2005 में वो इस केस से बरी हो गये,संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला ने बताया कि पुलिस में उसकी जबरदस्त पैठ थी, उसके खिलाफ कमजोर चार्जशीट तैयार की गई, साथ ही पुलिस वाले बयान से मुकर गये, जिसकी वजह से वो इस केस से बरी हो गया, 2005 में तत्कालीन सरकार इसके खिलाफ हाई कोर्ट भी नहीं गई, क्योंकि उसे बसपा का संरक्षण प्राप्त था, फिर प्रिंसिपल केस में उसे उम्रकैद की सजा हुई, लेकिन आम चुनाव से पहले सत्तारुढ दल के एक नेता ने उसे जेल से बाहर निकलवाने में मदद की, जिसकी वजह से अब उसने 8 पुलिसवालों को मार दिया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.