90 के दशक की शुरुआत में जब एस. विश्वनाथन और उनकी पत्नी चित्रा बेंगलुरु में घर ढूंढ रहे थे, तब इन्हें ऐसा घर चाहिए था जो पर्यावरण के अनुकूल हो। शायद इस दंपति को भविष्य में दुनिया भर में होने वाली पानी की किल्लत के बारे में पहले से अनुमान हो गया था।
दरअसल, इसका एहसास इन्हें उस दिन हुआ, जब 1990 में इनके घर में बाढ़ का पानी घुस आया और पीने का पानी इन्हें टैंकर से मंगवाना पड़ा।
विश्वनाथन एक सिविल इंजीनियर होने के साथ अर्बन व रीजनल प्लैनर भी हैं और चित्रा एक आर्किटेक्ट हैं। इन दोनों को पर्यावरण के अनुकूल घर की डिज़ाइन तय करने में ज़्यादा मुश्किल नहीं हुई। इसमें कम से कम प्राकृतिक संसाधन जैसे ऊर्जा, पानी और अन्य सामग्रियाँ लगनी थीं।
आखिरकार, कुछ महीनों में ही विद्यारण्यपुरा में इनका ऐसा घर तैयार हो गया। विश्वनाथन बताते हैं कि इस दोमंज़िले घर में अगर कोई इसके सफ़ेद पेंट वाली जगह के नीचे खड़ा हो जाए तो वह सुहाने मौसम का आनंद ले सकता है।
कुछ कदमों के बाद ही तापमान में बदलाव आ जाता है। यह इस घर का पीला भाग है। इस घर की छत का एक हिस्सा खेती से निकलने वाले कचरे से बना है, जो सतह को गरम होने से बचाता है।
प्राकृतिक हवा और रोशनी के लिए इसमें दरवाजों की जगह खुले मेहराब बनाए गए हैं। इसी के साथ तहखाने की निचली मंज़िल की खिड़कियाँ अंदर की हवा को भीषण गर्मी के दिनों में भी ठंडा रखती हैं।
बाहर से पारंपरिक घर की तरह ही दिखने वाले इस घर में कोई भी पंखा या एयर कंडीशनर नहीं है। इसकी हवादार बनावट के चलते इनकी ज़रूरत ही नहीं है। यहाँ एक टेबल फैन ज़रूर है, पर वह भी इनके पालतू कुत्ते के लिए!
खुले मेहराब की विशेषता बताते हुए विश्वनाथन द बेटर इंडिया से कहते हैं, “ये मेहराब छत के वज़न को दीवारों में बांट देते है, जिससे कंक्रीट का इस्तेमाल कम हो जाता है। ये मेहराब हवा के लगातार बहाव को भी बनाए रखते हैं, जिससे घर में और दरवाजों या दीवारों की ज़रूरत नहीं महसूस होती।”
यह घर सौर ऊर्जा से संचालित है, जिससे बिजली बिल में आम घरों के मुक़ाबले एक-चौथाई की कमी आती है। इसके अलावा, यहाँ पानी गरम करने और खाना बनाने के लिए बायो मास हीटर भी मौजूद है।
इस घर में पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं की सूची और भी लंबी है। इन सुविधाओं के लिए जो व्यवस्था की गई है, वह सस्ती होने के साथ-साथ टिकाऊ भी है।
1. बरसात के पानी का संग्रहण
इस घर में बारिश के पानी के संग्रहण की प्रणाली को अपनाया गया है। विभिन्न तरीकों से इस घर में हर साल करीब एक लाख लीटर पानी संग्रहीत किया जाता है। पीने व खाना बनाने के लिए ‘लाइफलाइन वॉटर’ कहा जाने वाला यह पानी सीढ़ी के कमरों से होता हुआ एक साफ जगह पर जमा किया जाता है। नहाने और कपड़े धोने के लिए करीब 1000 लीटर जल का उपयोग किया जाता है।
इसी के साथ, बेंगलुरु के हर घर की तरह यहाँ एक भूमिगत टैंक भी है, जिसके पानी का दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।