अकेलेपन से जूझ रहे लोगों में स्मोकिंग की आदत अधिक बढ़ सकती है और इसे छोड़ना मुश्किल हो सकता है। यह दावा ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में किया है। शोधकर्ताओं ने लॉकडाउन के बीच अकेलापन और स्मोकिंग पर रिसर्च की।
नतीजे के रूप में सामने आया कि लॉकडाउन में अकेले रह रहे लोगों में स्मोकिंग की लत लग सकती है और जो पहले से ऐसा कर रहे हैं उनके सिगरेट पीने की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। इस दौरान जिनमें मामले बढ़ते हैं उन्हें इस आदत से निकलना आसान नहीं होगा।
इसलिए अकेलेपन में स्मोकिंग के मामले बढ़ते हैं
रिसर्च करने वाली ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, हजार में 100 लोगों ने माना कि अकेलापन ही सीधे तौर पर स्मोकिंग की वजह है। रिसर्च में सामने आया कि सिगरेट लोगों का अकेलापन और बढ़ाती है क्योंकि निकोटीन के कारण दिमाग से डोपामाइन हार्मोन रिलीज होता है, जो उन्हें अच्छा महसूस कराता है, इसलिए लोग बार-बार ऐसा करते हैं।
22 लाख लोगों ने लॉकडाउन में अधिक स्मोकिंग की
ब्रिटिश सरकार के कोरोना ट्रैकर के आंकड़े बताते हैं कि ब्रिटेन में 22 लाख लोगों ने पहले के मुकाबले लॉकडाउन में अधिक स्मोकिंग की। शोधकर्ता डॉ. रॉबिन वुटेन के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण अचानक लोगों के बीच मिलना-जुलना खत्म हुआ। इस दौरान लोगों में अकेलापन महसूस करने के मामले बढ़े।
मूड बेहतर करने के लिए स्मोकिंग करते हैं
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कुछ लोगों में देखा जाता है कि खाने, पीने, सोने और स्मोकिंग का असर आनुवांशिक तौर बदलता है। ये भी स्मोकिंग की तरफ जाने की वजह के लिए जिम्मेदार होते हैं। शोधकर्ता डॉ. जोरियन का कहना है कि धूम्रपान करने वाले स्मोकिंग को अपने मूड बेहतर करने का तरीका समझ लेते हैं। यही आदत उन्हें उस पड़ाव तक ले जाती है जहां से सिगरेट छोड़ना मुश्किल हो जाता है।