भारत में कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म होने के 2 साल बाद पाकिस्तान की गैरकानूनी कब्जे वाले इलाके को नया प्रांत बनाने की तैयारी
भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को दिया स्पेशल स्टेटस वापस ले लिया था। आज इस फैसले को 2 साल पूरे हो गए। इसके जवाब में अब पाकिस्तान ने भी पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) को अलग प्रांत बनाने की कवायद शुरू कर दी है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत बनाने के लिए कानून पर काम शुरू कर दिया है।
भारत ने साफ कर दिया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश भारत के अभिन्न अंग है। पाकिस्तान अपने अतिक्रमण को जायज नहीं ठहरा सकता। भारत का दावा है कि गैरकानूनी और बलपूर्वक हथियाए हुए क्षेत्र पाकिस्तान सरकार या उसकी न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं।
आइए जानते हैं कि गिलगित-बाल्टिस्तान हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? यह इलाका PoK से कितना बड़ा है? इससे क्या बदल जाएगा?
सबसे पहले, जान लीजिए कि पाकिस्तान क्या कर रहा है?
- पाकिस्तान की मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस ने कानून का ड्राफ्ट बनाया है, जिसे 26वां संविधान संशोधन विधेयक कहा जा रहा है। पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक प्रस्तावित कानून में गिलगित-बाल्टिस्तान के सुप्रीम अपीलेट कोर्ट (SAC) को खत्म करने और क्षेत्र के चुनाव आयोग को पाकिस्तान के इलेक्शन कमीशन (ECP) में मर्ज करने का प्रावधान है।
- डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक यह ड्राफ्ट बिल तैयार है और इस समय प्रधानमंत्री इमरान खान के पास है। इस ड्राफ्ट बिल को पाकिस्तान के संविधान, अंतरराष्ट्रीय कानून और कश्मीर पर यूएन रेजोल्यूशंस, संवैधानिक कानूनों और स्थानीय कानून को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। गिलगित-बाल्टिस्तान और PoK की सरकारों से भी प्रस्तावित संविधान संशोधन बिल बनाने से पहले विचार-विमर्श किया गया है।
गिलगित-बाल्टिस्तान और भारत का क्या कनेक्शन है?
- गिलगित-बाल्टिस्तान ट्रांस-हिमालयन क्षेत्र में कश्मीर घाटी के उत्तर-पश्चिम में है। यह जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा था। तब यह रियासत पांच क्षेत्रों में बंटी थी- जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, गिलगित वजाहत और गिलगित एजेंसी।
- 1947 से भारत के जिस हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा है, उसमें सिर्फ 15% एरिया पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में है। 85% हिस्सा तो गिलगित-बाल्टिस्तान या नॉर्दर्न एरियाज में है। यह चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का मुख्य इलाका है। सिंधु नदी पाकिस्तान में गिलगित-बाल्टिस्तान से ही होकर प्रवेश करती है।
गिलगित-बाल्टिस्तान भारत से अलग कब हुआ?
1947 में। दरअसल, 1917 में USSR बनने के बाद ब्रिटिश इंडिया ने गिलगित एजेंसी को 1935 में जम्मू-कश्मीर के महाराजा से 60 साल की लीज पर लिया था। पर जब भारत आजाद हुआ तो 15 दिन बाद गिलगित भी महाराजा हरिसिंह के अधीन आ गया था।
26 अक्टूबर 1947 को हरि सिंह ने अपनी रियासत को भारत में मर्ज करने का फैसला किया, तब ब्रिटिश कमांडर विलियम एलेक्जेंडर ब्राउन के नेतृत्व में गिलगित स्काउट्स ने बगावत कर दी। उसने बाल्टिस्तान पर भी कब्जा कर लिया था, जो लद्दाख का हिस्सा था। स्कार्दू, करगिल और द्रास पर भी गिलगित स्काउट्स का कब्जा था। युद्ध में भारतीय सेनाओं ने अगस्त 1948 में करगिल और द्रास पर फिर से कब्जा हासिल किया। पर गिलगित पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा कायम रहा।
1 नवंबर 1947 को राजनीतिक दल रिवॉल्युशनरी काउंसिल ऑफ गिलगित-बाल्टिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान को स्वतंत्र देश घोषित किया था। 15 नवंबर को उसने पाकिस्तान में मर्जर की घोषणा की। पर इस मर्जर की भी शर्त ये थी कि पूरी तरह एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल के लिए यह होगा। पिछले साल पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने 1 नवंबर को गिलगित-बाल्टिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया।
क्या गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान ने संविधान में शामिल किया?
नहीं। पाकिस्तान में 1974 में नागरिक संविधान लागू किया गया। इसमें चार प्रांत थे- पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा। PoK और गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत नहीं बनाया गया। पाकिस्तान कश्मीर को लेकर दावे से जुड़े इंटरनेशनल केस को कमजोर नहीं करना चाहता था, इस वजह से उसने इसे अलग ही रखा।
1975 में PoK को भी अपना संविधान मिला। इसे सेल्फ-गवर्न्ड ऑटोनॉमस टेरिटरी बनाया गया। पर नॉर्दर्न एरिया, जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान आते हैं, उसे संविधान में जगह नहीं मिली। पर इसका मतलब यह नहीं है कि इस्लामाबाद का शासन इस पर नहीं था। भले ही इन प्रांतों को ऑटोनॉमी दी गई हो, पर हकीकत तो यह है कि PoK और गिलगित-बाल्टिस्तान में वही होता था, जो इस्लामाबाद चाहता था।
PoK के लोगों को संविधान के तहत अपने अधिकार और आजादी मिली। पर शिया बहुसंख्यकों वाले नॉर्दर्न एरियाज को राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला। उन्हें पाकिस्तानी समझा जाता है, पर वह सिर्फ नागरिकता और पासपोर्ट तक सीमित है। संवैधानिक अधिकार उन्हें नहीं हैं, जो चार प्रांतों और PoK के लोगों को हैं।
इस इलाके पर पाकिस्तान ने एडमिनिस्ट्रेटिव अरेंजमेंट कब बदला?
साल 2000 के बाद। अमेरिका में आतंकी हमले के बाद बदले हालात और चीन के वन रोड वन बेल्ट प्रोजेक्ट में इस इलाके के महत्व को देखते हुए पाकिस्तान को संवैधानिक हस्तक्षेप की जरूरत पड़ी।
पाकिस्तान ने 2009 में गिलगित-बाल्टिस्तान (एम्पॉवरमेंट एंड सेल्फ-गवर्नेंस) ऑर्डर 2009 के जरिए नॉर्दर्न एरियाज लेजिस्लेटिव काउंसिल (NALC) को लेजिस्लेटिव असेंबली से बदला। नॉर्दर्न एरियाज को गिलगित-बाल्टिस्तान नाम दिया गया। NALC चुनी हुई बॉडी है, पर इसकी भूमिका कश्मीर और नॉर्दर्न एरियाज मामलों के मंत्री को एडवायजरी थी। यानी चलती तो इस्लामाबाद की ही है।
विधानसभा में जरूर थोड़ा सुधार दिखा। 24 सीधे चुने हुए सदस्य और 9 नॉमिनेटेड हैं। 2010 के बाद से इस्लामाबाद में सत्ताधारी पार्टी ही इन सीटों को जीतती आई है। नवंबर 2020 में प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ ने 33 में से 24 सीटें जीती थीं।
क्या नॉर्दर्न एरियाज की शिया बहुसंख्यक आबादी को विशेष अधिकार मिले हुए हैं?
नहीं। 1974 में जुल्फीकार अली भुट्टो ने नॉर्दर्न एरियाज में महाराजा के समय के नियमों को बदल दिया था। अब वहां बाहरी लोग जमीन खरीद सकते हैं। नतीजा यह हुआ कि शिया आबादी का प्रतिशत वहां धीरे-धीरे कम होता गया। PoK में नियमों को धीरे-धीरे खत्म किया गया। दोनों ही क्षेत्रों में माइग्रेशन का कंट्रोल पाकिस्तान के पास है।
इमरान खान ने 1 नवंबर 2020 को ही इस क्षेत्र को प्रोविजनल प्रोविंशियल स्टेटस देने की घोषणा की थी। भले ही यह इलाका पाकिस्तान के संविधान के क्षेत्र में न आता हो, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 1999 में इस क्षेत्र में अपना क्षेत्राधिकार जताना शुरू किया।
गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी क्या सोचती है?
जहां तक यूएन का सवाल है, उसने पूरे कश्मीर में यथास्थिति कायम रखने का रेजोल्यूशन पारित किया है। साथ ही जनता की राय लेते हुए विवाद के समाधान की पैरवी की है। पर यूके पार्लियामेंट ने 2017 में एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान ने इस पर 1947 से गैरकानूनी तरीके से कब्जा कर रखा है।
चीन का इस इलाके में क्या इंटरेस्ट है?
चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) ने इस क्षेत्र के डायनामिक्स को बदल दिया है। पाकिस्तान ने भारत-चीन युद्ध के एक साल बाद 1963 में गिलगित-बाल्टिस्तान के एक हिस्से को उपहार में चीन को दे दिया था। यह करीब 5000 से 8000 वर्ग किमी क्षेत्र है।