Newsportal

कोरोना की तीसरी लहर:टीका लगने के बाद भी 50 साल से ज्यादा उम्र वालों को डेल्टा वैरिएंट का सबसे ज्यादा खतरा; जानिए इस जानलेवा वायरस से कैसे बचें

0 148

कोरोनावायरस की दूसरी लहर बहुत सी कठिनाइयां और चुनौतियां लेकर आई। इस लहर में व्यक्ति न सिर्फ शारीरिक तौर पर कमजोर हुआ है बल्कि उसका दिमागी संतुलन भी डगमगाया हुआ है।

हालांकि, अब दूसरी लहर के प्रसार की रफ्तार धीमी पड़ती दिख रही है, लेकिन अब लोग डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट से खौफ खा रहे हैं। जो तीसरी लहर के रूप में मानव जीवन पर एक खतरा बनकर कहर बरपा सकता है। शुरुआत में बुजुर्ग लोग डेल्टा वैरिएंट की चपेट में आए, लेकिन अब लगता है कि बाकी आबादी पर इसका खतरा मंडरा रहा है।

डेल्टा प्लस वैरिएंट के फैलने की क्षमता बढ़ सकती है
एक्सपर्ट दावा कर रहे हैं कि डेल्टा और डेल्टा प्लस दोनों ही वैरिएंट हम सभी के लिए चिंता का विषय हैं। हाल ही में, सरकारी अधिकारियों ने कहा कि डेल्टा प्लस वैरिएंट म्यूटेशन के बाद अधिक घातक है। उन्होंने दावा किया कि डेल्टा प्लस वैरिएंट के फैलने की क्षमता बढ़ सकती है।

डेल्टा प्लस वैरिएंट फेफड़ों तक जल्दी और आसानी से पहुंच जाता है
कोरोनावायरस के ही डेल्टा वैरिएंट में हुए म्यूटेशन को K417N नाम दिया गया है। ये म्यूटेशन कोरोनावायरस के बीटा और गामा वैरिएंट्स में भी मिला था।

नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑफ इम्यूनाइजेशन (NTAGI) के अध्यक्ष डॉक्टर एनके अरोरा का कहना है कि कोरोना के बाकी वैरिएंट के मुकाबले, डेल्टा प्लस वैरिएंट फेफड़ों तक जल्दी और आसानी से पहुंच जाता है।

UK के अधिकारियों द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, डेल्टा वैरिएंट कोरोना के सभी प्रकारों में सबसे प्रमुख है। अब तक के सारे मामलों को ध्यान में रखते हुए पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड का दावा है कि 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों, यंग लोगों, नॉन वैक्सीनेट यानी बिना टीकाकरण वाले और आंशिक रूप से वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को डेल्टा संक्रमण का खतरा ज्यादा खतरा है।

डेल्टा के कारण 50 साल से ज्यादा उम्र वालों की मौत ज्यादा हुई
UK की एक स्टडी के मुताबिक डेल्टा के कारण होने वाली मौतों के 117 मामले थे, जिनमें से अधिकांश लोग 50 साल से अधिक उम्र के थे। इनमें से 50 साल से ज्यादा उम्र वाले 38 लोग थे जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी थी, वहीं इसी एज ग्रुप के 50 वो लोग थे जिन्हें दोनों डोज लग चुकी थी। इनमें 50 साल से कम उम्र वाले 6 लोग ऐसे थे जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी थी और 2 लोग वैक्सीन की एक डोज ले चुके थे।

​बुजुर्ग और यंग जनरेशन दोनों को डेल्टा वैरिएंट का अधिक खतरा
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि बुजुर्ग और यंग जनरेशन दोनों को डेल्टा वैरिएंट का अधिक खतरा है। उन्होंने कहा, जब इतने सारे नए रूप सामने आ रहे हैं, तो सतर्क रहना हमारी जिम्मेदारी और कर्तव्य है।

ऐसे में हमें कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है जिनमें डबल मास्किंग, सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई शामिल है। इसके अलावा जितनी जल्दी हो सके वे अपना वैक्सीनेशन कराएं। इसके गंभीर जोखिम को कम करने का टीकाकरण ही एक मात्र बेहतर तरीका है।

डेल्टा प्लस के खिलाफ वैक्सीन कितनी असरदार

WHO ने कहा है कि फिलहाल जो वैक्सीन इस्तेमाल की जा रही हैं वो डेल्टा प्लस की वजह से गंभीर संक्रमण को रोकने में कारगर हैं, लेकिन वायरस खुद को वैक्सीन से लड़ने के लिए तैयार भी कर रहा है।

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जो वैक्सीन लगाई जा रही हैं वो डेल्टा प्लस वायरस को रोकने में कारगर है। संस्था ने दुनियाभर में डेल्टा वैरिएंट के 160 मामलों की जीनोम सीक्वेंसिंग की थी, जिसमें से 8 भारत के थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन पहले डोज के बाद 80% और दूसरे डोज के बाद 96% कारगर है।

वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण के गंभीर होने से बचा जा सकता है
डेल्टा प्लस के बारे में फिलहाल ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है। इसी वजह से दुनियाभर में अलग-अलग स्टडी की जा रही है। प्राइमरी नतीजों में ये सामने आया है कि वायरस भले ही खुद को बदल रहा हो, लेकिन वैक्सीन ही संक्रमण से बचने का एकमात्र रास्ता है।

WHO ने भी कहा है कि वैक्सीन वायरस के संक्रमण को भले न रोक सके, लेकिन मरीज को गंभीर बीमारी और मौत से बचा सकती है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.