नेहरू v/s मोदीः 14 मंत्रियों के साथ बनी थी पहली सरकार, अब 78 हैं मंत्री; नेहरू ने नॉन लीडर को कॉमर्स मिनिस्ट्री दी थी, टीम मोदी में 7 पूर्व ब्यूरोक्रेट
इस हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में बड़े पैमाने पर फेरबदल किया। 12 मंत्रियों का इस्तीफा हुआ, तो 36 नए चेहरे कैबिनेट में शामिल हुए। 7 मंत्रियों को प्रमोशन भी मिला। एक और चर्चा है कि मोदी कैबिनेट में नेताओं की जगह प्रोफेशनल्स को ज्यादा तरजीह दी गई है। ये भी कहा जा रहा है कि महिलाओं की बढ़ी भागीदारी भी एक नई शुरुआत है। कुछ लोग मोदी की जम्बो कैबिनेट को लेकर भी कटाक्ष कर रहे हैं।
नेहरू से लेकर मोदी तक देश की सरकार का आकार कैसा रहा है? आखिर कब किस कैबिनेट में किसी नॉन लीडर को जगह मिली थी? देश की कैबिनेट का साइज कैसे बढ़ा-घटा है? महिलाओं की भागीदारी का क्या? आइए जानते हैं…
नेहरू ने की थी एक्सपर्ट्स को कैबिनेट में शामिल करने की शुरुआत
मोदी की नई कैबिनेट में सात पूर्व नौकरशाह हैं, वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजीव चंद्रशेखर जैसे हॉर्वर्ड से पढ़े नेता भी हैं। देश में एक्सपर्ट्स को कैबिनेट में शामिल करने का ये चलन नया नहीं है। जवाहरलाल नेहरू की पहली कैबिनेट में भी नॉन लीडर सीएच भाभा को शामिल किया गया था। भाभा मूलत: पारसी बिजनेसमैन थे। मौलाना आजाद चाहते थे कि कैबिनेट में पारसी समुदाय का भी प्रतिनिधित्व हो। इसलिए नेहरू ने भाभा को अपनी कैबिनेट में जगह दी और उन्हें कॉमर्स मिनिस्ट्री सौंपी। कैबिनेट में शामिल होने से पहले भाभा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के डायरेक्टर थे।
पहली कैबिनेट में थे सिर्फ 14 मंत्री, 90 के दशक में शुरू हुआ जम्बो कैबिनेट का चलन
मोदी कैबिनेट के विस्तार के बाद कुल 78 मंत्री हो गए हैं। ये PM मोदी की अब तक की सबसे बड़ी कैबिनेट है। देश की पहली कैबिनेट में महज 14 मंत्री थे। पहले लोकसभा चुनाव के बाद 1952 में बनी कैबिनेट में 21 मंत्री थे। इनमें डिप्टी मिनिस्टर भी शामिल थे।
1991 के बाद किसी भी सरकार में डिप्टी मिनिस्टर नहीं बनाए गए, लेकिन उसके बाद शुरू हुए गठबंधन सरकारों के दौर में जम्बो कैबिनेट जरूर बनने लगी। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 70 मंत्रियों के साथ शपथ ली थी। ये किसी भी सरकार के शपथ ग्रहण में मंत्रियों की सबसे ज्यादा संख्या है।
बाद में अटल कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या बढ़कर 80 तक पहुंची थी। इसी तरह 2009 में मनमोहन सिंह ने महज 20 मंत्रियों की कैबिनेट बनाई थी, लेकिन आगे चलकर ये संख्या 79 तक पहुंची।
पहली कैबिनेट में नेहरू ने विरोधियों को भी जगह दी थी
आजादी के बाद बनी देश की पहली कैबिनेट की बात करें तो उसमें कुल 14 मंत्री थे। इनमें सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद जैसे नेता शामिल थे। नेहरू ने अपने विरोधियों डॉक्टर बीआर अंबेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी कैबिनेट में शामिल किया था। पहली कैबिनेट में केवल एक महिला मंत्री राजकुमारी अमृत कौर थीं। 1952 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो वो हिमाचल के मंडी से सांसद बनी थीं।
गैर सांसद भी बने मंत्री, प्रधानमंत्री
मोदी की नई कैबिनेट में शामिल असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी गैर सांसद को मंत्री बनाया गया है। 2019 में जब मोदी सरकार का शपथ ग्रहण हुआ तो उस वक्त एस जयशंकर और रामविलास पासवान किसी सदन के सदस्य नहीं थे।
1966 में इंदिरा गांधी ने डॉ. त्रिगुण सेन को अपनी कैबिनेट में शामिल किया था। उस वक्त वो किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। 1977 में वकील शांति भूषण, 1979 में जस्टिस एचआर खन्ना, एसएन कक्कड़, 1985 में अर्जुन सिंह, 1988 में वीर बहादुर सिंह, 1989 में दिनेश गोस्वामी, एमजीके मेनन, 1990 में राजा रमन्ना, 1991 में मनमोहन सिंह, शरद पवार जैसे कई नाम इस लिस्ट में शामिल हैं।
यहां तक कि 1991 में जब पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो वो किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। ऐसा पहली बार हुआ था। इसके पांच साल बाद 1996 में एचडी देवगौड़ा पीएम बने। वो भी उस वक्त किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे।
यूपीए-2 के दौरान सबसे ज्यादा 15 महिलाएं रहीं कैबिनेट का हिस्सा, मौजूदा कैबिनेट में मिल चुकी है 13 महिलाओं को जगह
यूपीए-2 के दौरान सबसे ज्यादा 15 महिलाओं को कैबिनेट में जगह मिली। हालांकि, ये सभी एक साथ मंत्री नहीं थीं। शुरुआत में 10 महिलाएं कैबिनेट का हिस्सा थीं। मौजूदा कैबिनेट में 11 महिलाएं शामिल हैं। अगर पहली कैबिनेट की बात करें तो सिर्फ एक महिला कैबिनेट का हिस्सा थी। अब तक राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिनकी कैबिनेट में 10 या उससे ज्यादा महिलाओं को कैबिनेट में जगह मिली। मौजूदा मोदी सरकार में अब तक 13 महिलाओं को मंत्री बनाया जा चुका है।
नरसिम्हा राव की कैबिनेट में 26 राज्यों की हिस्सेदारी, मोदी की कैबिनेट में 24
देश की आजादी के बाद राज्य तो बढ़े हैं। राज्यों की भागीदारी भी कैबिनेट में बढ़ी है। नरेंद्र मोदी की मौजूदा कैबिनेट में 24 राज्यों के जनप्रतिनिधियों को जगह मिली है। अगर अब तक की सबसे ज्यादा विविधता वाली कैबिनेट की बात करें तो वो नरसिम्हा राव के समय थी। उनकी कैबिनेट में 26 राज्यों को प्रतिनिधित्व मिला था।
वहीं, देश की पहली कैबिनेट में 8 राज्यों के नेता शामिल थे। इनमें यूपी, बिहार और बॉम्बे के सबसे ज्यादा थे। कुल 14 में 9 मंत्री ऐसे थे जो इन राज्यों से आते थे।