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राज्य तय करेंगे OBC की लिस्ट में कौन रहेगा, जानिए नया बिल लाने के पीछे केंद्र की मंशा क्या है और इससे क्या बदलने वाला है?

संसद का मानसून सत्र:राज्यों को OBC की लिस्टिंग करने का अधिकार देने वाला बिल लोकसभा में पास, आज राज्यसभा में हो सकता है पेश

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आरक्षण के लिए OBC लिस्ट तैयार करने का अधिकार राज्यों को देने वाला बिल सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया। केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में इस पर मुहर लगाई थी। इससे राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश अपनी जरूरतों के हिसाब से ओबीसी की लिस्ट तैयार कर सकेंगे।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने 127वां संविधान संशोधन बिल पेश किया। पिछले महीने ही वीरेंद्र कुमार ने राज्यसभा में कहा था कि सरकार इस बारे में विचार कर रही है।

इस बदलाव की जरूरत क्या थी? बिल पास होने से क्या बदलेगा? नए बिल का असर क्या होगा? विपक्षी नेता OBC आरक्षण की 50% की लिमिट हटाने की मांग क्यों कर रहे हैं? आइए जानते हैं…

इस बदलाव की जरूरत क्या थी?

सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 5 मई को एक आदेश दिया था। इस आदेश में कहा गया कि राज्यों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरी और एडमिशन में आरक्षण देने का अधिकार नहीं है। इसके लिए जजों ने संविधान के 102वें संशोधन का हवाला दिया। इसी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठों को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण देने के फैसले पर भी रोक लगा दी थी।

दरअसल, 2018 में हुए इस 102वें संविधान संशोधन में नेशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लासेज की शक्तियों और जिम्मेदारियों को बताया गया था। इसके साथ ही ये 342A संसद को पिछड़ी जातियों की लिस्ट बनाने का अधिकार देता है। इस संशोधन के बाद विपक्षी पार्टियां ये आरोप लगाती थीं कि केंद्र संघीय ढांचे को बिगाड़ रहा है। 5 मई को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का केंद्र ने भी विरोध किया। इसी के बाद 2018 के संविधान संशोधन में बदलाव की कवायद शुरू हुई।

नए बिल में क्या है?

ये बिल संविधान के 102वें संशोधन के कुछ प्रावधानों को स्पष्ट करने के लिए लाया गया है। इस बिल के पास होने के बाद एक बार फिर राज्यों को पिछड़ी जातियों की लिस्टिंग का अधिकार मिल जाएगा। वैसे भी 1993 से ही केंद्र और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश दोनों ही OBC की अलग-अलग लिस्ट बनाते रहे हैं। 2018 के संविधान संशोधन के बाद ऐसा नहीं हो पा रहा था। इस बिल के पास होने के बाद दोबारा से पुरानी व्यवस्था लागू हो जाएगी। इसके लिए संविधान के आर्टिकल 342A में संशोधन किया गया है। इसके साथ ही आर्टिकल 338B और 366 में भी संशोधन हुए हैं।

बिल पास होने से क्या बदलेगा?

इस बिल के पास होते ही राज्य सरकारें अपने राज्य के हिसाब से अलग-अलग जातियों को OBC कोटे में डाल सकेंगी। इससे हरियाणा में जाट, राजस्थान में गुर्जर, महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल, कर्नाटक में लिंगायत आरक्षण का रास्ता साफ हो सकता है। ये जातियां लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रही हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट इंदिरा साहनी केस का हवाला देकर इन पर रोक लगाता रहा है।

तो क्या अब सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकारों के आरक्षण के फैसले पर रोक नहीं लगा सकेगा?

बिल पास होने से राज्यों को नई जातियों को OBC में शामिल करने का आधिकार मिल जाएगा, लेकिन आरक्षण की सीमा अभी भी 50% ही है। इंदिरा साहनी केस के फैसले के मुताबिक अगर कोई 50% की सीमा के बाहर जाकर आरक्षण देता है तो सुप्रीम कोर्ट उस पर रोक लगा सकता है। इसी वजह से कई राज्य इस सीमा को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।

इंदिरा साहनी केस क्या है?

1991 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने आर्थिक आधार पर सामान्य श्रेणी के लिए 10% आरक्षण दिया था। राव सरकार के फैसले के खिलाफ पत्रकार इंदिरा साहनी कोर्ट चली गईं। साहनी केस में नौ जजों की बेंच ने कहा था कि आरक्षण का कोटा 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसी फैसले के बाद से कानून बना कि 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जाएगा।

इसी वजह से राजस्थान में गुर्जर, हरियाणा में जाट, महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल जब भी आरक्षण मांगते तो सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आड़े आ जाता है। इसके बाद भी कई राज्यों ने इस फैसले की काट निकाल ली है। देश के कई राज्यों में अभी भी 50% से ज्यादा आरक्षण दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, हरियाणा, बिहार, गुजरात, केरल, राजस्थान जैसे राज्यों में कुल आरक्षण 50% से ज्यादा है।

इसके पीछे की राजनीति क्या है?

विपक्ष लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रहा है। इस विधेयक के जरिए केंद्र सरकार ने पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश की है। बिल पास होने के बाद हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक जैसे राज्यों की भाजपा सरकारें जाट, पटेल और लिंगायत जातियों काे OBC में शामिल कर चुनावी फायदा उठाना चाहेंगी।

हरियाणा में जाट हों या गुजरात के पटेल, कर्नाटक के लिंगायत हों या महाराष्ट्र के मराठा ये सभी अपने-अपने राज्य में निर्णायक भूमिका में हैं। इसलिए राजनीतिक पार्टियां इन जातियों को साधने की तरह-तरह की कोशिश करती रहती हैं। आरक्षण भी उसमें से एक है।

 

संसद का मानसून सत्र:राज्यों को OBC की लिस्टिंग करने का अधिकार देने वाला बिल लोकसभा में पास, आज राज्यसभा में हो सकता है पेश

राज्यों कों OBC की लिस्टिंग करने का अधिकार देने वाला बिल लोकसभा में पास हो गया है। मंगलवार को इस पर वोटिंग की गई। इसके पक्ष में 385 वोट पड़े। वहीं, विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने सोमवार को ये बिल पेश किया था। इसका नाम संविधान (127वां संशोधन) विधेयक-2021 है। बिल पास होते ही लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। बिल को आज राज्यसभा में पेश किया जा सकता है।

इस बिल के दोनों सदनों से मंजूर होने के बाद राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारें सामाजिक, शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की लिस्टिंग कर सकेंगी। राज्यों की ये शक्ति सुप्रीम कोर्ट के मराठा आरक्षण मामले में दिए गए फैसले के बाद खत्म हो गई थी।

विपक्ष का साथ मिलने से सरकार को आसानी
सदन में लगातार विरोध कर रहा विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार के साथ रहा। कार्यवाही के दौरान लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण से संबंधित इस बिल को पास कराना चाहते हैं। हम विपक्ष की जिम्मेदारी समझते हैं। इस पर मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्री भी यह विधेयक लाने की मांग कर रहे थे। उधर, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा था कि विपक्ष इस बिल का समर्थन करेगा।

राज्यसभा में हंगामा जारी
पेगासस जासूस केस से लेकर महंगाई तक संसद के दोनों सदनों में विपक्ष का विरोध जारी है। मंगलवार को राज्यसभा और लोकसभा में 11 बजे कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया और दोनों सदनों की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी गई। फिर 12 बजे से लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई जो अब भी जारी है। राज्यसभा की कार्यवाही हंगामे के कारण 2 बजे तक स्थगित कर दी गई। 2 बजे कार्यवाही शुरू होने पर भी हंगामा नहीं रुका तो सदन 4 बजे तक स्थगित करना पड़ा।

इसके बाद भी हंगामा जारी रहा तो राज्यसभा की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस दौरान विपक्षी सांसदों ने जय जवान-जय किसान के नारे लगाए। उन्होंने तीनों नए कृषि कानून वापस लेने की मांग की। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि राज्यसभा में आज कृषि पर चर्चा शुरू ही हुई थी, लेकिन कांग्रेस, TMC, आप का जो अलोकतांत्रिक रवैया रहा उसकी मैं भर्त्सना करता हूं।

भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों को देशभर में स्पोर्ट्स एक्टिविटी बढ़ाने की सलाह दी।
भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों को देशभर में स्पोर्ट्स एक्टिविटी बढ़ाने की सलाह दी।

लोकसभा में जासूसी मामले पर हंगामे के बीच बिल पास
जासूसी और अन्य मुद्दों को लेकर कांग्रेस और तृणमूल समेत दूसरे विपक्षी दलों ने सोमवार को भी लोकसभा में हंगामा किया। इससे सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। हंगामे के बीच लोकसभा ने सीमित दायित्व भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021 और संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक 2021 को पास कर दिया।

BJP ने सांसदों को व्हिप जारी किया
संसद में आज और कल कई अहम बिल पास किए जा सकते हैं। सदन में जारी गहमागहमी के बीच BJP ने व्हिप जारी कर अपने सभी सांसदों को 10 और 11 अगस्त को दोनों सदनों और अन्य बैठकों में मौजूद रहने को कहा है।

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