Newsportal

स्पेसएक्स का पहला सिविलियन मिशन सफल:तीन दिन अंतरिक्ष में रहकर लौटे चार नॉन-एस्ट्रोनॉट पैसेंजर; कहा- यह जिंदगी की बेस्ट राइड

0 178

अमेरिकी बिजनेसमैन एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में अंतरिक्ष सैर पर गए चार आम लोग वापस लौट आए हैं। आज सुबह एयरक्राफ्ट ने फ्लोरिडा के तट के आगे अटलांटिक समुद्र में लैंडिंग की। चारों लोग तीन दिन पहले इंस्पिरेशन-4 नाम के इस मिशन पर गए थे।

भारतीय समय के मुताबिक, सुबह 5.30 बजे स्पेसएक्स कैप्सूल पैराशूट के साथ समुद्र में उतरा। उस समय अमेरिका में शाम हो रही थी। सूरज ढलने से कुछ देर पहले ही कैप्सूल वहीं आकर उतरा जहां से तीन दिन पहले उसने अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी।

 

समुद्र में कैप्सूल के उतरने के बाद स्पेसएक्स के मिशन कंट्रोलर ने कहा- स्पेसएक्स की तरफ से पृथ्वी पर आपका स्वागत है। आपके मिशन ने दुनिया को दिखा दिया है कि स्पेस हम सभी के लिए है।

फंडरेजर के लिए एलन मस्क ने दिए 50 मिलियन डॉलर
इस मिशन के जरिए एलन मस्क ने 200 मिलियन डॉलर इकठ्ठा करने का लक्ष्य रखा था। यह फंड सेंट ज्यूड चिल्ड्रन रिसर्च हॉस्पिटल को दिया जाना था। मिशन पूरा होने तक 160 मिलियन डॉलर जुटा लिए गए थे। जिसके बाद एलन मस्क ने 50 मिलियन डॉलर अपनी तरफ से दिए।

मिशन की लॉन्चिंग से पहले क्रू के साथ स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क। बाएं से पहले क्रिस सेम्ब्रोस्की, जैरेड आइसेकमैन, एलन मस्क, शॉन प्रोक्टर और हेयली आर्केनो।
मिशन की लॉन्चिंग से पहले क्रू के साथ स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क। बाएं से पहले क्रिस सेम्ब्रोस्की, जैरेड आइसेकमैन, एलन मस्क, शॉन प्रोक्टर और हेयली आर्केनो।

बन गया इतिहास
इस सफर पर गया क्रू दुनिया में पहला था, जो बिना किसी प्रोफेशनल एस्ट्रोनॉट के अंतरिक्ष में गया था। मिशन कमांडर जैरेड आइसेकमैन ने लैंडिंग के बाद कहा- बहुत-बहुत शुक्रिया स्पेसएक्स। यह यह हमारे लिए जबरदस्त यात्रा थी, जिसकी अभी सिर्फ शुरुआत ही हुई है। जैरेड आइसेकमैन अरबपति है और उन्होंने ही इस ट्रिप के लिए फंडिंग दी थी।

कौन थे क्रू मेंबर?

  • जैरेड आइसेकमैन: मिशन की पूरी कमांड इसाकमैन के हाथों में थी। 38 साल के आइसेकमैन शिफ्ट4पेमेंट नामक पेमेंट कंपनी के फाउंडर और CEO हैं। 16 साल की उम्र में ही उन्होंने इस कंपनी की शुरुआत की थी और आज वे अरबपति हैं। वे प्रोफेशनल पायलट हैं और अपनी पायलट ट्रेनिंग कंपनी के जरिए अमेरिकी एयरफोर्स के पायलट्स को ट्रेनिंग देते हैं।
  • हेयली आर्केनो: हेयली कैंसर सर्वाइवर हैं। 29 साल की हेयली अंतरिक्ष में जाने वाली सबसे कम उम्र की अमेरिकी नागरिक हैं। उन्हें हड्डियों का कैंसर था और उनका इलाज टैनेसी के सेंट जूड हॉस्पिटल में हुआ था। मिशन में हेयली को मेडिकल ऑफिसर की जिम्मेदारी मिली है।
  • शॉन प्रोक्टर: 51 साल के प्रोक्टर एरिजोना के एक कॉलेज में जियोलॉजी की प्रोफेसर हैं। प्रोक्टर के पिता अपोलो मिशन के दौरान नासा के साथ काम कर चुके हैं। वे खुद कई बार नासा के स्पेस प्रोग्राम में पार्टिसिपेट कर चुकी हैं।
  • क्रिस सेम्ब्रोस्की: 42 साल के क्रिस अमेरिकी एयरफोर्स के पायलट रहे हैं और इराक युद्ध में भी शामिल थे। फिलहाल क्रिस एयरोस्पेस और डिफेंस निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन के साथ काम कर रहे हैं।

 

बुधवार को किया था लिफ्टऑफ
स्पेसएक्स के फुली ऑटोमेटिड ड्रेगन रॉकेट कैप्सूल ने बुधवार रात को लिफ्टऑफ किया था, जिसके बाद यह 585 किमी की ऊंचाई पर पहुंचा। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से भी 160 किमी आगे निकलकर क्रू ने पृथ्वी के नजारे देखे।

चारों क्रू सदस्यों ने अमेरिकी समय के मुताबिक, शनिवार शाम को पृथ्वी के वातावरण में एंट्री लेना शुरू किया था। 1969 में अपोलो 9 के बाद यह पहले स्पेस ट्रैवलर्स हैं जिन्होंने अपनी स्पेस यात्रा अटलांटिक में उतरकर पूरी की। इससे पहले नासा के दोनों स्पेस स्प्लैशडाउन मेक्सिको की खाड़ी में हुआ था।

एक महिला के हाथ होगी स्पेस मिशन की कमान:नेविगेटर शॉन प्रोक्टर की खास भूमिका, जानिए क्या है महिलाओं को स्पेस में भेजने का लॉजिक

  • अभी स्पेस ट्रेनिंग में 50 फीसदी महिलाएं, पहले थीं केवल 11 फीसदी
  • 1959 में पहली बार मिशन मर्करी के लिए महिला ने पास किया टेस्ट
  • महिलाओं को स्पेस से दूर रखने के पीछे दिए जाते थे अजीब तर्क

अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स चार यात्रियों को लेकर अंतरिक्ष में जा रही है। इसमें दो पुरुष और दो महिलाएं हैं। खास बात यह है कि इंस्पिरेशन फोर नाम के इस मिशन में महिला नेविगेटर शॉन प्रोक्टर प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। वह मिशन की पायलट हैं। वहीं, दूसरी महिला 29 साल की हेयली आर्केनो हैं, जो एक कैंसर सर्वावइर हैं। वह अंतरिक्ष में जाने वाली सबसे कम उम्र की अमेरिकी नागरिक होंगी।

महिलाओं की स्पेस मिशन में अहम भूमिका, खुल रहीं नई राहें

दरअसल, निजी कंपनी स्पेस एक्स ही नहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी 2024 में चांद पर पहली महिला यात्री को भेजने की योजना बनाई है। इसी साल स्पेस एक्स मार्स पर मानव मिशन भेज सकती है, जिसमें भी महिला सदस्य को शामिल किया जा सकता है। इसके बाद नासा के ही मार्स मिशन में भी महिलाएं अहम भूमिका में नजर आएंगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि मौजूदा स्पेस मिशन का मकसद भले ही फंड जुटाना बताया जा रहा है, मगर इसके पीछे स्पेस में महिलाओं की राह खोलना भी है। कई रिसर्च के अनुसार, स्पेस मिशन के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा मुफीद होती हैं।

महिलाओं का वजन कम हाेने से फ्यूल खपत कम, कैलोरी भी 25% कम खर्च
किसी भी मिशन में खास बात यह ध्यान में रखने की होती है कि स्पेसक्रॉफ्ट का कुल वजन कम से कम रहे, क्योंकि वजन बढ़ने से रॉकेट का फ्यूल भी ज्यादा खर्च होगा। आम तौर पर महिलाओं का वजन पुरुषों के मुकाबले कम होता है। यानी रॉकेट को कम फ्यूल खर्च करना पड़ेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक विनोद कुमार श्रीवास्तव ने दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत में बताया कि कई रिसर्च के हवाले से यह सामने आया है कि स्पेस में जाने के लिए महिलाओं का शरीर पुरुषों के मुकाबले ज्यादा कुशल होता है। पुरुषों को अपना वजन बरकरार रखने के लिए हर दिन महिलाओं के मुकाबले करीब 25 फीसदी कैलोरी ज्यादा की जरूरत होती है। इसके अलावा, अंतरिक्ष में जीरो ग्रैविटी से पुरुषों की आंखों पर ज्यादा असर पड़ता है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर साल भर रहने वाली यात्री स्कॉट केली कहती हैं कि अंतरिक्ष में रहने के दौरान आंखों से खूब पानी आता है, जिससे रेटिना मोटा हो जाता है। यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में कम होती है।

महिला सदस्यों का स्पेस मिशन में अनुपात बढ़ाने के पीछे कई तर्क

मिशन के लिए शरीर और दिमाग बेहद अनुकूल और ज्यादा कुशल भी
दरअसल, अंतरिक्ष मिशन के लिए महिलाओं के शरीर और दिमाग विशिष्ट रूप से अनुकूल हैं। वे कई मायनों में शारीरिक रूप से अधिक कुशल हैं और मानसिक रूप से स्वस्थ हैं। नासा के साथ काम करने वाली एजेंसी द ट्रांसलेशनल रिसर्च इंस्टीटयूट फॉर स्पेस हेल्थ में रिसर्चर क्रिस्टीन फैबरे का कहना है कि जब बात चांद पर जाने की होती है तो पहले आदमी की बात की जाती है, जब मंगल की बात होती है, तब कहा जाता है कि मार्स पर शायद पहला कदम किसी महिला का ही होगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की विज्ञान प्रसार यूनिट में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ टी.वी. वेंकटेश्वरन ने दैनिक भास्कर को बताया कि अंतरिक्ष में महिलाओं की भूमिका बढ़ रही है। वे कड़ी से कड़ी ट्रेनिंग से भी गुजर रही हैं। ऐसे में इस बात का कोई मतलब नहीं है कि अंतरिक्ष में कौन जाए। वही जाएगा जिसका शरीर और दिमाग अंतरिक्ष के हिसाब से अनुकूल होगा। यह पुरुष या महिला कोई भी हो सकती है।

आज स्पेस टेस्ट में 50 फीसदी महिलाएं, पहले 11 फीसदी थीं
द ट्रांसलेशनल रिसर्च इंस्टीटयूट फॉर स्पेस हेल्थ के मुताबिक, आज अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण में करीब 50 फीसदी महिलाएं होती हैं। इससे पहले यह भागीदारी महज 11 फीसदी हुआ करती थी। ये वे महिला यात्री हैं, जिन्हें बाहरी अंतरिक्ष में भेजा गया था। हालांकि, इसकी वजहों का महिलाओं की योग्यता और क्षमताओं से कोई लेना-देना नहीं है।

महिलाओं को स्पेस से दूर रखने के पीछे अजब तर्क

यह कोई 1950 के दशक की बात है, जब अमेरिकी अंतरिक्ष कार्यक्रम तेजी से परवान चढ़ रहा था, उस वक्त महिलाओं के अंतरिक्ष में जाने के लिए स्वास्थ्य के डेटा की अनदेखी की गई। यह कहा गया कि शारीरिक क्षमता के आधार पर अंतरिक्ष का क्षेत्र महिलाओं के लिए बेहद जटिल और सही नहीं होगा। समय बदलने के साथ पुरानी मान्यताएं भी बदलीं और अब महिलाएं बढ़-चढ़कर स्पेस मिशन में शामिल हो रही हैं।

करीब 60 साल पहले पहली बार मिशन मर्करी के लिए महिला ने पास किया था टेस्ट
1959 में नासा के चयनकर्ता डॉ. विलियम रैंडोल्फ लवलेस ने मिशन मर्करी के लिए पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं का परीक्षण करने का फैसला किया। 1960 में डॉ. लवलेस ने बताया कि महिला पायलट जेरी कॉब ने अंतरिक्ष यात्री योग्यता टेस्ट पास कर लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि महिला अंतरिक्ष पायलटों में अपने सहयोगी पुरुषों के मुकाबले बेहतर हैं।

12 और महिलाएं 87 टेस्ट से गुजरीं, मगर दबा दिया गया डेटा
दरअसल, कॉब के अलावा, 12 और महिलाओं ने पुरुषों की तरह ही 87 फिजिकल टेस्ट पास किए, मगर उनका डेटा जानबूझकर दबा दिया गया। बाद में इन महिलाओं को स्पेस प्रोग्राम के तहत उड़ान भरने का मौका नहीं मिल पाया और प्रोजेक्ट ही बंद कर दिया गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति केनेडी के एक फैसले का भी पड़ा असर

1962 में नागरिक अधिकार अधिनियम पारित हुआ। इसने महिला अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में जाने में आ रही बंदिशें हटाईं, मगर तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की मंशा थी कि चांद पर एक आदमी जाए। ऐसे में अंतरिक्ष में जाने के लिए तवज्जो पुरुषों को ही मिली। करीब 20 साल बाद 1983 में सैली राइड बाहरी अंतरिक्ष में जाने वाली पहली अमेरिकी महिला बन पाईं।

भारत की कल्पना चावला समेत इन महिलाओं ने नापा अंतरिक्ष
रूस की वैलेंटीना तेरेश्कोवा पहली और सबसे युवा अंतरिक्ष यात्री थीं, जो 16 जून, 1963 को अंतरिक्ष गईं। उन्होंने पृथ्वी के 48 बार चक्कर लगाए। कनाडा की रॉबर्टा बॉन्डर पहली कनाडाई महिला थीं, जो अंतरिक्ष में गईं। इसके बाद से कई महिला वैज्ञानिक अंतरिक्ष का चक्कर लगा चुकी हैं, जिनमें 1997 में भारतीय मूल की कल्पना चावला का नाम भी शामिल है।

:पहली बार 4 आम लोग स्पेस में गए; कैंसर हॉस्पिटल के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए अंतरिक्ष में गिटार बजाएंगे, 3 दिन वहीं रहेंगे

आज सुबह-सुबह 4 आम लोग अतंरिक्ष की यात्रा पर रवाना हो गए हैं। ये लोग अगले तीन दिन अंतरिक्ष में ही रहेंगे। अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने ये मिशन लॉन्च किया है। भारतीय समयानुसार सुबह 5:33 बजे मिशन की शुरुआत हुई। नासा के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस रिसर्च सेंटर से फॉल्कन-9 रॉकेट की लॉन्चिंग हुई। इसके करीब 12 मिनट बाद ड्रैगन कैप्सूल रॉकेट से अलग हो गया।

स्पेसक्राफ्ट के लिफ्टऑफ की तस्वीर।
स्पेसक्राफ्ट के लिफ्टऑफ की तस्वीर।

यह कैप्सूल 357 मील, यानी करीब 575 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में तीन दिन चक्कर लगाएगा। 2009 के बाद पहली बार इंसान इतनी ऊंचाई पर पहुंचा है। मई 2009 में वैज्ञानिक हबल टेलिस्कोप की रिपेयरिंग के लिए 541 किलोमीटर की ऊंचाई पर गए थे। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर अंतरिक्ष यात्रियों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन यह 408 किलोमीटर की ऊंचाई पर है। इस मिशन को इंस्पिरेशन 4 नाम दिया गया है।
समझते हैं ये मिशन क्या है? क्रू में कौन-कौन शामिल हैं? उनका सिलेक्शन कैसे किया गया है? पूरा मिशन कितना खास है? और मिशन का उद्देश्य क्या है?…

पहले मिशन के बारे में जान लीजिए

इस मिशन को इंस्पिरेशन 4 मिशन नाम दिया गया है। मिशन की फंडिंग बिलेनियर जेयर्ड इसाकमैन कर रहे हैं। उन्होंने मिशन के लिए खुद के पास से पैसा दिया है और चैरिटी फंडिंग के जरिए भी जुटाया है। मिशन का उद्देश्य अमेरिका के टैनेसी में सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च हॉस्पिटल के लिए फंडिंग जुटाना है। मिशन को लीड कर रहे इसाकमैन इसके जरिए 200 मिलियन डॉलर की रकम जुटाना चाहते हैं। उन्होंने घोषणा की है कि आधी रकम वो अपने पास से हॉस्पिटल को देंगे।

इस मिशन के जरिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा और कैंसर के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई जाएगी। इसी वजह से मिशन के सदस्यों को अलग-अलग ह्यूमन वैल्यू दी गई है। जैसे लीडरशिप, होप, इंस्पिरेशन और प्रॉस्पेरिटी।

मिशन की एक सदस्य सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च हॉस्पिटल में फिजिशियन असिस्टेंट भी हैं और कैंसर सर्वाइवर हैं। उनका कैंसर का इलाज इसी हॉस्पिटल में हुआ है।

कौन हैं क्रू मेंबर?

जेयर्ड इसाकमैन: मिशन की पूरी कमांड इसाकमैन के हाथों में है। 38 वर्षीय इसाकमैन शिफ्ट4पेमेंट नामक पेमेंट कंपनी के फाउंडर और CEO हैं। 16 साल की उम्र में ही उन्होंने इस कंपनी की शुरुआत की थी और आज वे बिलेनियर हैं। वे प्रोफेशनल पायलट हैं और अपनी पायलट ट्रेनिंग कंपनी के जरिए अमेरिकी एयरफोर्स के पायलट्स को ट्रेनिंग देते हैं।

हेयली आर्केनो: हेयली कैंसर सर्वाइवर हैं। 29 साल की हेयली अंतरिक्ष में जाने वाली सबसे कम उम्र की अमेरिकी नागरिक हैं। उन्हें हड्डियों का कैंसर था और उनका इलाज टैनेसी के सेंट जूड हॉस्पिटल में हुआ था। इस हॉस्पिटल के लिए इसाकमैन फंड भी रेज कर चुके हैं और मिशन के जरिए जो रकम जुटाई जाएगी उसे भी इसी हॉस्पिटल को डोनेट किया जाएगा। मिशन में हेयली को मेडिकल ऑफिसर की जिम्मेदारी मिली है।

शॉन प्रोक्टर: 51 वर्षीय प्रोक्टर एरिजोना के एक कॉलेज में जियोलॉजी की प्रोफेसर हैं। प्रोक्टर के पिता अपोलो मिशन के दौरान नासा के साथ काम कर चुके हैं। वे खुद कई बार नासा के स्पेस प्रोग्राम में पार्टिसिपेट कर चुकी हैं।

क्रिस सेम्ब्रोस्की: 42 साल के क्रिस अमेरिकी एयरफोर्स के पायलट रहे हैं और इराक युद्ध में भी शामिल थे। फिलहाल क्रिस एयरोस्पेस और डिफेंस निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन के साथ काम कर रहे हैं।

मिशन की क्या खासियत है?

  • धरती की कक्षा में जाने वाला ये पहला नॉन प्रोफेशनल एस्ट्रोनॉट्स का क्रू है। इस मिशन के चारों सदस्य इससे पहले कभी अंतरिक्ष में नहीं गए हैं। चारों आम लोग हैं।
  • इससे पहले ब्लू ओरिजिन और वर्जिन स्पेस शिप ने भी प्राइवेट स्पेस टूरिज्म की शुरुआत करते हुए उड़ान भरी थी, लेकिन ये दोनों स्पेसक्राफ्ट एज ऑफ स्पेस तक ही गए थे। दूसरी ओर इसाकमैन का स्पेसक्राफ्ट धरती की ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। दूरी के लिहाज से देखा जाए तो ये पहले के दोनों स्पेसक्राफ्ट से करीब 475 किलोमीटर ज्यादा दूर गया है।
  • ब्लू ओरिजिन और वर्जिन स्पेस शिप के मिशन कुछ मिनटों के ही थे। वे लोग स्पेस में गए और कुछ मिनटों बाद दोबारा धरती पर लौट आए, लेकिन ये मिशन तीन दिन का है।
  • इस स्पेसक्राफ्ट में दो ट्रेन्ड पायलट हैं, लेकिन स्पेसक्राफ्ट को ऑपरेट करने में उनका कोई रोल नहीं है। वर्जिन स्पेस शिप को दो पायलट ऑपरेट कर रहे थे।

स्पेसक्राफ्ट के बारे में भी जान लीजिए

चारों लोग ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए अंतरिक्ष में गए हैं। ये स्पेसक्राफ्ट एक साथ 7 लोगों को स्पेस में ले जा सकता है। ये ह्यूमन को स्पेस में ले जाने वाला पहला प्राइवेट स्पेसक्राफ्ट भी है। इस स्पेसक्राफ्ट को फॉल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च किया गया।

मिशन मेंबर के सिलेक्शन की कहानी भी रोचक है

  • जेयर्ड इसाकमैन ही इस पूरे मिशन को फंड कर रहे हैं। उनके अलावा बचे हुए तीन लोगों का सिलेक्शन भी इसाकमैन ने ही अलग-अलग तरीकों से किया है। पूरे मिशन को इंस्पिरेशन 4 नाम दिया गया है और चारों लोगों को अलग-अलग ह्यूमन वैल्यू असाइन की गई है। इसाकमैन ट्रिप में लीडरशिप वैल्यू को रिप्रजेंट कर रहे हैं।
  • इसाकमैन की कंपनी शिफ्ट4 पेमेंट ने एक कॉम्पिटिशन का आयोजन किया था। कॉम्पिटिशन में शामिल लोगों को कहा गया था कि वे एक दुकान खोलें और उसमें शिफ्ट4 पेमेंट के पेमेंट गेटवे से लेनदेन करें। शॉन प्रोक्टर ने MySpace2Inspire.com नाम से वेबसाइट शुरू की और अपने आर्टवर्क को बेचा। वे क्यों स्पेस में जाने के लिए एक परफैक्ट कैंडिडेट हैं, ये समझाने के लिए उन्होंने एक कविता भी लिखी थी। मिशन में वे Prosperity यानी समृद्धता को रिप्रजेंट कर रही हैं।
  • क्रिस सेम्ब्रोस्की का सिलेक्शन भी रोचक तरीके से हुआ है। सेंट जूड के चिल्ड्रन रिसर्च हॉस्पिटल के लिए इसाकमैन की कंपनी ने फंड रेज किए थे। डोनेट करने वाले सभी लोगों को एक टिकट दिया गया था। ये टिकट किसी को भी इस मिशन का हिस्सा बना सकता था। क्रिस के एक दोस्त ने भी इस कैंपेन में डोनेट किया था। स्पेस में क्रिस का इंटरेस्ट देखते हुए उसने अपना टिकट क्रिस को दे दिया और इस तरह क्रिस का सिलेक्शन हुआ। क्रिस मिशन में Generosity यानी उदारता को रिप्रजेंट कर रहे हैं।
  • ट्रिप के लिए सबसे पहले हेयली आर्केनियोक्स को चुना गया था। हेयली कैंसर सर्वाइवर हैं और उसी हॉस्पिटल में काम करती हैं जहां कभी उनका कैंसर का इलाज हुआ था। इसाकमैन भी उन्हीं के हॉस्पिटल के लिए डोनेशन कैंपेन चला चुके हैं। कैंसर से जीत और बाकी लोगों को प्रेरित करने के लिए हेयली का सिलेक्शन हुआ है। वे मिशन के दौरान Hope यानी उम्मीद को रिप्रजेंट कर रही हैं। इन चारों इस साल मार्च से ही मिशन के लिए ट्रेनिंग ली।

मिशन में कितनी रकम खर्च हो रही है?

इस पूरी ट्रिप का खर्च जेयर्ड इसाकमैन उठा रहे हैं। मिशन की टोटल कॉस्ट का अभी तक कोई खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि इसाकमैन ने मिशन के लिए स्पेस एक्स को अच्छी खासी रकम दी है। शायद मिशन पूरा होने के बाद इसाकमैन खर्च का ब्योरा सार्वजनिक करें।

अपने साथ कई चीजे ले जाएंगे चारों टूरिस्ट

ये पूरा मिशन हॉस्पिटल के लिए फंड रेजिंग के लिए किया जा रहा है, इसलिए चारों मिशन मेंबर अपने साथ कई चीजें ले गए हैं। अंतरिक्ष से लौटने के बाद पैसे जुटाने के लिए इन चीजों की नीलामी की जाएगी।

  • मिशन मेंबर्स जो जैकेट पहन कर गए हैं, उन पर सेंट जूड हॉस्पिटल के मरीजों ने स्पेशल आर्टवर्क किया है। इन्हें भी नीलाम किया जाएगा।
  • एक युकुलेले (4 तारों वाला गिटार) को भी साथ ले गए हैं, जिसे क्रिस सेम्ब्रोस्की स्पेस में बजाएंगे।
  • अपोलो 11 मिशन की 50वीं वर्षगांठ पर बनाया गया एक विशेष पेन भी मिशन मेंबर साथ ले गए हैं। इस पेन को अपोलो 11 के स्पेसक्राफ्ट मटीरियल से बनाया गया है।
  • एक ऐसे आर्टवर्क को भी साथ ले जाया गया है जो इससे पहले समुद्र की सबसे गहरी खाई में भी ले जाया गया था। ये आर्टवर्क दुनिया का पहला ऐसा आर्टवर्क है, जिसे समुद्र की गहराई और स्पेस की ऊंचाई दोनों में ले जाया गया है। इसके अलावा और भी कई चीजें हैं, मिशन का हिस्सा हैं।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.