पंजाब कांग्रेस में मचा घमासान:प्रदेश प्रधान की घोषणा से पहले सिद्धू व कैप्टन ने समर्थक सांसद, विधायकों व करीबियों से की बैठक, हाईकमान पर दबाव के लिए शक्ति प्रदर्शन
पंजाब में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान की घोषणा से पहले कांग्रेस में घमासान मच गया है। पंजाब कांग्रेस में इस वक्त नवजोत सिद्धू और CM कैप्टन अमरिंदर सिंह के दो गुट बन चुके हैं। गुरुवार को कांग्रेस के पंजाब इंचार्ज हरीश रावत के संकेत के बाद राज्य में कांग्रेस के भीतर बड़ी हलचल मची हुई है। प्रधान की घोषणा को समय करीब देखते हुए नवजोत सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने-अपने समर्थक विधायकों व सांसदों के साथ बैठक कर रहे हैं। कैप्टन के साथ उनके सलाहकार भी इस बैठक का हिस्सा हैं।
पंजाब कांग्रेस में मची इस हलचल के बाद कोई बड़ा सियासी धमाका होने की उम्मीद है। मीडिया एडवाइजर रवीन ठुकराल के कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की अटकलों को खारिज करने और अगले साल विस चुनाव लीड करने के ट्वीट के बाद मामला और गर्माता जा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि प्रदेश प्रधान की घोषणा से पहले सिद्धू व कैप्टन की तरफ से शक्ति प्रदर्शन कर हाईकमान पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है कि फैसले में उनकी बात को पूरी तरजीह दी जाए।
कैप्टन से असंतुष्ट विधायकों की सिद्धू से बैठक, कैप्टन करीबियों से मिले
पता चला है कि नवजोत सिद्धू ने मंत्री सुखजिंदर रंधावा, तृप्त राजिंदर बाजवा व चरणजीत चन्नी के साथ कैप्टन का खुलकर विरोध करने वाले विधायक प्रगट सिंह व कुलबीर जीरा के साथ बैठक की है। बैठक किस सिलसिले में थी, इसको लेकर किसी ने कोई बात नहीं की है। इसी के साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह के सिसवां फार्म हाउस में भी बैठक लगातार जारी है। इस बैठक में कैप्टन के करीबी राणा गुरमीत सोढ़ी, सुंदर शाम अरोड़ा, अरूणा चौधरी, सांसद गुरजीत औजला, फतेहजंग सिंह बाजवा शामिल हुए हैं। इसके अलावा कैप्टन करीबी सलाहकार भी इस बैठक का हिस्सा बनकर सियासी गोटियां फिट करने में लगे हुए हैं।
अब रावत की सफाई, सिद्धू पर अंतिम फैसला नहीं
गुरुवार दोपहर से चर्चा चली थी कि कांग्रेस के पंजाब इंचार्ज हरीश रावत ने नवजोत सिद्धू को कांग्रेस प्रधान बनाने के फैसले की पुष्टि कर दी है। जिसके बाद पंजाब कांग्रेस में हलचल शुरू हो गई थी। अब इस मामले में हरीश रावत की सफाई आई है कि उनसे यह पूछा गया था कि क्या नवजोत सिद्धू कांग्रेस के पंजाब प्रधान हो सकते हैं तो उन्होंने इतना कहा था कि कोई भी हो सकता है। रावत के इस यू-टर्न के बाद पंजाब में कांग्रेस व राजनीतिक जानकारों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनने के संकेत:अमरिंदर समर्थकों के ‘साड्डा नारा-कैप्टन दोबारा’ के जवाब में ‘सारे पंजाब दी हुंगार, सिद्धू इस बार’
कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत के नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब प्रधान (पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष) बनाने के संकेत के बाद राज्य में कांग्रेस की सियासत फिर गर्म हो गई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थक अब तक ‘साड्डा नारा-कैप्टन दोबारा’ (हमारा नारा-कैप्टन दोबारा) के पोस्टर लगा रहे थे।
अब सिद्धू समर्थकों ने पंजाब प्रधानगी के संकेत मिलते ही ‘सारे पंजाब दी हुंगार, सिद्धू इस बार’ (पूरे पंजाब की आवाज, सिद्धू इस बार) के पोस्टर लगाने शुरू कर दिए हैं। अब तक सियासी करवट को देख रहे सिद्धू समर्थक अब खुलकर सामने आने लगे हैं।
दोनों के समर्थकों के बीच कैप्टन और बब्बर शेर की लड़ाई जब कांग्रेस में कैप्टन व सिद्धू की सियासी लड़ाई शुरू हुई तो कैप्टन समर्थक खुलकर सामने आए थे। उन्होंने पंजाब में जगह-जगह पोस्टर लगा दिए थे कि ‘कैप्टन तां इक ही हुंदा है’ यानी कैप्टन तो कोई एक ही होता है।
सिद्धू के पास कोई बड़ी भूमिका नहीं थी तो उनके समर्थक चुप थे, लेकिन अब इसको भी सिद्धू समर्थकों ने जवाब दिया है कि ‘बब्बर शेर तां इक ही हुंदा है’ यानी बब्बर शेर तो सिर्फ एक ही होता है। साफ है कि जिस तरीके से नवजोत सिद्धू खुलकर कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हैं, उसे भांपकर समर्थक भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
दो कार्यकारी अध्यक्ष भी होंगे तो सिद्धू कितने पावरफुल?
फिलहाल जो संकेत दिए जा रहे हैं, वो नवजोत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस प्रधान और उनके साथ दलित व हिंदू समाज से दो कार्यकारी प्रधान बनाने के हैं। इसे मुख्यमंत्री व पंजाब प्रधान के पदों पर सिख चेहरे को ही रखने से सियासी नुकसान से जोड़कर देखा जा रहा है।
हालांकि ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि कैप्टन तक को निशाने पर लेने वाले नवजोत सिद्धू इससे पंजाब की कांग्रेसी सियासत में कितने पावरफुल रहेंगे। कैप्टन अमरिंदर सिंह को अगले चुनाव में कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाने की चर्चा हैं।
ऐसे में समर्थक भी निराश हैं कि कांग्रेस हाईकमान का यह फार्मूला शायद ही सिद्धू को रास आए। यही वजह है कि कुछ दिन पहले उन्होंने आम आदमी पार्टी की तारीफ वाले एक ट्वीट से कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बनाने की कोशिश भी की थी।
अधिकारिक घोषणा से पहले संकेत क्यों?
पंजाब में विधानसभा चुनाव 2022 में कैप्टन का दबदबा रहेगा या सिद्धू का, इसको लेकर पंजाब के कांग्रेसी विधायकों व सांसदों की अलग-अलग राय हाईकमान के सामने रही। पंजाब कांग्रेस का कलह सुलझाने वाली हाईकमान की कमेटी अभी तक चुप रही।
अब अचानक आधिकारिक घोषणा से पहले सिद्धू को पंजाब प्रधान के संकेत से यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं हाईकमान पंजाब व कांग्रेसियों की नब्ज तो नहीं टटोल रहा। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता की मानें तो कयासबाजी जो भी हो, कांग्रेस में जब तक चिट्ठी नहीं खुलती, तब तक क्या हाेगा? कोई कुछ नहीं कह सकता।