पंजाब कांग्रेस में बगावत:मतदान से पहले डैमेज कंट्रोल में जुटी पार्टी; दूसरे दलों में जा रहे दिग्गज नेताओं की मान मनौवल शुरू
मलोट में आप की विधायक रुपिंदर रूबी, मौड़ मंडी में डाक्टर मनोज बाला को टिकट देने, तलवंडी साबो से टिकट मांग रहे डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख के समधी हरमिंदर सिंह जस्सी को टिकट नहीं मिलने कारण विरोध की चिंगारी कुलबुलाई
पंजाब में कांग्रेस की चुनाव टिकटें घोषित होते ही पार्टी में बगावत का दौर भी शुरू हो गया है। दूसरी प्रतिद्वंद्वी पार्टियों की तरफ रुख कर रहे या रुख कर चुके कांग्रेसी नेताओं की घर वापसी के लिए मान मनौवल का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस ने पहली ही सूची के बाद पार्टी में शुरू हुई बगावत रोकने के लिए कई नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है कि वह किसी न किसी तरह रूठे हुए नेताओं को मनाकर उनकी घर वापसी करवाएं या जो जाने की सोच रहे हैं, उन्हें रोककर डैमेज कंट्रोल करें।
अमृतसर में यह जिम्मेदारी कांग्रेस हाईकमान ने डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा को सौंपी है। जालंधर में यही काम कैबिनेट मंत्री राजकुमार वेरका को सौंपा गया है। जबकि मालवा क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट मंत्री अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग समेत कुछ अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को यह काम सौंपा गया है। इन नेताओं ने हाईकमान से हुकम मिलते ही डैमेज कंट्रोल के लिए प्रयास शुरू भी कर दिए हैं।
वेरका लगातार जालंधर में मुख्यमंत्री चन्नी के रिश्तेदार और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह केपी को मनाने में लगे हैं। जब केपी के भारतीय जनता पार्टी में जाने की चर्चाएं चली थीं तो वेरका शाम को ही केपी के घर पहुंच गए थे। दोनों में काफी लंबी बातचीत हुई। वेरका ने फोन पर दिल्ली में बैठे पार्टी के उच्च पदाधिकारियों से बात भी करवाई। खुद मुख्यमंत्री चन्नी ने भी केपी से बात की है और उन्हें पार्टी के लिए काम करने के लिए कहा।
डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा अमृतसर ग्रामीण के अध्यक्ष भगवंत पाल सिंह सच्चर को मनाने में जुटे हैं। सच्चर जो काफी लंबे अरसे से पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं, को आस थी कि लाली मजीठिया के आम आदमी पार्टी में जाने के बाद मजीठा हलके से उन्हें टिकट मिल जाएगा, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इससे वह गुस्से में आकर भाजपा में शामिल हो गए। अब रंधावा ने उन्हें आश्वासन दिया है कि मजीठा हलके समेत कुछ अन्य क्षेत्रों के टिकट रिव्यू में डाले जा रहे हैं और वह घर वापसी करें, चुनाव में कांग्रेस पार्टी का काम देखें।
बता दें कि पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने जो पहली सूची जारी की है, उसने पार्टी में इतना बवाल मचा दिया है कि कई दिग्गज बरसों कांग्रेस को देने के बाद बाय-बाय करके दूसरे दलों में चले गए। इनमें अधिकतर ऐसे नेता हैं, जो चुनाव टिकट चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें दरकिनार करके दूसरी पार्टियों से आए लोगों को टिकट दे दिए।
मान को नहीं मिला सम्मान तो पकड़ा झाड़ू
फगवाड़ा से एग्रो इंडस्ट्री के अध्यक्ष जोगेंद्र सिंह मान, जो पहले जालंधर से विधायक भी रह चुके हैं, सोम प्रकाश के केंद्र सरकार में मंत्री बन जाने के बाद खाली हुई फगवाड़ा सीट पर उपचुनाव में भी टिकट चाहते थे। लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने खासमखास पूर्व आईएएस अधिकारी बलविंदर सिंह धालीवाल को टिकट दे दिया। सत्ता में कांग्रेस पार्टी थी तो वह प्रभाव के कारण भाजपा के गढ़ में चुनाव भी जीत गए। उस वक्त पार्टी में बगावत को रोकने के लिए कैप्टन ने जोगेंद्र सिंह को एडजस्ट किया और कैबिनेट रैंक का ओहदा देते हुए पंजाब एग्रो इंडस्ट्री का अध्यक्ष बना दिया।
इस बार कैप्टन पार्टी से ही बाहर हो गए तो उन्होंने दोबारा फिर से पार्टी की टिकट के लिए जद्दोजहद शुरू की। लेकिन कांग्रेस की लिस्ट आने से दो दिन पहले उन्हें यह कन्फर्म हो गया था कि इस बार टिकट फिर से उन्हें नहीं मिलेगा, बल्कि सिटिंग एमएलए को ही टिकट दिया जा रहा है। उन्होंने अपना कांग्रेस में मंतव्य पूरा न होते देख एक भावुक चिट्ठी सोनिया गांधी को लिखी और कांग्रेस को अलविदा कह दिया।
हरजोत अब भाजपा का खिलाएंगे कमल
मोगा से कांग्रेस के विधायक हरजोत कमल की टिकट कटने पर वह लिस्ट जारी होते ही चंडीगढ़ जाकर भाजपा में शामिल हो गए। हरजोत कमल के स्थान पर कांग्रेस ने इस बार टिकट अभिनेता सोनू सूद की बहन मालविका सूद को दे दी। जबकि हरजोत कमल मालविका के कांग्रेस में शामिल होते हुए विरोधी हो गए थे। हरजोत का कहना है कि उन्हें कोई अफसोस नहीं होता, यदि सोनू सूद चुनाव लड़ते। पार्टी सोनू सूद को टिकट देती तो वह साथ भी देते। उनका समाज सेवा में बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन बहन का किरदार ऐसा नहीं रहा है। पार्टी उन्हें कहीं दूसरी जगह से टिकट देने के लिए भी कह रही थी, लेकिन उन्होंने पार्टी के वफादार सिपाही के साथ जिस तरह का बर्ताव किया है, उससे खिन्न होकर उन्होंने दूसरी जगह जाना बेहतर समझा।
स्टारडम देख विचारधारा भटकी अहिंसावादी कांग्रेस, विरोध
मानसा में भी गांधीवादी अहिंसावादी विचारधारा रखने वाली कांग्रेस ने हिसंक सोच वाले हथियारों व मारधाड़ से भरे गीत गाने वाले गायक सिद्धू मूसेवाला को टिकट दे दिया। इससे वहां पर भी कांग्रेस में विरोध की धुन बज उठी। मानसा में तो विधायक से लेकर यूथ कांग्रेस तक सारा संगठन ही विरोध पर उतर आया है। इलाके में अपनी पैठ रखने वाले स्वर्गीय मंत्री शेर सिंह गागोवाल के परिवार के सदस्यों गुरप्रीत कौर गागोवाल, अर्शदीप सिंह माइकल गागोवाल, स्थानीय विधायक नाजर सिंह मानशाहिया, यूथ कांग्रेस प्रधान चुसपिंदर सिंह ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। सभी इकट्ठे होकर चुनाव के लिए अपनी रणनीति तय करने जा रहे हैं और अपनी ही पार्टी के खिलाफ चुनाव में उतरेंगे।
टिकट नहीं मिली तो छोड़ा हाथ का साथ
अमृतसर में कांग्रेस के भीतर भड़की चिंगारी शांत नहीं हो रही है। मजीठा से लाली मजीठिया के आम आदमी पार्टी में जाने के बाद अब अमृतसर ग्रामीण के अध्यक्ष भगवंत पाल सिंह सच्चर पार्टी को अलविदा कह कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। उनका कहना था कि जिस तरीके से पार्टी में उथल पुथल मची हुई है, इससे वह घुटन महसूस कर रहे थे, जिस कारण उन्होंने कांग्रेस छोड़ी है। दरअसल बात यह भी थी कि बरसों कांग्रेस में लगाने के बाद भी उन्हें संगठन से ऊपर नहीं उठाया जा रहा था। वह चाहते थे कि लाली मजीठिया के आम आदमी पार्टी में जाने के बाद टिकट उन्हें दिया जाता। लेकिन नहीं मिला तो यही घुटन उनकी पार्टी से उनके विघटन का कारण बनी।
‘मैं भी आशु हूं’ से डैमेज कंट्रोल
इसी तरह से लुधियाना में खाद्य आपूर्ति मंत्री आशु के खासमखास रहे लुधियाना पश्चिमी से पार्षद और पंजाब सरकार के पीएसआईसी विभाग के चेयरमैन गुरप्रीत गोगी ने बुधवार को कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। अब वही गोगी कांग्रेस के खिलाफ लुधियाना पश्चिमी से ताल ठोकेंगे। गोगी को आम आदमी पार्टी ने लुधियाना पश्चिमी से अपना प्रत्याशी बनाया है। कभी आशु के लिए वोटें मांगने वाले गोगी अब खुद के लिए प्रचार करेंगे और आशु को टक्कर देंगे। बता दें कि आशु ने गोगी के डैमेज को कंट्रोल करने के लिए पहले ही ‘मैं भी आशु हूं’ मुहिम चला दी है, ताकि जो कांग्रेस में टूट फूट हो रही उस तरफ किसी का ध्यान न जाए। गोगी ने भी कांग्रेस घुटन की वजह और आगे नगर निगम से विधानसभा की तरफ जाता कोई रास्ता नजर न आता देख पार्टी छोड़ी।
मुख्यमंत्री चन्नी के अपने घर में ही बगावत
विधानसभा चुनाव 2022 में सबसे बड़ी बगावत तो मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के परिवार और रिश्तेदारी में देखने को मिल रह है। रूपनगर में जहां उनका चचेरा भाई कांग्रेस से बागी होकर आजाद चुनाव लड़ने के लिए दंगल में उतर रहा है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के छोटे भाई डॉ. मनोहर सिंह ने घोषणा की है कि वह बस्सी पठाना निर्वाचन क्षेत्र से बतौर स्वतंत्र उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे।बता दें कि शनिवार को कांग्रेस ने 86 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी। इस लिस्ट में चन्नी के भाई का नाम नहीं था। चन्नी के भाई ने सरकारी नौकरी ही इसलिए छोड़ी थी कि उन्हें कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ना था। कांग्रेस के टिकट देने से इनकार करने के बाद चन्नी के भाई अब निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।
वहीं जालंधर में आदमपुर से चन्नी के रिश्तेदार पूर्व सांसद महेंद्र सिंह केपी टिकट न मिलने पर बगावती सुर अपनाए हुए हैं। उन्होंने सीधे-सीधे धमकी दे दी है कि वह चुनाव जरूर लड़ेंगे। लेकिन आजाद लड़ेंगे या फिर किसी दल की किश्ती पर सवार होकर लड़ेंगे, इस पर अभी तक उन्होंने कोई सुर बाहर नहीं निकाला है। बस इतना ही कह रहे हैं कि जल्द ही बता देंगे। लेकिन भीतरी सूत्रों के हवाले से पता चला है कि वह भाजपा के साथ अपना तारतम्य बिठा रहे हैं। इसके लिए वह पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के भी संपर्क में हैं।
केपी का कहना है कि उन्होंने लंबे समय तक पार्टी की सेवा की। अब कहते हैं कि सर्वे में नेगेटिव रिजल्ट आने के कारण उनका टिकट काटा गया। लेकिन जो अभी 20-25 दिन पहले ही पार्टी में आए हैं, उनका 15 दिन में ही सर्वे में ऐसा क्या देख लिया गया, जो उन्हें विधानसभा चुनाव टिकट दे दिया गया। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में वह तीसरे नंबर रहे थे। उनकी हार का तो मार्जन भी कम था। इसी प्रकार मलोट में आप की विधायक रुपिंदर रूबी, मौड़ मंडी में डाक्टर मनोज बाला को टिकट देने, तलवंडी साबो से टिकट मांग रहे डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख के समधी हरमिंदर सिंह जस्सी को टिकट नहीं मिलने कारण विरोध की चिंगारी कुलबुला गई है।
उन 12 विधायक सीटों का समीकरण जहां पर फंसा है पेंच, यहां भी हो सकती हैं बगावत उ
खेमकरण ः गुरचेत सिंह भुल्लर कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। इस बार उनके विधायक बेटे सुखपाल और वह दोनों ही टिकट मांग रहे हैं।
अटारी ः यहां से तरसेम सिंह डीसी मौजूदा विधायक हैं। वह पूर्व आईएएस अधिकारी रहे हैं। इस बार यहां से नया चेहरा उतारने की संभावना है।
फाजिल्का ः दविंदर सिंह घुबाया कांग्रेस से मौजूदा विधायक हैं। यह सुनील जाखड़ का होम डिस्ट्रिक भी है। जाखड़ इस बार घुबाया को टिकट देने का विरोध कर रहे हैं।
जलालाबाद ः रमिंदर आवला कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं। वह यह सीट छोड़ कर गुरु हरि सहाय से टिकट लेना चाह रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू आवला को सुखबीर बादल के सामने उतरने को कह रहे हैं।
गिल ः कुलदीप वैद कांग्रेस के मौजूदा विधायकों हैं। यहां से चेहरा बदला जा सकता है।
नवांशहर ः कांग्रेस के अंगद सिंह मौजूदा विधायक हैं। उनकी पत्नी अदिति सिंह रायबरेली यूपी से विधायक बनी थीं, लेकिन उन्होंने दो महीने पहले कांग्रेस छोड़ दिया था।
खडूर साहिब ः यहां से रमनजीत सिंह सिक्की मौजूदा विधायक हैं। इस बार यहां से सांसद जसबीर सिंह डिंपा खुद या अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं। इसीलिए इस सीट का पहली लिस्ट में जिक्र नहीं हो पाया था।
फिरोजपुर देहाती ः यहां से सत्कार कौर कांग्रेस की मौजूदा विधायक हैं। इस बार नया चेहरा उतारने की संभावना है।
अमरगढ़ ः सुरजीत धीमान कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं। उनका होम टाउन दिड़बा में है। यह रिजर्व सीट है। 2017 में उन्हें अमरगढ़ भेज दिया गया था। इस बार वह सुनाम से अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं।
समराला ः यहां से अमरीक सिंह मौजूदा विधायक हैं। बुजुर्ग होने से इस बार चुनाव नहीं लड़ना चाहते। इस बार नया चेहरा उतारे जाने की भी संभावना है।
सुतराणा ः निर्मल सिंह मौजूदा विधायक हैं। नया चेहरा उतारे जाने की संभावना है। {भोआ- जोगिंदरपाल कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं। नया चेहरा उतारने की संभावना है।