ओलिंपिक इवेंट; शूटिंग:27 में से सिर्फ 3 ओलिंपिक में भारत जीत सका है मेडल, 2008 में जीता था गोल्ड; इस बार 15 शूटर्स पर जिम्मेदारी
टोक्यो ओलिंपिक में अब 24 दिन बाकी रह गए हैं। ओलिंपिक के सबसे महत्वपूर्ण इवेंट में से एक है शूटिंग। भारत ने इस इवेंट में 1 गोल्ड और 2 सिल्वर समेत समेत कुल 4 मेडल जीते हैं। अभिनव बिंद्रा ने 2008 बीजिंग ओलिंपिक में गोल्ड अपने नाम किया था। हालांकि, भारत इससे पहले और इसके बाद कभी स्वर्ण पदक नहीं जीत सका। इस बार भारत को सबसे ज्यादा उम्मीद अपने शूटर्स से ही हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि पहली बार देश के 15 शूटर्स ने कोटा हासिल किया है। लंदन ओलिंपिक 2012 में भारत के 11 निशानेबाजों ने हिस्सा लिया था जबकि रियो ओलिंपिक 2016 में 12 भारतीय निशानेबाज उतरे थे। अब तक शूटिंग स्पोर्ट्स कुल 27 ओलिंपिक का हिस्सा रहा है। इसमें से सिर्फ 3 ओलिंपिक 2004, 2008 और 2012 में भारत मेडल जीत सका है। 2008 में अभिनव बिंद्रा ने भारत को पहला और आखिरी गोल्ड दिलाया था।
चीन के बाद भारत के पास सबसे ज्यादा कोटा
चीन के बाद भारत एशिया में सबसे ज्यादा कोटा हासिल करने वाला देश है। चीन के पास 25 कोटा है। इनके अलावा पिस्टल और राइफल के मिक्स्ड इवेंट में भारत की 2-2 टीमों को एंट्री मिलेगी। ऐसे में भारत के शूटर 19 मेडल के लिए ओलिंपिक में दावेदारी पेश करेंगे।
ओलिंपिक में शूटिंग का इतिहास
1896 में पहले मॉडर्न गेम्स यानी पहले समर ओलिंपिक में 9 स्पोर्ट्स शामिल किए गए थे। इसमें से शूटिंग भी एक स्पोर्ट था। तब से लेकर अब तक कुल शूटिंग के 59 इवेंट ओलिंपिक में खेले जा चुके हैं। 1984 में पहली बार विमेंस शूटिंग को ओलिंपिक में शामिल किया गया। हालांकि, फिलहाल 3 डिसिप्लिन में शूटिंग के 15 इवेंट्स हैं। डिसिप्लिन में राइफल, पिस्टल और शॉटगन शामिल है। इवेंट्स में 6 पुरुष, 6 महिला और 3 मिक्स्ड इवेंट्स शामिल हैं। हालांकि, इन सभी के अपने-अपने तरीके हैं।
क्वालीफिकेशन और फाइनल समेत 2 राउंड में फैसला
ओलिंपिक में हिस्सा लेने के बाद सभी शूटर्स को उनके इवेंट में क्वालीफिकेशन राउंड से गुजरना पड़ता है। इसके बाद इसमें से फाइनल इवेंट के लिए शूटर्स चुने जाते हैं, जो मेडल के लिए दावेदारी पेश करते हैं। 2016 रियो ओलिंपिक तक शूटिंग में कुल 322 मेडल दिए जा चुके हैं। सबसे ज्यादा मेडल जीतने का रिकॉर्ड यूएसए के नाम है। उन्होंने 54 गोल्ड, 29 सिल्वर और 27 ब्रॉन्ज समेत 110 मेडल जीते हैं। वहीं, भारत 34वें नंबर पर है।
हम आपको शूटिंग के अलग-अलग इवेंट के बारे में बता रहे हैं…
1. 50 मीटर राइफल 3 पोजिशन
क्वालीफिकेशन
- प्रोन, स्टैंडिंग और नीलिंग पोजिशन में 40-40 शॉट फायर करना होता है
- इसके लिए 2 घंटे 45 मिनट का वक्त दिया जाता है
- फाइनल के लिए टॉप-8 शूटर क्वालीफाई करते हैं
फाइनल राउंड
- कुल 45 शॉट फायर करने होते हैं।
- प्रोन, स्टैंडिंग और नीलिंग पोजिशन में 15-15 शॉट फायर करना होता है।
- नीलिंग पोजिशन में 5 शॉट सीरीज का इस्तेमाल होता है। 200 सेकेंड का वक्त दिया जाता है।
- प्रोन पोजिशन में भी 5 शॉट सीरीज का इस्तेमाल होता है। 150 सेकेंड का वक्त दिया जाता है।
- स्टैंडिंग पोजिशन में पहले 10 शॉट 5-5 की सीरीज में होते हैं। 250 सेकेंड का वक्त दिया जाता है।
- आखिरी 5 शॉट कमांड पर फायर किए जाते हैं। 50 सेकेंड का वक्त दिया जाता है।
2. 10 मीटर एयर राइफल
क्वालीफिकेशन
- स्टैंडिंग पोजिशन में 60 शॉट शूट करने होते हैं।
- इसके लिए 1 घंटे 15 मिनट का वक्त दिया जाता है।
- फाइनल के लिए टॉप-8 शूटर क्वालीफाई करते हैं।
फाइनल राउंड
- स्टैंडिंग पोजिशन में 24 शॉट तक शूट करने होते हैं।
- पहले 2 फाइव शॉट सीरीज शूट करना होता है। 150 सेकेंड का वक्त दिया जाता है।
- बाकी 14 शॉट कमांड पर फायर करने होते हैं। एक शॉट के लिए 50 सेकेंड का वक्त दिया जाता है।
- जिसके सबसे ज्यादा पॉइंट होते हैं, वह विनर होता है।
3. 10 मीटर एयर राइफल मिक्स्ड टीम
क्वालीफिकेशन
- हर एक टीम मेंबर को 40 शॉट फायर करने होते हैं।
- यानी 2 मेंबर की टीम को कुल 80 शॉट।
- इसके लिए 50 मिनट का समय दिया जाता है।
- टॉप-5 टीम फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई करती है।
फाइनल राउंड
- इसमें टीम को कुल 48 शॉट फायर करने होते हैं। एक टीम मेंबर को कुल 24 शॉट।
- शुरुआत में टीमें 3 की सीरीज के 5 शॉट फायर करती हैं। एक टीम कुल 30 शॉट फायर करती है।
- इसके बाद कमांड पर 9 सिंगल शॉट फायर करने होते हैं। 17वें इंडिविजुअल शॉट के बाद एलिमिनेशन की शुरुआत होती है।
4. 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल मेन
क्वालीफिकेशन स्टेज-1 और स्टेज 2
- दोनों में 5-5 शॉट के दो सीरीज शूट किए जाते हैं। एक शॉट के लिए 8 सेकेंड का समय दिया जाता है।
- इसके बाद दोनों में 5-5 शॉट के दो सीरीज शूट किए जाते हैं। एक शॉट के लिए 6 सेकेंड का समय दिया जाता है।
- फिर दोनों में 5-5 शॉट के दो सीरीज शूट किए जाते हैं। एक शॉट के लिए 4 सेकेंड का समय दिया जाता है।
- टॉप-6 शूटर फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई करते हैं।
फाइनल राउंड
- इसमें कुल 8 सीरीज होती हैं। एक फाइनलिस्ट पहले 4 सीरीज तक 5 शॉट फायर करता है।
- चौथी सीरीज के बाद से सबसे कम स्कोर वाले खिलाड़ियों को एलिमिनेट किया जाता है।
- 8वें सीरीज में जाकर विजेता की घोषणा होती है।
5. 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल विमेन
क्वालीफिकेशन स्टेज-1 और स्टेज 2
- दोनों में 5-5 शॉट के 6 सीरीज शूट किए जाते हैं।
- टॉप-8 शूटर फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई करते हैं।
फाइनल राउंड
- इसमें कुल 10 सीरीज होती हैं।
- पॉइंट्स के आधार पर खिलाड़ियों को एलिमिनेट किया जाता है।
- 10वें सीरीज में जाकर विजेता की घोषणा होती है।
6. 10 मीटर एयर पिस्टल मेन
क्वालीफिकेशन
- स्टैंडिंग पोजिशन में 60 शॉट्स फायर करने होते हैं।
- इसके लिए 1 घंटे 15 मिनट तक का वक्त दिया जाता है।
- पॉइंट के आधार पर टॉप-8 शूटर फाइनल के लिए क्वालीफाई करते हैं।
फाइनल राउंड
- स्टैंडिंग पोजिशन में 24 शॉट फायर करना होता है।
- हर एक शॉट के लिए कमांड दिया जाता है और एक शॉट के लिए 75 सेकेंड का समय दिया जाता है।
7. 10 मीटर एयर पिस्टल विमेन
क्वालीफिकेशन
- स्टैंडिंग पोजिशन में 60 शॉट्स फायर करने होते हैं।
- इसके लिए 1 घंटे 15 मिनट तक का वक्त दिया जाता है।
- पॉइंट के आधार पर टॉप-8 शूटर फाइनल के लिए क्वालीफाई करते हैं।
फाइनल राउंड
- स्टैंडिंग पोजिशन में 24 शॉट फायर करना होता है।
- 5-5 शॉट के 2 सीरीज शूट किए जाते हैं। 250 सेकेंड का वक्त दिया जाता है।
- बाकी 14 शॉट के लिए कमांड दिया जाता है और एक शॉट के लिए 50 सेकेंड का समय दिया जाता है।
8. ट्रैप/स्कीट
क्वालीफिकेशन
- 5 राउंड में 125 क्ले पर निशाना साधना होता है। कुल 25 टारगेट होते हैं।
- शूटर्स को 6-6 के स्क्वॉड में बांटा जाता है।
- एक शूटर को एक टारगेट पर ज्यादा से ज्यादा 2 शॉट लेने की इजाजत होती है।
- टॉप-6 शूटर्स फाइनल के लिए क्वालीफाई करते हैं।
फाइनल राउंड
- एक राउंड में 50 टारगेट तक दिया जाता है।
- एक टारगेट पर सिर्फ एक बार निशाना साध सकते हैं।
महिलाओं की शूटिंग में कैसे हुई एंट्री?
विमेंस को सबसे पहली बार 1968 ओलिंपिक में हिस्सा लेने दिया गया था। उस साल मैक्सिको, पेरू और पोलैंड ने 1-1 विमेन कंटेस्टेंट्स को ओलिंपिक के लिए भेजा था। तब मेन्स और विमेंस का एक ही इवेंट होता था। 1980 ओलिंपिक तक विमेंस को मेन्स के साथ ही हिस्सा लेने दिया गया। 1984 में पहली बार 3 इवेंट में विमेंस को मेन्स से अलग कर दिया गया। 1984 से लेकर 1992 तक इस खेल में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। अब ट्रैप और स्कीट जैसे मुश्किल खेल में भी महिलाएं खेलती हैं।
97 देश के 390 शूटर्स ले रहे हिस्सा
1896 में पहले मॉडर्न गेम्स में 7 देश के 31 शूटर्स ने हिस्सा लिया था। 1984 में 68 देशों के 462 शूटर्स ओलिंपिक में खेल रहे थे। 2004 में 106 देशों के 390 शूटर्स को ओलिंपिक कोटा मिला। इसमें 253 मेन और 157 विमेंस थे। तब 17 शूटिंग इवेंट्स हुआ करते थे। 2008 में इसे घटाकर 15 कर दिया गया। 2008 बीजिंग ओलिंपिक में 100 देशों के 390 शूटर्स को ही ओलिंपिक कोटा दिया गया। इस बार भी 97 देशों के 390 एथलीट शूटिंग में हिस्सा ले रहे हैं।