Nice ग्रुप बरेली जगा रहा है इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की अलख
इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति से पिछले 100 साल से हिंदुस्तान में मरीजों का इलाज़ हो रहा है। 1865 में इटली के डॉ. काउंट सीजर मैटी ने उक्त इलेक्ट्रो होमियोपैथी प्रणाली का अविष्कार किया था।
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (। ) उत्तर प्रदेश के बरेली के Nice नाइस ग्रुप, नाइस मेडिकल कॉलेज आदि इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की अलख जलाने का काम कई वर्षो से कर रहे हैं। नाइस मेडिकल के मैनेजिंग डायरेक्टर (इंडियन इलेक्ट्रोहोम्योपैथी मेडिकल एसोसिएशन के संस्थापक) डॉ. परवीन कुमार 2013 से चिकित्सा जगत की पांचवी पद्धति इलेक्ट्रो होमियोपैथी के प्रचार प्रसार के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं। डॉ. परवीन कुमार कहते हैं कि वह देश विदेशो के स्टूडेंट और डॉक्टर्स के लिए ऑन लाइन फ्री क्लास लगा रहे हैं। इसमें इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति बाबत टिप्स दिए जाते हैं।
डॉ. परवीन कुमार ने बताया कि इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति से पिछले 100 साल से हिंदुस्तान में मरीजों का इलाज़ हो रहा है। 1865 में इटली के डॉ. काउंट सीजर मैटी ने उक्त इलेक्ट्रो होमियोपैथी प्रणाली का अविष्कार किया था। इसमें रक्त और रस में आई अशुद्धियों को दूर कर रोगी का उपचार किया जाता है। इसके तहत कोहेबेशन टैक्नीक से 114 पेड़ पौधों के अर्क (स्पेजरिक एसेंस) से बीमारियां का इलाज किया जाता है। 38 तरह की दवाओं का बहुत ही डिलीयूटिड फोरम में मरीज को दिया जाता है, जिससे उसे बिमारी के निदान में अप्रत्याशित परिणाम मिलते हैं। डाक्टर परवीन कहते हैं कि कैंसर, लीवर प्राब्लम, किडनी रोग, पथरी, माइग्रेन, गठिया, चमड़ी रोग, सेक्स समस्याओं आदि में इसके चमत्कारी प्रभाव देखने को मिलें हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी पद्धति की प्रेक्टिस पर किसी तरह की रोक नहीं हैं। उन्होंने कहा की नाइस ग्रुप इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को प्रफुल्लित करने मे जुटा हुआ है।
Dr Parveen Kumar
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*सरकार ने हमें मान्यता नहीं दी तो क्या, समाज ने हमें मान्यता दे दी है*
इंडियन इलेक्ट्रोहोम्योपैथी मेडिकल एसोसिएशन के संस्थापक डॉ. परवीन कुमार बरेली कहते हैं
कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। देश के कोने में बैठा ग्रामीण हो या केंद्र सरकार में मंत्री की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति हर कोई इलेक्ट्रो होम्योपैथी पद्धति से परिचित है। ऐसे में हम अगर मान्यता मान्यता चीखते हैं तो वह बेमानी है। अगर हमारी दवाई में जान नहीं है तो सैकड़ों लाखों लोग इलेक्ट्रो होम्योपैथी दवा को क्यों सही मान रहे हैं। लाखो डॉक्टर अपने परिवार का पालन पोषण कैसे कर रहे हैं। दर्जनों बोर्ड, काउंसलिंग किस तरह वर्किंग कर रहे हैं। असलियत तो यह है किस समाज ने हमें मान्यता दे दी है लेकिन सरकार ने हमें मान्यता नहीं दी है इसके कारण हमें कुछ सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। हमारा संघर्ष इन सुविधाओं को लेने का है और वह हम लेकर हटेंगे।
रिपोर्ट- डॉ ऋतेश श्रीवास्तव, बठिंडा 9216000037