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तीसरी लहर में काम आएगी खबर:कोरोना हुआ तो वेंटिलेटर पर जाने से बचाएगा स्लीप एपनिया मास्क; जानिए आखिर कैसे

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कोरोना के लगभग दो साल पूरे होने को हैं, इस बीच वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की कमी से लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई। दूसरी लहर का कहर झेल चुके देश के सामने तीसरी लहर की आशंका है। ऐसे में सवाल यह है कि तीसरी लहर के लिए देश कितना तैयार है? तीसरी लहर की तैयारी में ब्रिटेन की यह रिसर्च भारत के बड़े काम आ सकती है जिसमें पता चला है कि स्लीप एपनिया मास्क कोरोना के मरीजों को वेंटिलेटर पर जाने से बचा सकता है।

CPAP मशीनें कोरोना पीड़ित को वेंटिलेटर पर जाने से बचा सकती हैं
वारविक यूनिवर्सिटी और क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट के रिसर्चर्स ने पाया कि एपनिया मास्क यानी लगातार पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (CPAP) मशीनें कुछ गंभीर रूप से बीमार रोगियों को वेंटिलेटर पर जाने से बचा सकती हैं। इस थेरेपी में अपर एयर-वे को कोलैप्स होने से बचाने के लिए फेफड़े में एयर पंप किया जाता है। यानी ये श्वास नली के ऊपरी हिस्से को निष्क्रिय होने से बचाता है और प्रेशर के साथ फेफड़ों में हवा भेजता है।

CPAP थेरेपी लेने वालों में मरने की आशंका काफी कम
रिसर्च में पता चला कि CPAP थेरेपी लेने वाले लोगों में 30 दिन के भीतर वेंटिलेटर पर जाने वाले या फिर मरने वाले लोगों की संख्या काफी कम थी। CPAP थेरेपी लेने वाले 377 लोगों में से 240 लोगों को यानी 63% लोगों को वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ी। इनमें से केवल 137 यानी 36.3% लोगों को या तो वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी या फिर 30 दिन के भीतर उनकी मौत हो गई। जबकि स्टैंडर्ड ऑक्सीजन ट्रीटमेंट लेने वाले 356 लोगों में 158 लोग यानी 44.4 प्रतिशत लोगों की कंडीशन ज्यादा खराब हो गई।

रिसर्च में यह भी सामने आया कि आईसीयू में भर्ती CPAP थेरेपी लेने वाले 12 में से केवल 1 मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी।

स्टडी के को-ऑथर डैनी मैकॉली का कहना है कि कोरोना के वो मरीज जिन्हें ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है, उनके लिए CPAP थेरेपी बेहतर विकल्प हो सकता है और इससे हो सकता है कि उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत न पड़े।’

भारत के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है एपनिया मास्क
इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर के मुताबिक, एक साल पहले 136.64 करोड़ आबादी वाले देश में करीब 40 हजार वेंटिलेटर थे। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार के मुताबिक फिलहाल देश में 57,518 वेंटिलेटर हैं। देश में अब तक 4.27 लाख लोगों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हुई, जिनमें से कई लोगों ने ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की कमी की वजह से अपनी जान गंवाई। ऐसे में एपनिया मास्क भारत के लोगों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में यह थेरेपी काफी मदद करती है
CPAP मशीन का कंप्रेसर दबाव वाली हवा की एक सतत धारा बनाता है। एक एयर फिल्टर के माध्यम से ट्यूब के जरिए शुद्ध हवा मरीज की नाक या मुंह के पास उसके मास्क में पहुंचती है। नींद में बिना किसी रुकावट के आपके फेफड़ों को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है। कोविड महामारी के दौर में इस मशीन का महत्व और बढ़ गया है। संक्रमण के शुरुआती चरणों के दौरान यह उपचार बड़े काम आता है और फेफड़ों को सुरक्षा देता है।

CPAP मास्क स्लीप एपनिया को मरीजों के लिए बनाया गया था
यह मूल रूप से स्लीप एपनिया पीड़ितों के लिए डिजाइन किया गया था, जो उन्हें गहरी नींद में सांस लेने में मदद करता है और उन्हें खर्राटे लेने से रोकता है। लेकिन एनएचएस का कहना है कि यह एपनिया मास्क दूसरी स्थितियों में मददगार है, इसलिए कोरोना मरीजों के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

स्लीप एपनिया में नींद में मरीज की सांस अचानक रुक जाती है
स्लीप एपनिया यानी ऐसी बीमारी, जिसमें नींद में मरीज की सांस अचानक से रुक जाती है और वह झटके से उठकर बैठ जाता है, या फिर ​बेचैन हो जाता है। यह नींद से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें ज्यादातर मरीज को इसका पता नहीं चल पाता है। इसे ऐसे समझें कि जैसे खर्राटे लेने वाले को नींद में पता नहीं चलता है कि वह खर्राटे ले रहा है, वैसे ही स्लीप एपनिया के मरीज को भी पता नहीं चलता है कि सोते हुए उसकी सांस रुक गई थी। नींद में सांस रुकने की समस्या कभी-कभी कुछ सेकेंड से लेकर कुछ मिनट तक भी हो सकती है।

यूके के 48 हॉस्पिटल में हुई रिसर्च
यह रिसर्च यूके के करीब 48 अस्पताल में हुई है। जिसमें यह पता चला कि CPAP थेरेपी लेने वाले रोगियों में वेटिंलेटर पर जाने या फिर मरने की आशंका काफी कम हो गई थी।

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