सूरमाओं का सम्मान LIVE:दिल्ली में ओलिंपिक मेडलिस्ट का सम्मान, खेल मंत्री ने कहा- आप न्यू इंडिया के न्यू हीरोज
टोक्यो ओलिंपिक मेडलिस्ट सभी खिलाड़ी देश लौट चुके हैं। एयरपोर्ट पर नीरज चोपड़ा, रवि दहिया, बजरंग पूनिया, लवलिना बोरगोहेन और पुरुष हॉकी टीम का जोरदार स्वागत किया गया। अब इन सभी एथलीट्स को अशोका होटल में सम्मानित किया जा रहा है।
खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा- ये शाम ओलिंपिक में भारत का नाम बढ़ाने वाले खिलाड़ियों की शाम है। मैं सभी पदक विजेताओं को 135 करोड़ लोगों की तरफ से बधाई देता हूं। नीरज चोपड़ा आपने मेडल ही नहीं दिल भी जीता है। आप सभी एथलीट्स न्यू इंडिया के न्यू हीरोज हैं।
कार्यक्रम में खेल मंत्री अनुराग ठाकुर, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू, खेल राज्य मंत्री निशीथ प्रामाणिक और इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन (IOA) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा मौजूद हैं।
भारत के लिए अब तक का सबसे सफल ओलिंपिक
टोक्यो ओलिंपिक में इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने 7 मेडल जीते, जो अब तक के सबसे ज्यादा मेडल हैं। इससे पहले 2012 लंदन ओलिंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने 6 मेडल जीते थे। पहली बार ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में नीरज ने भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता है।
जबकि मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में और रवि दहिया ने 57 किलो वेट में कुश्ती के फ्री स्टाइल में सिल्वर मेडल जीता। वहीं भारतीय पुरुष हॉकी टीम, कुश्ती के फ्री स्टाइल के 65 किलो वेट में बजरंग पूनिया, बैडमिंटन में पीवी सिंधु और बॉक्सिंग में लवलिना बोरगोहेन ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।
अमेरिका मेडल्स टैली में टॉप पर रहा, चीन दूसरे नंबर पर
टोक्यो में करीब 11 हजार एथलीट्स ने 339 इवेंट्स में हिस्सा लिया। भारत इस ओलिंपिक में 7 मेडल के साथ 48वें स्थान पर रहा, जो उसका ओलिंपिक इतिहास में सबसे शानदार प्रदर्शन है। अलग-अलग इवेंट में कुल 340 गोल्ड मेडल, 338 सिल्वर और 402 ब्रॉन्ज खिलाड़ियों ने जीते। टोक्यो ओलिंपिक 2020 में अमेरिका ने 39 गोल्ड, 41 सिल्वर और 33 ब्रॉन्ज समेत कुल 113 मेडल अपने नाम किए। जबकि चीन ने 38 गोल्ड, 32 सिल्वर और 18 ब्रॉन्ज सहित कुल 88 मेडल हासिल किए।
पदकवीरों का स्वागत:टोक्यो से लौटी ओलिंपिक टीम का जोरदार स्वागत, गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के साथ सेल्फी लेने के लिए उमड़ी भीड
टोक्यो ओलिंपिक के सूरमा नीरज चोपड़ा, रवि दहिया, बजरंग पूनिया, लवलिना बोरगोहेन और पुरुष हॉकी प्लेयर्स देश लौट चुके हैं। एयरपोर्ट पर सभी एथलीट्स का जोरदार स्वागत किया गया। ओलिंपिक के चैंपियंस का स्वागत बैंड-बाजे के साथ किया गया।
गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के साथ सेल्फी लेने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। उनके अलावा लवलिना बोरगोहेन, बजरंग पूनिया, रवि दहिया और दीपक पूनिया भी दिल्ली पहुंचे। पुरुष और महिला हॉकी टीम का भी बैंड-बाजे के साथ स्वागत हुआ। महिला हॉकी टीम और दीपक ब्रॉन्ज मेडल मैच में चूक गए थे।
फैन इंतजार करते रहे, खिलाड़ी VIP गेट से निकले
दिल्ली एयरपोर्ट पर ओलिंपिक स्टार्स का स्वागत करने के लिए बड़ी संख्या में प्रशंसक मौजूद थे। मीडिया भी टकटकी लगाकर पदकवीरों का इंतजार कर रहा था। ढोल-नगाड़ों और भारत माता की जय के नारे लगाए जा रहे थे।
इसी बीच जब चैंपियन्स की फ्लाइट लैंड होने की खबर मिली, तो लोगों को अपना इंतजार पूरा होता नजर आया। हालांकि, सिक्योरिटी फोर्सेस ने सभी खिलाड़ियों को रेगुलर अराइवल की जगह VIP गेट से बाहर निकाला गया। इसके चलते, चैंपियन्स के फैन और मीडिया थोड़े मायूस भी नजर आए।
नीरज की मां बेटे के लिए चूरमा लेकर एयरपोर्ट पहुंचीं
नीरज की मां सरोज देवी बेटे को देखने के लिए बेताब थीं। जैसे ही नीरज पहुंचे उनकी मां ने गले से लगा लिया। उन्होंने एयरपोर्ट पर बेटे का स्वागत मनपसंद चूरमा खिलाकर किया। नीरज की बहन संगीता का कहना है कि उनके भाई ने खूब मेहनत की है। नीरज के पिता भी बेहद खुश नजर आए।
एयरपोर्ट पर ही खिलाड़ियों का कोरोना टेस्ट हुआ
दिल्ली एयरपोर्ट पर ओलिंपिक से लौटे सभी खिलाड़ियों का RT-PCR और रैपिड एंटीजन किया गया। इसके बाद सभी खिलाड़ी अशोका होटल के लिए रवाना हो गए। अशोका में ओलिंपिक टीम का औपचारिक स्वागत किया जाएगा। इंडियन ओलिंपिक एसोशिएसन से लेकर खेल मंत्रालय तक के अफसर खिलाड़ियों के स्वागत के लिए तैनात हैं। यहीं खिलाड़ियों के लिए खाने पीने का इंतजाम भी किया गया है।
हॉकी टीम ने केक काटकर जश्न मनाया
भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम ने अशोका होटल में जश्न मनाया। दोनों टीमों ने होटल में केक काटा। पुरुष हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। वहीं महिला हॉकी टीम मेडल से चूक गई। ब्रॉन्ज मेडल मैच में ग्रेट ब्रिटेन ने 4-3 से हराया था।
क्या बोलीं बॉक्सर लवलिना?
लवलिना ने दिल्ली पहुंचने के बाद कहा कि मेरा सपना था कि मैं मेडल जीतकर भारत लौटूं। इतने दिनों के बाद यहां आकर और लोगों से मिलकर आज बहुत अच्छा लग रहा है। पेरिस 2024 में गोल्ड जीतने की कोशिश करूंगी। वहीं लवलिना के कोच शिव सिंह ने कहा कि मुक्केबाजी में ब्रॉन्ज मेडल एक सराहनीय उपलब्धि है। मुझे उम्मीद है कि हम भविष्य में स्वर्ण पदक जीतेंगे।
क्या बोले पहलवान दीपक पूनिया?
दिल्ली पहुंचने के बाद पहलवान दीपक पूनिया ने कहा कि आप लोग का प्यार पाकर बहुत अच्छा लग रहा है, मैं देशवासियों को धन्यवाद करता हूं। 2024 के लिए तैयारी करूंगा और देश को मेडल दूंगा। यही हमारा जीत का जश्न होगा।
भारत के लिए अब तक का सबसे सफल ओलिंपिक
टोक्यो ओलिंपिक में इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने 7 मेडल जीते, जो अब तक के सबसे ज्यादा मेडल हैं। इससे पहले 2012 लंदन ओलिंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने 6 मेडल जीते थे। पहली बार ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में नीरज चोपड़ा ने भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता है।
जबकि मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में और रवि दहिया ने 57 किलो वेट में कुश्ती के फ्री स्टाइल में सिल्वर मेडल जीता। वहीं भारतीय पुरुष हॉकी टीम, कुश्ती के फ्री स्टाइल के 65 किलो वेट में बजरंग पूनिया, बैडमिंटन में पीवी सिंधु और बॉक्सिंग में लवलिना बोरगोहेन ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।
टोक्यो ओलिंपिक में भारत के सूरमा
- नीरज चोपड़ा – गोल्ड (जेवलिन थ्रो)
- रवि दहिया – सिल्वर (रेसलिंग)
- मीराबाई चानू – सिल्वर (वेटलिफ्टिंग)
- पीवी सिंधु – ब्रॉन्ज (बैडमिंटन)
- लवलिना बोरगोहेन – ब्रॉन्ज (बॉक्सिंग)
- बजरंग पूनिया – ब्रॉन्ज (रेसलिंग)
- पुरुष हॉकी टीम – ब्रॉन्ज
नीरज, रवि और बजरंग पूनिया के गांव में भी तैयारी
नीरज चोपड़ा, रवि और बजरंग पूनिया के स्वागत की तैयारी इनके गांवों में भी की गई है। सभी खिलाड़ियों के परिवार और गांव के कुछ लोग दिल्ली एयरपोर्ट पर स्वागत के लिए मौजूद रहे। वहीं इन खिलाड़ियों के गांव पहुंचने पर गांववासियों की ओर से स्वागत किया जाएगा।
अमेरिका मेडल्स टैली में टॉप पर रहा, चीन दूसरे नंबर पर
टोक्यो में करीब 11 हजार एथलीट्स ने 339 इवेंट्स में हिस्सा लिया। भारत इस ओलिंपिक में 7 मेडल के साथ 48वें स्थान पर रहा, जो उसका ओलिंपिक इतिहास में सबसे शानदार प्रदर्शन है। अलग-अलग इवेंट में कुल 340 गोल्ड मेडल, 338 सिल्वर और 402 ब्रॉन्ज खिलाड़ियों ने जीते। टोक्यो ओलिंपिक 2020 में अमेरिका ने 39 गोल्ड, 41 सिल्वर और 33 ब्रॉन्ज समेत कुल 113 मेडल अपने नाम किए। जबकि चीन ने 38 गोल्ड, 32 सिल्वर और 18 ब्रॉन्ज सहित कुल 88 मेडल हासिल किए।
टोक्यो ओलिंपिक में गए खिलाड़ियों में 73% मिडिल क्लास के हैं और 55% जनरल कैटेगरी के, प्लेयर्स ऐसे भी जिनकी मां-बहन झाड़ू-पोछा करती हैं
हम जात से कहां जाते हैं, दो वाकया देखिये…
पहला: मैदान टोक्यो ओलंपिक का, दिन बुधवार, तारीख 4 अगस्त… अपनी महिला हॉकी टीम खूब लड़ी। मैदान के इंच-इंच, हॉकी-हॉकी और गेंद-गेंद तक। फिर भी अर्जेंटीना के खिलाफ सेमीफाइनल हार गई। बस क्या था, कुछ लोग अपनी ही फॉरवर्ड खिलाड़ी वंदना कटारिया के घर पहुंच गए और उनकी जाति की गाली देने लगे, ये कहकर कि दलित खिलाड़ियों के कारण हम हार गए। शहर था हरिद्वार।
दूसरा: मैदान टोक्यो ओलंपिक का, दिन रविवार, तारीख 1 अगस्त… शटलर पीवी सिंधु पसीने की बूंद-बूंद नाप रही थीं। आखिरकार चीनी खिलाड़ी जियाओ बिंग हे को हराया और ब्राॅन्ज मेडल जीत लाईं। लेकिन लोग गूगल पर उनकी जात खोजते रहे। इतना खोजा कि pv sindhu caste दिनभर टॉप ट्रेंड में रहा। खोजने वाले पूरे देश से थे, लेकिन उत्तराखंड, आंध्र, तेलंगाना और हिमाचल अव्वल था।
आखिर हमें खेल से कम, खिलाड़यों की जाति से ज्यादा मतलब है। तो हमने टोक्यो गए अपने 128 खिलाड़ियों का पूरा हिसाब-किताब खंगाला, लेकिन हम खिलाड़ियों की जाति नहीं, उनकी सामाजिक भागीदारी बता रहे। यानी किस घर-परिवार के हैं, किस राज्य से हैं, कितना कमाते-खाते हैं, किस कैटेगरी से आते हैं। आइए बारी-बारी से चलते हैं…
1. कैटेगरी एनालिसिसः सबसे ज्यादा जनरल कैटेगरी खिलाड़ी, लेकिन पंजाब-हरियाणा के जाट, जो OBC में आने की लड़ाई लड़ रहे हैं
हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के 52 खिलाड़ियों में से 90% से ज्यादा जाट परिवारों से आते हैं, जो फिलहाल जनरल कैटेगरी आते हैं, लेकिन वे खुद को पिछड़ा वर्ग में शाामिल करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है। ये एनालिसिस 106 खिलाड़ियों की है।
2. आर्थिक हालात पर एनालिसिसः मिडिल क्लास के खिलाड़ी सबसे ज्यादा, लेकिन स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी मिलने के बाद परिवार की हालत सुधरी
इसमें भी जो मिडिल क्लास दिख रहा है, उसमें भी 50% से ज्यादा वो हैं, जिन्हें स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी मिलने के बाद उनके परिवारों की हालत सुधरी है। नहीं तो देश के लिए मैडल जीतने वाले ये खिलाड़ी, असल जिंदगी में रोज कुश्ती लड़ रहे होते हैं।
टोक्यो ओलंपिक में भी ऐसे परिवारों के लड़के-लड़कियां हैं, जिनकी मां-बहनें दूसरे के घरों में झाड़ू-पोछा करती हैं, 10 खिलाड़ियों के बारे में जानिए-
- हरियाणा के एथलीट संदीप कुमार के पिता गांव में बकरी चराते हैं और दूसरे के खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं।
- झारखंड की हॉकी प्लेयर सलीमा टेटे के पिता और बहनें मजदूरी कर के घर चलाती हैं। उनके घर में ओलिंपिक देखने के लिए टीवी नहीं था, तो अभी CM के कहने पर टीवी लगी है। ये हमारी हॉकी प्लेयर सलीमा टेटे का घर है।
- हरियाणा की हॉकी प्लेयर नेहा गोयल की मां ने लोगों के घरों में झाड़ू-पोंछा करके तीन बेटियों को पाला है। इनके पास फिलहाल गांव में एक 50 गज का मकान है।
- राजस्थान की एथलीट भावना जाट रेलवे में नौकरी जरूर करती हैं, लेकिन ओलिंपिक में गईं तो उन्हें लीव विदाउट पे यानी बिना सैलरी की जॉब पर रहना पड़ा। इनके पिता और भाई बीमार रहते हैं। उनके इलाज के लिए कोच ने मदद की है, तब जाकर वो ओलिंपिक खेलने गई हैं।
- हरियाणा की हॉकी प्लेयर निशा वारसी के पिता दर्जी थे, कपड़े सिलते थे। कपड़े सिलकर जो पैसे मिलते थे, उसी से घर चलाते और उसी पैसे से बच्ची को हॉकी खेलने के लिए सबकुछ जुटाकर देते थे।
- हरियाणा के शूटिंग के खिलाड़ी संजीव राजपूत के पापा पहले फास्ट फूड की रेहड़ी लगाते थे। संजीव के पापा ने अब जाकर रेहड़ी लगाना बंद किया है। लेकिन जब तक संजीव ट्रेनिंग कर रहे थे तो उन्हें पापा अपनी रेहड़ी की कमाई से ही पैसे देते थे।
- हॉकी की कप्तान रानी रामपाल के पिता पहले घोड़ागाड़ी चलाते थे। रानी रामपाल के पापा ने अब घोड़ागाड़ी चलानी बंद कर दी है। ये तस्वीर कुछ साल पुरानी है। लेकिन जब रानी रामपाल बड़ी नाम नहीं बनी थीं, तब तक उनके पिता यही करते थे।
- हरियाणा के कुश्ती खिलाड़ी दीपक पूनिया के पिता लोगों के घर दूध पहुंचाते हैं। ओलिंपिक में अपने बच्चे का खेल देखता दीपक पुनिया का परिवार।
- मैडल जीतने वाली मणिपुर की मीराबाई चानू के पापा दूसरों के खेत में हल चलाते थे। अब हालत सुधर रही है। चानू के परिवार के कई लोग दूसरे खेतों में जाकर मजदूरी करते हैं।
- मैडल विजेता हरियाणा के रवि दहिया का परिवार किसानी करता है और अब उनके हालत सुधरने शुरू हुए हैं। अब जाकर रवि दहिया के परिवार को लोग सम्मान दे रहे हैं। नहीं तो ये छोटे किसान का परिवार अपनी रोजी-रोटी में ही परेशान रहता था।
3. सामाजिक हालत पर एनालिसिसः 48% किसान परिवार से आते हैं खिलाड़ी
बड़े बिजनेस से अंगद बाजवा जैसे केवल इक्का-दुक्का नाम नजर आते हैं। और आखिर में हम ये भी बात देते हैं कि कौन से वो राज्य हैं, जो ओलिंपिक के लिए खिलाड़ी तैयार कर पा रहे हैं। लिस्ट स्क्रीन पर आपको दिख रही होगी।
4. राज्यवार एनालिसिसः मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे बड़े राज्यों के केवल 2-2 खिलाड़ी हैं
128 में से 50 खिलाड़ी केवल पंजाब हरियाणा के हैं। बिहार, छत्तीसगढ़ और गोवा से एक भी खिलाड़ी नहीं है।
ये 127 खिलाड़ियों की लिस्ट है। अरिबन लाहिरी ऐसे खिलाड़ी हैं, जो अमेरिका के फ्लोरिडा में रहते हैं। इनमें कुछ खिलाड़ियों पर दो-दो राज्य दावा करते हैं। क्योंकि वो पैदा दूसरे राज्य में और ट्रेनिंग दूसरे राज्य में किए होते हैं। जैसे विवेक सागर बिहार के रघुनाथपुर में पैदा हुए लेकिन अब मध्य प्रदेश के इटारसी में रहते हैं।
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