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इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को मान्यता दे सरकार

"देश में पिछले 100 साल से इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सकों की तीन पीढ़ियां इस पैथी में प्रैक्टिस करते बीत गई हैं। इलेक्ट्रो होम्योपैथिक की बारीकियाँ पढ़ाते, किताबे लिखते दवाइयां बनाते कई जमाने गुजर गए लेकिन समाज में आज भी इलेक्ट्रो होम्योपैथिक का एक लावारिस सी जिंदगी गुजार रही है"

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– *इलेक्ट्रो होम्योपैथी फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ परमिंदर पांडेय, वाइस प्रेसिडेंट डॉ प्रो हरविंदर सिंह और नेशनल सेक्रेटरी डॉ. सुरिंदर पांडेय से वेब पोर्टल नमस्ते इंडिया _www.namastaayindia.com_ की बेबाक बातचीत-*


नई दिल्ली: डेवलपमेंट ऑफ न्यू साइंस के तहत केंद्र सरकार के हैल्थ व परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से रिसर्च, प्रमोशन व डेवलपमेंट अधीन रजिस्टर्ड Electro homoeopathy अपने वजूद के लिए संघर्षरत है। केन्द्र सरकार के हैल्थ और फैमिली वेलफेयर मंत्रालय के अधीन बनी इंटर डिपार्टमेंट कमेटी (आईडीसी) में बैठकों का दौर जारी है, लेकिन अभी दिल्ली दूर है। इन सभी पहलुओं पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. परमिंदर पांडेय, वाइस प्रेसिडेंट डॉ. प्रो. हरविंदर सिंह और नेशनल सेक्रेटरी डॉ. सुरिंदर पांडेय से वेब पोर्टल नमस्ते इंडिया _www.namastaayindia.com_ से बेबाक बातचीत की, पेश हैं अंश…

*सवाल: इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति क्या है?*
जवाब (डॉ परमिंदर पांडेय):

इलेक्ट्रो होमियोपैथी एक स्वतंत्र व सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति हैं जो विश्व के अनेक देशों में विकल्प के रूप में अपनाई जा रही हैं,यह मूलतः इटली की पद्धति हैं जिसका आविष्कार सन 1865 में डॉ काउंट सीजर मैटी ने किया, डॉ मैटी ने इस पद्धति के नाम में तीन शब्दों का प्रयोग किया जिसमें “इलेक्ट्रो” शब्द का अर्थ त्वरित या बिजली से लिया गया जो वनस्पति विद्युतीय शक्ति को तथा दवा की कार्य प्रणाली को इंगित करता हैं। “होमियो” शब्द शरीर की संतुलनावस्था अर्थात ‘होमियोस्टेटिस’ पर केंद्रित है और “पैथी” शब्द चिकित्सा विज्ञान की ओर इंगित करता हैं। अतः इलेक्ट्रो होमियोपैथी वह पद्धति है जिसमे वनस्पतीय औषधियों की तीब्र कार्य प्रणाली से शरीर के रोगों ठीक करने की अद्दभुत क्षमता हैं।चूंकि मानव शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है अतः पंचतत्व के समान गुण धर्म वाली 114 वनस्पतियो को ही इलेक्ट्रो होमियोपैथी की दवा निर्माण में शामिल किया गया हैं। जिन्हें शरीर के ऑर्गनवाइज नौ वर्गों में व्यवस्थित किया गया हैं। कारण कि मानव शरीर में फंग्शनल सिस्टम नौ ही हैं। इस विधा में रोग की चिकित्सा नही अपितु अंगों की चिकित्सा की जाती हैं। क्योंकि शरीर के अंगों की क्रिया बढ़ने या घटने से ही कोई न कोई रोग उत्पन्न होते हैं।इस प्रकार इलेक्ट्रो होमियोपैथी की औषधिया आधार,संरचना और सिद्धांत के अनुसार मानव शरीर का दूषित रक्त व लसिका को शुद्ध कर रोग प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत करते हुये अंगों की क्रिया को ठीक करते हुये रोग को जड़ से समाप्त करती हैं यह सरल,सस्ती,हानिरहित व रोगों पर तत्काल प्रभाव दिखाने वाली विधा है जिसमे गंभीर से गंभीर रोगों का उपचार आसानी से संभव हो रहा है।कोहेबेशन टैक्नीक से 114 पेड़ पौधों के अर्क (स्पेजरिक एसेंस) से बीमारियां का इलाज किया जाता है। इस दवा को बहुत ही डिलीयूटिड फोरम में मरीज को दिया जाता है जिससे उसे बिमारी के निदान में अप्रत्याशित परिणाम मिलते हैं। उक्त पैथी बहुत सस्ती है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं। आसाध्य रोगों पर यह कारगर है।

*सवाल: इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा से किन रोगों का इलाज संभव है?*

जवाब: (डॉ परमिंदर पांडेय) इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से कैंसर, लीवर प्राब्लम, किडनी रोग, पथरी, माइग्रेन, गठिया, चमड़ी रोग, सेक्स समस्याओं आदि में इसके चमत्कारी प्रभाव देखने को मिलें हैं। यहां ये बात भी कहना चाहूंगा कि जहां मार्डन साइंस से जवाब मिल जाता है वहां इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का अप्रत्याशित रिजल्ट देखने को मिलता है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक “काउन्ट सीजर मैटी” ने अपना पूरा जीवन वनस्पतियों के अध्ययन एवं औषधियों के खोज में बिताए। चिकित्साजगत में आने के पहले इन्होने पूर्व प्रचलित विज्ञान आर्युवेद यूनानी, एलोपैथी के साथ-साथ होमियोपैथी का भी गहन अध्ययन करने के पश्चात पाया कि इन पैथियों में औषधियाँ वनस्पतियों के अलावे वायरस, बैक्टीरिया, जीव-जन्तु, धातु, रसायन, जहर आदि तत्वों से बनाई गई है। जो मानव के प्रकृति के अनुकूल नहीं है जिसके फलस्वरूप इन औषधियों का भयंकर दुष्प्रभाव देखने को मिलता है। मैटी ने वनस्पतियों के गहन अध्ययन के फलस्वरूप पाया कि प्रकृति ने जिस प्रकार के रसायन या घटक (Ingredients) पेड़ पौधो में बनाया हैवह वैज्ञानिको द्वारा प्रयोगशाला में बनाना असंभव ही नहीं नामुमकिन है। वनस्पतियों के सम्बन्ध में निम्न बाते भी कही गई हैवनस्पतियों के पास प्राकृतिक प्रयोगशाला है।पौधों में प्राकृतिक आरोग्यकारी शक्ति है।पौधो के अन्दर रहस्यमयी यानि छुपी हुई शक्ति है, जिसका किसी भी प्रयोगशाला में पूर्णरूप से रसायनिक विघटन (Chemical Analysis) करना असंभव है।पौधो के पास संपुर्ण आरोग्यकारी शक्ति है।
अध्ययन के फलस्वरूप मैटी ने सोचा कि हर प्रकार के जीव-जनतुओं का भोजन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों से ही प्राप्त होता है तो औषधि भी वनस्पति ही होनी चाहिए ।वनस्पतियों के अन्दर पाए जाने वाला रसायन (Chemical) विटामिन्स (Vitamins) खनिज लवण (Minerals) एवं तत्व (Element) हमारे शरीरमें किसी भी प्रकार के हानि (Side Effect) नहीं पहुँचाते यानि पौधों में प्रकृति द्वारा बनाए गए रसायनों का कोई दुष्प्रभाव (Bad Effect) नहीं होता है।इसलिए इस पैथी के जनक डा. काउन्ट सीजर मैटी ने अपने औषधिनिमार्ण में केवल वनस्पतियों का प्रयोग किया । मेटी ने हमारे शरीर के अंगो (organs) एवं संस्थानों (systems) परआधारित औषधियों का निमार्ण किया ।वनस्पतियों के 100: गुण प्राप्त करने के लिए इन्होने एक नई विधि (cohobation) का प्रयोग कर वनस्पतियों का Spaqyric Essence निकालाजिसका प्रभाव हमारे शरीर पर विधुत की भाँति दिखाई पड़ता है।

*सवाल: इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में कोर्स करने वाले कैंडीडेट्स को सरकारी नौकरी मिलने की क्या स्थिति है?*

जवाब:(डॉ. परमिंदर पांडेय) इलेक्ट्रो होम्योपैथी पद्धति अभी रैकोनाइज नहीं हैं, इसलिए इसका कोर्स करने वालों को सरकारी नौकरी आदि सुविधाओं से वंचित रखा गया है लेकिन इसकी निजी प्रेक्टिस पर किसी तरह की रोक नहीं हैं।
देश में इलेक्ट्रो होम्योपैथी रैगुलाइजेशन बिल को अप्रूव्ड कराने के लिए केंद्र सरकार के हैल्थ व परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से आईडीसी कमेटी गठित की गई है। इसपर बैठकें चल रही हैं। देश भर में लाखों इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से जुड़े लाखों प्रेक्टिशियनरों को उम्मीद है कि जल्द इस पद्धति को मान्यता मिलेगी और इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति से जुड़े लोगों को सरकारी नौकरी का रास्ता खुलेगा।

*सवाल: इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का वर्तमान स्टेटस क्या है?*
जवाब (डॉ. परमिंदर पांडेय)
इलेक्ट्रो होम्योपैथी की मान्यता का मामला बीरबल की खिचड़ी की तरह पक रहा है। दबी जुबान में हर कोई यही सच्चाई कबूल रहा है। 1920 से हिंदोस्तान में अस्तित्व में आई देश की पांचवी पैथी इलेक्ट्रोहोमयोपैथी आज अपने वजूद के लिए लड़ रही है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी को प्रैक्टिस, प्रमोशन, रिसर्च आदि का अधिकार है। ये अधिकार केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट व विभिन्न हाई कोर्टस की ओर से दिया जा चुका है।
देश में पिछले 100 साल से इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सकों की तीन पीढ़ियां इस पैथी में प्रैक्टिस करते बीत गई हैं। इलेक्ट्रो होम्योपैथिक की बारीकियाँ पढ़ाते, किताबे लिखते दवाइयां बनाते कई जमाने गुजर गए लेकिन समाज में आज भी इलेक्ट्रो होम्योपैथिक का एक लावारिस सी जिंदगी गुजार रही है। सरकारी नौकरियों में इनकी भागीदारी नहीं है। मैडिकल कालेज में इसकी पढ़ाई नहीं है। इनका रुतबा कम है। परिवार कल्याण व स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बनाई आईडीसी कमेटी की बैठकों का दौर जारी है। आईडीसी को जो चाहिए वह दस्तावेज अभी संपूर्ण नहीं हुए हैं। इलेक्ट्रो होम्योपैथिक से जुड़ी विभिन्न एसोसिएशन, बोर्ड, काउंसिल के नेताओं में मतभेद है। हर कोई चाहता है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता मिल जाए, सुविधाएं मिलें, लेकिन एक मंच में मंच पर आने से सभी कतराते हैं। यही कारण है की मान्यता का मुद्दा बीरबल की खिचड़ी की तरह धीरे-धीरे पक रहा है, यानी मान्यता तो तो मिल जाएगी लेकिन समय कितना लगेगा। खिचड़ी कब बनेगी कोई स्पष्ट तौर पर नहीं कह सकता। प्रोपोजलिस्ट टीम के साथ आईडीसी की पांच बैठकें हो चुकी हैं। डाकयूमेंट सबमिट हो रहें हैं। ईएचएफ भी अपने स्तर पर लगी हुई है।

*सवाल: आपके हिसाब से मान्यता मिलने में देरी का कारण?*
जवाब (डॉ. प्रो. हरविंदर सिंह): इलेक्ट्रो होम्योपैथिक देश की पांचवी ऐसी पैथी है जिसके रिज़ल्ट बेमिसाल हैं। इन्हें कई लोग तो मिरीक्लस तक कहते हैं। एम्स की मिनट बुक से लेकर देश के स्वास्थ्य मंत्री तक इलेक्ट्रो होम्योपैथिक पद्धति के कथित दीवानों में शुमार है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी ने ऐसे असाध्य रोगों का इलाज किया है। जिनके बारे में हम सोच भी नहीं सकते। कई ऐसे भी केस हैं। जिनमें इनके नतीजे अप्रत्याशित दिखे हैं, लेकिन फिर भी इसे मान्यता मिलने में बहुत देरी हो रही है। मेरे हिसाब से कारण तो आपसी तालमेल में कमी है। जो लोग काबिल है वह पीछे है। हमारे नेशनल सेक्रेटरी डॉ. सुरिंदर पांडेय इलेक्ट्रो होम्योपैथी पर देश में एक यूजीसी अप्रूव्ड युनिवर्सिटी से पीएचडी करने वाले इकलौते शख्स हैं। हमारे 30 से ज्यादा इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति पर इंटरनेशनल जर्नल प्रकाशित हुए हैं लेकिन फिर भी हम जैसे बहुत से आईडीसी से दूर है। हमारे पास ऐसे ऐसे दस्तावेज हैं जिनमें यह बात साबित होती है की दशकों पहले इलेक्ट्रो होम्योपैथिक के रिजल्ट से सरकार के आला लोग अचंभित थे, लेकिन फिर भी इस पैथी को पूर्ण रूप से मान्यता ना मिलना हैरानकुन है। कहीं ना कहीं इलेक्ट्रो होमियोपैथी प्रेक्ट्रिशनरों में तालमेल की कमी इस पैथी को मान्यता दिलाने में रुकावट बनी है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी फाउंडेशन (ईएचएफ) आईडीसी को मांगे गए डाक्युमेंट जमा करेगी, अगर इलेक्ट्रो होम्योपैथी ज्वाइंट प्रपोजलिस्ट कमेटी उनसे विधिवत मांगती है।

*सवाल: इलेक्ट्रो होम्योपैथी पद्धति के सभी ग्रुप्स की पूरी जानकारी दें?*
जवाब (डॉ. सुरिंदर पांडेय)
औषधीय पौधों के रस से 38 प्रकार की मूल औषधियाँ तैयार की जा रही हैं जिनका उपयोग एकल व सम्मलित रूप से करते हुए 60 से अधिक औषधियों के रूप में उपयोग किया जाता है इस पद्धति में भविष्य में ओर अधिक शोध एवम अध्ययन की आवश्यकता है इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के अनुसार रोगों का वर्गीकरण भी रक्त के मूल रूप में परिवर्तन तथा शरीर मे बनने वाले रसो में आई अशुद्धता/परिवर्तन के आधार पर किया जाता है यह इसी प्रकार है जैसे कि आयुर्वेद में समस्त रोगों का कारण वात, पित्त ,कफ का असन्तुलन माना जाता हैं । इस चिकित्सा पद्धति में रोगों का निदान व उनके उपचार लक्षणों पर आधारित नही है वल्कि अंगों की कार्य क्षमता में उस रोग के कारण होने वाले प्रभाव के आधार पर किये जाते है ।यह पद्धति इस मूल सिद्धान्त पर कार्य करती हैं कि एक सामान्य ब्यक्ति के शरीर मे सामान्य स्थिति में सामान्यतः परिवर्तन होता रहता है जिससे सभी अंग दूर करने का प्रयास करते है अंगों की इस क्षमता में शरीर मे शरीर के सामान्य स्थिति से इतर होने वाले परिवर्तनों को कारण अंगों की कार्य क्षमता भी घट जाती हैं। इस चिकित्सा पद्धति द्वारा प्रभावित अंग की कार्य क्षमता को बढ़ाकर पुनः सामान्य कर दिया जाता हैं जिससे वह अंग अन्य अंगों के सहयोग से सामंजस्य विठा कर सह धर्मिता के आधार पर शरीर को सामान्य स्थिति में ला देता है इसी प्रकार यह चिकित्सा विज्ञान केवल रोग का उपचार न करके रोग होने के कारण का उपचार हुए ब्यक्ति को स्वस्थ्य बनाती हैं ।
ईएच में 38 औषधीयों का मूल रुप से जिक्र है। इनका सार इस तरह है।
SCROFOLOSO GROUP इस समूह में कुल 9 औषधियाँ हैं। Scrofoloso 1:- यह हर प्रकार की बीमारी की राम बाण दवा है। यह मुख्य रूप से रस प्रकृति वाले रोगियों के लिए अमृत मानी जाती है। यह शरीर से विष और विजातीय पदार्थों को बाहर निकालने का भी काम करती है। चूंकि यह शरीर से विष को बाहर निकालती है इस लिए यदि स्वस्थ मनुष्य भी इसका सेवन करता रहे तो वह भयंकर रोगों से बच सकता है। Scrofoloso 2:- यह मुँह के जितने भी रोग हैं, उनमें उपयोगी है। लेकिन यह विशेषकर पूरे पाचन तंत्र और ब्लैडर के लिए बनायी गयी है। खास कर के जब मूत्राशय में पथरी हो तो यह विशेष कर काम करती है। इसे स्त्री रोगों की भी विशेष औषधि माना जाता है।Scrofoloso 3:- यह यकृत और सभी प्रकार की ग्रंथियों की विशेष औषधि है। यह शरीर की सभी कोमल त्वचा पर गंभीरता से काम करती है। यकृत, प्लीहा, गुर्दे, पैनक्रियाज़, थाइमस, पिच्युटरी, थाइराइड, और श्वेद ग्रंथियों की भी प्रमुख औषधि है। इसे पुरुषों के यौन रोगों की अच्छी औषधि कहा गया है।
Scrofoloso 5:- यह चयापचय संबंधी रोगों का नाश करती है। S5 पेट से संबन्धित सभी रोगों का नाश करती है। साथ ही यह त्वचा रोगों की भी विशेष औषधि है। Scrofoloso 6:- S6 गुर्दे के रोगों की विशेष औषधि है। यह गुर्दे की पथरी में विशेष लाभकारी है। साथ ही शरीर की सभी लसिका ग्रंथियों जिन पर S3 काम करती है, वहाँ S6 यह समान रूप से काम करती है।
Scrofoloso10:- S10 चयापचय की सबसे गुणकारी औषधि मानी जाती है। अगर S1 को खाने से पहले और S10 को खाने के बाद रोगी को दिया जाए तो हर प्रकार के रोगों में उत्पन्न कमजोरी दूर हो जाती है। यदि स्वस्थ व्यक्ति S1 के साथ हर दिन S10 का प्रयोग करता रहे तो हर प्रकार के Organic या आंगिक रोगों से हमेशा के लिए मुक्त रह सकता है। S10 दस्त में भी कारगर औषधि है।
Scrofoloso11:- इसे एंटि मल डी मर भी कहा जाता है। यह पेट के रोगों की मुख्य दवा है। आमतौर पर होने वाली उल्टी , यात्रा के दौरान होने वाली उल्टी, या गर्भावस्था के दौरान होने वाली उल्टी में बहुत कारगर है। Scrofoloso 12:- S12 नेत्र रोगों की सबसे उत्तम औषधि है। इसके इसी गुण के कारण इसे Marina नाम दिया गया है। यह खास कर ब्लूयू एलेक्ट्रिसिटी और ग्रीन एलेक्ट्रिसिटी के साथ हर तरह के नेत्र रोगों, आँखों की कमजोरी, निकट दृष्टि दोष, मोतियाबिंद,  या दृष्टिपटल नाश conjunctivitis या आँख आना, eritis जैसे रोगों में बहुत कारगर है। S Lass:- यह आंतों की विशेष औषधि मानी जाती है। मूल रूप से यह कब्ज़नाशक है। किसी भी रोग के बाद आंतों को सक्रिय करने के लिए यह उपयुक्त मानी जाती है।
CANCEROSO GROUP Canceroso1:- C1 शरीर के उत्तकों में होने वाली किसी भी प्रकार की सड़न को रोकती है साथ ही शरीर में हर तरह के रोगों को बढ़ने से रोकती है।यह उत्तकों में आने वाले किसी भी प्रकार के विकार को नष्ट कर देती है। C1 को S1 का मुख्य सहयोगी माना जाता है।
Canceroso2:- यह S2 की सहयाओगी दावा है और S2 के साथ मिल कर बहुत ही अच्छा काम कति है। जहां-जहां s2 काम करती है वहाँ- वहाँ C2 का प्रयोग रोग को ठीक करने मे तेजी से मदद करती है। खास कर मूत्राशय की पथरी, मुँह के रोग, पाचन और कई स्थानों पर स्त्री रोगों में यह काफी कारगर है। Canceroso3:- C3 यकृत और मानव शरीर मे पायी जाने वाली हर ग्रंथि की विशेष औषधि है। साथ ही यह पुरुषों मे होने वाले यौन रोगों की खास औषधि है। यकृत, प्लीहा, गुर्दे, पैनक्रियाज़, थाइमस, पिच्युटरी, थाइराइड, और श्वेद ग्रंथियों में भी यह S3 की तरह कारगर औषधि है। कई बार s2 के साथ और कई बार s2 के प्रभावी नहीं होने पर इसका प्रयोग करते हैं। Cansoroso 4:- C4 मूलरूप से अस्थि विकार की औषधि है। साथ ही इसे आंतों के रोगों के साथ-साथ अस्थि रोगों पर भी S6 के साथ प्रयोग में लाया जाता है। Cansoroso5:- यह सभी प्रकार के कैंसर (अंदुरुनी तथा बाहरी) को रोकने मे सहायता करती है। त्वचा संबंधी रोगों में यह विशेष लाभकारी है।s5 और GE के साथ यह सभी प्रकार के त्वचा के रोगों को ठीक करती है। Canceroso6:- C6 शरीर की सभी ग्रंथियों (glands)केई आरओजीओएन में GE, YE के साथ प्रभावी है। Canceroso10:- यह GIT (पाचन) की बहुत अच्छी दवा है। विशेष कर आंतों के रोगों को यह समूल नष्ट कर देती है।
Canceroso13:-यह छाती (फेफड़ों) के रोगों में किसी भी प्रक्रार की सड़न या गलने की प्रक्रिया के साथ ही कफ आदि का समूल नाश करती है। इसे BE, P1, P3, P4, GE आदि के साथ प्रयोग करने पर फेफड़ों के रोगों का समूल नाश किया जा सकता है। Canceroso15:- C15 पाचन तंत्र में होने वाली किसी भी तरह की सड़न-गलन को रोकने वाली मानक औषधि है। इसे S ग्रुप की अन्य औषधियों के साथ प्रयुक्त करने पर पाचन अंगों को उसके प्रकृतिक रूप मे क्रियाशील होने और अंग को पहले की तरह बनाने में कारगर है। Canceroso17:- यह किसी भी प्रकार के क्षयरोग (TB) को ठीक करने की क्षमता रखती है।जिस अंग मे TB हो उस अंग की विशेष औषधि के साथ c17 का प्रयोग करने पर उस अंग से TB का समूल नाश हो जाता है। इसका विशेष प्रभाव गुर्दों पर भी है।
PATTRALE GROUP Pettorale1:- P1 फेफड़ों की सबसे उत्तम औषधि है। फेफड़ों के किसी भी तरह के रोग में P1 का प्रयोग C1, C3, BE या GE के साथ जरूरत के अनुसार करने पर रोग ठीक हो जाता है। Pattorale2:- यह विशेष रूप से TB Brounchus, Bronchioles(aircells) और फेफड़ों के क्षय रोग में C1, C17, BE तथा GE के साथ बहुत बढ़िया काम करती है। Pettorale3 :- यह बच्चों और महिलाओं के फेफड़ों के रोगों की प्रभावी दावा है। यह BE के साथ बहुत जल्द असर करती है।
Pettorale4:- यह फेफड़ों कीआंतरिक और वाह्य झिल्लियों की बीमारियों, संक्रमण या रोगों को को बहुत ही कारगर तरीके से ठीक करता है। साथ ही P4 उम्र बढ़ने के साथ होनेवाले या वृद्धावस्था सभी तरह के संक्रमण को पूरी तरह से ठीक करता है।इन रोगों में BE और  RE का प्रयोग बेहतर परिणाम देता है। ANGIOITICO GROUP Angioitico1:- A1 रक्त की खास दावा है। रक्त की प्रकृति, रक्त की बनावट के साथ-साथ यह हृदय के बाँये अंतर कोशों के रोगों में BE, YE, C1, तथा S1 के साथ मिल कर इस हिस्से के हर प्रकार के रोगों को ठीक करती है। Angioitico2:- A2 हृदय के दाँये हिस्से पर बहुत बढ़िया काम करती है। हृदय के दाँये हिस्से के रक्त प्रवाह के साथ-साथ अन्य रोगों पर BE, YE, C1, तथा C10 के साथ बहुत ही बढ़िया परिणाम देती है। Angioitico3:- यह रक्त प्रकृति की खास दवा है।यह हृदय के रक्त प्रवाह, खून की कमी में C1, RE, YE, तथा BE(इनका प्रयोग जरूरत के अनुसार करना है) के साथ अच्छा काम करती है। यह रक्त की बनावट और उयससे जुड़े सभी रोगों की अच्छी औषधि है। FEVRIFUGE GROUP
Fevrifuge1:- F1 स्नायुतंत्र की विशेष दावा है। इसका प्रभाव Motorial nerne और Sensory Nerve, sympathetic तहा Para Symphethetic नर्वस सिस्टेम पर विशेष होता है। यह किसी भी प्रकार के Neuralgia (नसों से संबन्धित रोग, विकृति या दर्द) में WE, या RE के साथ तत्काल परिणाम देती है। WE,YE, तथा RE के साथ यह बहुत ही बढ़िया परिणाम देती है। बुखार मे F1 का प्रयोग विशेष रूप से YE के साथ किया जाता है। Fevrifuge:-2 F2 भी F1 की तरह ही नर्वस सिस्टम की विशेष दवा है, लेकिन इसका इस्तेमाल विशेष तौर पर वाह्य रूप से अधिक किया जाता है। बाहरी तौर पर F1 भी F2 की तरह ही प्रभावी है।VERMIFUGO GROUP
Vermifugo1:- VER1 कृमि नाशक औषधि है।शरीर में होने वाले कृमि जन्य रोगों का यह नाश करती है।किसी भी परकार की एलर्जी या कृमि रोग में Ver1 YE के साथ अच्छा कम करती है।
Vermifugo2:- Ver2 वास्तव में Ver1 की सहयोगी औषधि है। जहाँ-जहाँ Ver1 का प्रयोग YE के साथ आंतरिक रूप से होता है, वहाँ-वहाँ Ver2 का प्रयोग बाहरी रूप से होता है।
LINFATICO GROUP इस समूह मे मात्र 1 औषधि है। Linfotico1:- Linf1 शरीर की सभी ग्रंथियों पर काम करती है। यह सभी प्रकार के ग्रंथि रोग में या जहाँ ग्रंथियां उत्तेजित हो रहीं हों वहाँ यह S Group, WE, और GE के साथ प्रभावी रूप से काम करता है।VENERIO GROUP इस समूह में भी मात्र एक ही औषधि है।Venerio1:- यह अनुवांशिक रोगों की विशेष औषधि है। इसका प्रयोग पैतृक गुण- दोषों के कारण शरीर में उत्पन्न विकारों या रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। वैसे इसे spirochetal, antigonorrhoeic,और anti-Syphlitic औषधि माना जाता है। इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रो होमियो पैथी में 6 Electricities भी हैं, जो शरीर के विभिन्न अंगों पर अलग अलग काम करती है।
1:- श्वसन प्रणाली या Respiratory Tract – BE एवं GE।
2:- जठरांत्र प्रणाली या Gastrointestinal Tract- WE एवं YE।
3:- हृदय प्रणाली या Cardiovascular System- RE एवं YE।
4:- मूत्र प्रणाली या Urinary Tract- YE एवं GE
5:- तंत्रिका तंत्र या Nervous System- WE एवं YE।
6:- त्वचा या शरीर का सम्पूर्ण आवरण- APP एवं GE

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Dr. Ritesh Shrivastav@ 9216000037

Email: ritesh.shrivastav2@gmail.com

 

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