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DSP देविंदर पाकिस्तानी हाईकमीशन के अधिकारी से जुड़ा था, जो जम्मू-कश्मीर आतंकियों की भर्ती और टेरर फंडिंग में शामिल था

डीएसपी देविंदर को 11 जनवरी 2020 को हिजबुल आतंकी नवीद के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस पर कश्मीर में आतंकी साजिश रचने का आरोप है। आतंकी साजिश केमामले में एनआईए ने गिरफ्तार किए गए डीएसपी देविंदर और हिजबुल के आतंकियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की देविंदर सिक्योर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लगातार हाईकमीशन के अधिकारियों से बातचीत करता था, उन्हें खुफिया जानकारी देता था

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  • डीएसपी देविंदर को 11 जनवरी 2020 को हिजबुल आतंकी नवीद के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस पर कश्मीर में आतंकी साजिश रचने का आरोप है। -फाइल फोटोडीएसपी देविंदर को 11 जनवरी 2020 को हिजबुल आतंकी नवीद के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस पर कश्मीर में आतंकी साजिश रचने का आरोप है। -फाइल फोटो

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में आतंकी साजिश के मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी साजिश के आरोपी डिप्टी एसपी देविंदर सिंह, हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी सैयद नवीद मुश्ताक उर्फ नवीद बाबू, रफी अहमद राठर, तनवीर अहमद वानी, सैयद इरफान और वकील इरफान शफी मीर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
जानकारी मिली है कि एनआईए की पूछताछ के दौरान आरोपियों ने कुबूल किया है कि वे लगातार पाकिस्तानी हाईकमीशन के अधिकारियों के संपर्क में थे। हाईकमीशन में एक अधिकारी शफाकत असिस्टेंट के तौर पर काम करता था। लेकिन, असल में वह जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की भर्ती, टेरर फाइनेंसिंग और हवाला कारोबार का जरिया था।

इन अधिकारियों ने देविंदर को खुफिया सूचनाएं देने के लिए तैयार किया था। देविंदर भी इनसे लगातार सिक्योर सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए बातचीत करता था।देविंदर को 11 जनवरी 2020 को आतंकी नवीद के साथ गिरफ्तार किया गया था।

एनआईए की चार्जशीट में क्या आरोप लगाए गए

  • एनआईए ने जनवरी 2020 में देविंदर को नवीद बाबू और दो अन्य आतंकवादियों के साथ गिरफ्तार किया था। 6 महीने बाद एनआईए ने अपनी चार्जशीट पेश की है। एनआईए ने कहा कि देविंदर ने नवीद बाबू, इरफान शफी मीर, इरफान अहमद के लिए जम्मू में ठिकाने का इंतजाम किया था।
  • देविंदर ने हिजबुल के इन आतंकियों के आने-जाने के लिए अपने वाहन का इस्तेमाल किया। इसके अलावा उन्हें हथियार देने का भी वादा किया था।
  • देविंदर पाकिस्तानी हाईकमीशन के कुछ अधिकारियों से सिक्योर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लगातार बातचीत करता था। सभी आरोपी हाईकमीशन में असिस्टेंट के तौर पर काम करने वाले शफाकत के लगातार संपर्क में थे, जो हवाला लेनदेन, टेरर फंडिंग और आतंकियों की भर्ती में शामिल था। देविंदर को खुफिया सूचनाएं देने के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों ने तैयार कर लिया था।

देविंदर की मदद से नवीद बाबू को मिलते थे हथियार

एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि पूर्व कॉन्स्टेबल नवीद बाबू जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कई हत्याओं में शामिल था। वह भोलेभाले मुस्लिम युवाओं को हिजबुल में शामिल करता था। उसे एलओसी ट्रेडर तनवीर अहम वंत से फंडिंग मिलती थी। तनवीर उसे पीओके स्थित व्यापारियों की मदद से फंड मुहैया करवाता था।
नवीद बाबू सीमा पार से हथियार तस्करों की मदद से असलहा हासिल करता था। इसके अलावा देविंदर भी उसके हथियारों का इंतजाम करता था। इन्हीं हथियारों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में किया जाता था।

पाक में हिजबुल कमांडरों और आईएसआई अफसरों से भी मिले थे आरोपी
सभी आरोपी पाकिस्तान स्थित हिजबुल मुजाहिदीन और पाकिस्तानी एजेंसियों के साथ मिलकर भारत में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। हिजबुल के सरगना सैयद सलाहुद्दीन और उसे डिप्टी कमांडर जम्मू स्थित आतंकी कमांडरों को मदद करते थे। एक अन्य आरोपी इरफान शफी मीर ने पाकिस्तान में हिजबुल के टॉप कमांडरों से मुलाकात की थी। इसके अलावा वो आईएसआई के उमर चीमा, अहसान चौधरी और सुहैल अब्बास से भी मिला।
इरफान को जिम्मेदारी दी गई थी कि वो हवाला लेनदेन के लिए नए चैनल एक्टिवेट करे ताकि कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग की जा सके। मीर के साथ पाकिस्तानी हाईकमीशन के अधिकारी भी संपर्क में थे। वे मीर को फंड मुहैया करवाते थे ताकि भारत सरकार के खिलाफ सेमीनार करवाए जा सकें और भीड़ इकट्ठा की जा सके। मीर को पैसा और आदेश हाईकमीशन ही देता था। मीर के जरिए ही कई कश्मीरियों को वीजा पर पाकिस्तान भी भेजा गया।

 

मिला था शेर-ए-कश्मीर’ (Sher-e-Kashmir) का पदक

जम्मू कश्मीर के निलंबित डीएसपी दविंदर सिंह (DSP Davinder Singh) को दिया गया ‘शेर-ए-कश्मीर’ (Sher-e-Kashmir) का पदक छीन लिया है।  सरकारी आदेश के अनुसार, निलंबित अधिकारी का कदम विश्वासघात के बराबर है और उससे बल की छवि खराब हुई है. गिरफ्तारी के तत्काल बाद सिंह के आवास सहित विभिन्न जगहों पर पुलिस टीम भेजी गई थी. सिंह के आवास से दो पिस्तौल, एक एके राइफल और काफी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया गया. दविंदर सिंह के पकड़े जाने के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं. सवाल यह कि क्‍या दविंदर सिंह का खालिस्‍तान समर्थकों के साथ भी कोई संबंध था? DSP दविंदर का सर्विस रिकॉर्ड दागदार होने पर भी सब आंख मूंदकर क्‍यों बैठे रहे? दविंदर को श्रीनगर एयरपोर्ट जैसी अहम जगह पर पोस्टिंग कैसे मिली हुई थी? दविंदर को प्रमोशन कैसे मिलता रहा? अगर दविंदर पकड़ा नहीं जाता तो इसी महीने के आखिर में एसपी के तौर पर प्रमोशन पा जाता. फिलहाल दविंदर सिंह (Davinder Singh) से पूछताछ जारी है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA को मामले की जांच का जिम्मा सौंप दिया गया है. बीते शनिवार को दविंदर सिंह को जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर हिजबुल मुजाहिदीन के तीन आतंकवादियों के साथ एक कार में गिरफ्तार किया गया था.

डीएसपी दविंदर सिंह से जुड़ी 5 बातें..

  1. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल के रहने वाले दविंदर सिंह की उम्र 57 साल है. उनके परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है.
  2. दविंदर सिंह 1990 में जम्मू-कश्मीर में बतौर सब-इंस्पेक्टर शामिल हुए. पुलिस में भर्ती होने के महज 6 साल के भीतर उन्हें आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) में शामिल कर लिया गया था.
  3. दविंदर ने 14 साल तक एसओजी में काम किया और इस दौरान उन्होंने कई ऑपरेशंस में हिस्सा लिया. 1997 में उन्हें प्रमोशन देकर सब-इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर बना दिया गया.
  4. 2018 में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर दविंदर को ‘शेर-ए-कश्मीर गैलेंट्री’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. पुलिस में आने के बाद से ही दविंदर पर कई बार गैरकानूनी काम करने के आरोप लगे. दविंदर कई दफा पुलिस की नजर में आए, लेकिन हर बार आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के रिकॉर्ड ने उन्हें बचा लिया.
  5. 2001 में संसद पर हुए हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु ने अपने वकील को लिखी चिट्ठी में लिखा था कि दविंदर ने उसे हिरासत में लेकर काफी यातनाएं दी थीं. दविंदर के कहने पर ही उसने मोहम्मद नाम के एक आदमी को दिल्ली पहुंचाया और वहां उसके रहने का इंतजाम भी किया. बाद में पता चला था कि मोहम्मद भी संसद हमले में शामिल आतंकवादियों में से एक था.

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