डॉ. सुरेन्द्र पाण्डेय की इलेक्ट्रोहोमियोपैथी पौधों पर की देश की प्रथम पीएचडी
श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल टिबड़ेवाला यूनिवर्सिटी, झुंझुनूं, राजस्थान ने प्रदान की डॉक्टरेट, बठिंडा की अलकेमी रिसर्च लैब में हुआ है थिसिस और प्रेकिटल का अधिकांश काम
मुंबई के डॉ. सुरेन्द्र पाण्डेय की इलेक्ट्रोहोमियोपैथी पौधों पर की देश की प्रथम पीएचडी
श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल टिबड़ेवाला यूनिवर्सिटी, झुंझुनूं, राजस्थान से पूर्ण हुई है। इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति से जुड़े लोगों के लिए ये हर्ष का विषय है। जबकि इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा अपनी मानयता के लिए संघर्ष कर रही है, इसे में इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति के एस–वन ग्रुप के पौधों पर रिसर्च वर्क एक चुनौती रही है। डॉ. सुरेन्द्र पाण्डेय ने
फार्माकोलॉजी मेडिसिन में पीएचडी सफलतापूर्वक पूरी करने पर जे.जे.टी.यू अध्यक्ष डॉ. विनोद टिबड़ेवाला सर, अध्यक्ष डॉ. बाल कृष्ण टिबड़ेवाला, रजिस्ट्रार डॉ. मधु मैडम, डॉ. अंजू मैडम, डॉ. राकेश जाट, डॉ. दिव्योचन मोहंती सर, डॉ. हरविंदर सर, डॉ. नीतू मैडम को धन्यवाद करने के आलावा डॉ सुरेश जनाद्री सर, डॉ सर्वेश, डॉ रितेश श्रीवास्तव साहित्यिक विभाग, डॉ. पीएन राजगोपाल, पीएचडी(एएम) कोलंबो श्रीलंका, तकनीकी विभाग, के अलावा सहयोगी विद्वान, शिक्षण और गैर शिक्षण संकाय, माता-पिता, बड़े भाई डॉ पी एस पाण्डेय और परिवार का आभार व्यक्त किया है। डॉ. सुरेन्द्र पाण्डेय एम. फार्मा के साथ एमडी. ईएच है और इलेक्ट्रो होमियोपैथी फाउन्डेशन में नेशनल प्रिंसिपल सेकेट्री के पद पर काम कर रहें हैं। वह कहते हैं कि यह थीसिस *वैलेयूशन ऑफ फार्माकोलॉजिकल एंड एंटी डायबिटिक एक्टिविटी ऑफ स्क्रोफोलोसो ग्रुप (एस 1) ऑफ इलेक्ट्रो होमियोपैथी मेडिसिन*
यानी “इलेक्ट्रोहोमियोपैथी के स्क्रोफोलोसो समूह (एस 1) की मधुमेह विरोधी गतिविधि मेडिसिन” औषधीय का मूल्यांकन शीर्षक से है। ई एच.एफ.के नेशनल मीडिया कोआर्डिनेटर डॉ. ऋतेश श्रीवास्तव ने कहा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के देश भर के प्रेक्टिशियनर, बोर्ड/काउसिंल और फार्मेसी वालों को डा. सुरिंदर पाण्डेय पर गर्व है।
बठिंडा की अलकेमी रिसर्च लैब में एमडी डॉ. प्रो. हरविंदर सिंह के साथ अपनी थिसिस बाबत प्रेक्टिकल करते डॉ. सुरेन्द्र पाण्डेय