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डेल्टा, लैम्ब्डा और अब कप्पा:राजस्थान और यूपी में कोविड का नया वैरिएंट मिला, WHO ने माना है वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट; जानिए कप्पा से जुड़े हर सवाल का जवाब

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कोरोना वायरस लगातार नए-नए वैरिएंट के जरिए साइंस और साइंटिस्ट को चुनौती दे रहा है। डेल्टा प्लस वैरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच देश में अब कोरोना के कप्पा वैरिएंट (Kappa variant) के सात मामले मिले हैं। ये मामले राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पाए गए हैं। डेल्टा की तरह कप्पा भी कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट है।

राजस्थान की राजधानी जयपुर का एसएमएस मेडिकल कॉलेज दिल्ली की एक लैब और पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में जीनोम सीक्वेंसिंग यानी वैरिएंट की पहचान के लिए कोरोना के पॉजिटिव सैंपल भेजता है। इसी सिलसिले में दूसरी लहर के दौरान 174 सैंपल भेजे गए थे। इनमें से 166 सैंपल डेल्टा वैरिएंट के और पांच कप्पा वैरिएंट के पाए गए।

इसी तरह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में 109 सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग में 107 सैंपल डेल्टा प्लस और दो सैंपल कप्पा वैरिएंट के निकले। डेल्टा, डेल्टा प्लस और लैम्ब्डा के बाद अब कप्पा नाम के इस नए वैरिएंट या यूं कहें कि कोरोना वायरस के इस नए प्रकार ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है।

तो आइए जानते हैं कप्पा वैरिएंट से जुड़े सभी जरूरी सवालों के जवाब…

Q. कोरोना वायरस का कप्पा वैरिएंट है क्या?
कप्पा वैरिएंट कोरोना वायरस के डबल म्यूटेंट वैरिएशन यानी दो बदलावों से बना है। इसे B.1.617.1 के नाम से भी जाना जाता है। वायरस के इन दो म्यूटेशंस को E484Q और L453R के वैज्ञानिक नामों से जाना जाता है।

Q. क्या यह कोरोना का नया वैरिएंट है? यह पहली बार कब मिला था?
कप्पा वैरिएंट कोरोना वायरस का कोई नया वैरिएंट नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक कप्पा वैरिएंट भारत में ही पहली बार अक्टूबर 2020 में पहचाना गया था। कप्पा के अलावा डेल्टा वैरिएंट भी सबसे पहले भारत में मिला था। WHO ने इसे 4 अप्रैल 2021 को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित किया था।

Q. कोरोना का कप्पा वैरिएंट कितना खतरनाक या ज्यादा तेजी फैलने वाला म्यूटेंट है?
कप्पा वैरिएंट को WHO ने ‘वैरिएंट ऑफ कन्सर्न’ की जगह ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया है। WHO की वर्किंग डेफिनेशन या परिभाषा के मुताबिक कोरोना वायरस का वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट एक ऐसा वैरिएंट है जिसके इस जेनेटिक बदलाव के बारे में पहले से पता होता है। यानी यह बदलाव आमतौर पर स्वाभाविक होता है। इसके जरिए वायरस के फैलने, उससे होने वाली बीमारी की गंभीरता, इंसान के इम्यून सिस्टम को गच्चा देने की क्षमता या जांच और दवाओं से बचने की ताकत आदि के बारे में पता होता है।

हालांकि WHO की वेबसाइट के मुताबिक यह वैरिएंट कई देशों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन या कोरोना केसों के क्लस्टर बनाने के लिए जिम्मेदार हो सकता है। उत्तर प्रदेश के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (हेल्थ) अमित मोहन प्रसाद के मुताबिक कोरोना के इस वैरिएंट (कप्पा) को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं। यह कोरोना का एक आम वैरिएंट है और इसका इलाज संभव है।

Q. क्या कप्पा वैरिएंट के खिलाफ मौजूदा कोरोना वैक्सीन कारगर हैं?
कप्पा वैरिएंट में L453R म्यूटेशन है, यह कहा गया कि यह हमारे इम्यून सिस्टम को गच्चा देगा यानी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का इस वैरिएंट पर असर नहीं होगा, मगर इसको लेकर अभी रिसर्च जारी है और इस दावे को साबित या खारिज करने के लिए ठोस आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

हालांकि ICMR ने पिछले दिनों कहा था कि भारत बायोटेक की कोवैक्सिन कप्पा वैरिएंट के खिलाफ कारगर है। उधर, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी जून में कहा था कि कोवीशील्ड भी कप्पा वैरिएंट से बचाती है। फिलहाल भारत में ज्यादातर लोगों को कोवैक्सिन और कोवीशील्ड ही लगाई जा रही है।

Q. कप्पा वैरिएंट से बचा कैसे जा सकता है?
कोरोना वायरस के बाकी सभी वैरिएंट्स की तरह कप्पा वैरिएंट से बचने से लिए मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, हैंड सैनिटाइजिंग का सख्ती से पालन करना चाहिए। बिना किसी बेहद जरूरी काम के घर से न निकलें। भीड़ भरी जगहों पर न जाएं और पहला मौका मिलते ही कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवा लें।

Q. क्या वैक्सीन की सिंगल डोज लगवा चुके लोगों पर कप्पा वैरिएंट असर नहीं डालेगा?
मशहूर साइंस मैग्जीन नेचर में पब्लिश फ्रांस के पाश्चर इंस्टीट्यूट की नई रिसर्च के मुताबिक कोरोना वैक्सीन की एक डोज से वायरस के बीटा और डेल्टा वैरिएंट पर अमूमन कोई असर नहीं पड़ता।
यह रिसर्च एस्ट्राजेनेका और फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन लेने वालों पर की गई। भारत में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कोवीशील्ड नाम से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में बनाई जा रही है।

रिसर्च के मुताबिक एक डोज लगवाने वाले मात्र 10% लोग अल्फा और डेल्टा वैरिएंट को नाकाम कर सके। वहीं, इन दोनों में से किसी एक वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वाले 95% लोगों ने डेल्टा और बीटा वैरिएंट को नाकाम कर दिया। अब चूंकि कप्पा भी डेल्टा की तरह डबल म्यूटेंट है यानी वायरस से इस वैरिएंट ने खुद में दो बदलाव किए हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि कोरोना वैक्सीन की एक डोज कप्पा पर ज्यादा कारगर नहीं होगी। इसलिए बेहतर है कि लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन की डबल डोज लगा दी जाए।

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