एक दौर हुआ करता था जब लोगों के सामने महज कुछ क्षेत्रों में ही रोजगार के अवसर थे। हाल के समय में, ‘सॉफ्टवेयर विकास और आईटी सक्रिय सेवा’ वैश्विक संदर्भ में भारत के लिए आला अवसर के रूप में उभरी है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आई क्रांति ने एक ओर जहाँ कारोबार के अनगिनत अवसर मुहैया करा रहे, वहीं दूसरी ओर नई पीढ़ी के युवाओं को खुद के पैर पर खड़ा होने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही। और यही वजह है कि हमें नित नए-नए स्टार्टअप के बारे में पढ़ने और सुनने को मिलता है। और सबसे खास वजह यह है कि सिर्फ वही लोग स्टार्टअप शुरू नहीं कर रहे जो आर्थिक रूप से मजबूत हैं बल्कि कई लोगों ने प्रौद्योगिकी का सही इस्तेमाल कर शून्य से सफल कारोबार की स्थापना की।
आज हम रघुवीर सिंह चौधरी नाम के एक साधारण लड़के की कहानी लेकर आए हैं जो जयपुर के एक बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। घर की बुरी आर्थिक हालातों की वजह से उसे पढ़ाई बीच में ही छोड़ नौकरी की तलाश में घर से बाहर निकलना पड़ा। काफी जद्दोजहद के बाद उसनें नौ हजार रुपये की तनख्वाह पर ऑनलाइन शौपिंग वेबसाइट अमेजन में डिलीवरी ब्वाय की नौकरी शुरू कर दी। हर दिन रघुवीर अपने साइकिल पर सामान बांध घर-घर डिलीवरी किया करता था।
एक दिन डिलीवरी के दौरान ही जब वह थक कर चाय पीने के लिए आस-पास चाय की दुकान ढूँढना शुरू किया तो उन्हें बड़ी मशक्कत से एक चाय की दुकान दिखी। तभी उनके दिमाग में एक आइडिया सूझा, वह यह कि जब किसी भी सामान को पहुंचाने के लिए कंपनी कमिटमेंट ओर निर्धारित समय में डिलीवरी की सुविधा दे रही है तो फिर चाय के मामले में ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं। रघुवीर को इस बात का तनिक भी अंदाज़ा नहीं था कि एक कप चाय के प्याले में दिखा यह आइडिया आने वाले वक़्त में बेहद क्रांतिकारी साबित होगा।
अपने इस आइडिया को हकीकत में तब्दील करने के लिए रघुवीर ने अपने तीन दोस्तों के साथ बिना किसी बड़ी पूंजी के एक छोटे से कमरे में चाय बनाना शुरू किया। शुरुआत में उन्होंने बाज़ार के छोटे-छोटे दुकानों से संपर्क कर उनके आर्डर लेने शुरू कर दिए। गुणवत्तापूर्ण और गरमागरम चाय की डिलीवरी करते हुए उन्होंने कुछ ही दिनों में करीब सौ-डेढ़ सौ दुकानों और शो रूम को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहे। शुरुआत में उन्होंने खुद अपनी साइकिल से दुकान-दुकान चाय की डिलीवरी करते थे लेकिन बढ़ते डिमांड को देखते हुए उन्होंने बाइक से चाय की डिलीवरी आरम्भ कर दी।
आज उनकी जयपुर में 4 से ज्यादा चाय सेंटर है और प्रत्येक सेंटर से हर दिन 500 से लेकर 700 तक की चाय के ऑर्डर दुकानों, शोरूम और घरों से आ जाते हैं।इतना ही नहीं उनकी मासिक आमदनी आज लाखों में है। दस से ज्यादा स्टाफ और चार बाइक की मदद से यह स्टार्टअप पूरे जयपुर को गरमागरम चाय की चुस्की आनंद मुहैया करा रहा है। इतना ही नहीं कोई भी व्यक्ति कहीं से व्हाट्सऐप के जरिये भी चाय की बुकिंग कर सकता है।
साइकिल पर घर-घर सामानों की डिलीवरी करने वाले रघुवीर आज एक सफल स्टार्टअप के संचालक हैं। इनकी सफलता से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे आसपास अवसरों की कमी नहीं होती, बस हमें अपनी काबिलियत से मौजूद अवसरों को पहचानने की जरुरत है। और जो इंसान अवसर की पहचान सही वक़्त पर कर लेता है उसे सफल होने से दुनिया की कोई भी ताकत नहीं रोक सकती।