नई दिल्ली. कोरोना महामारी ने देश ही क्या पूरी दुनिया पर खासा असर डाला है. संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण देश में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद हो गई. ऐसे में कई कंपनियां थीं जो बंद होने की कगार पर पहुंच गई. कोरोना महामारी की वजह से देश में कुल 283 कंपनियां को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने दिवालिया घोषित कर दिया. लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने बताया.
राज्य मंत्री ने कहा कि 1 अप्रैल, 2020 और 31 दिसंबर, 2020 की अवधि के दौरान कुल 76 कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) पूरे किए गए. 128 सीआईआरपी को निकासी या अपील या निपटान के कारण बंद कर दिया गया और 189 कंपनियां परिसमापन (Liquidation) में चली गईं.
CIRP की धारा के तहत की गई निलंबित
इसके अलावा सरकार ने अस्थायी रूप से CIRP की धारा 7, 9 और 10 के तहत छह महीने की अवधि के लिए निलंबित कर दिया. बाद में इसकी अधिकतम अवधि 25 मार्च, 2020 से एक वर्ष के लिए (इससे अधिक नहीं) कर दिया. लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने स्पष्ट किया कि 25 मार्च से पहले कर्ज भुगतान में चूक (Default) करने वाली कंपनियों के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया के तहत कार्रवाई जारी रहेगी.
बता दें कि पूरे देश में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च को 2020 को लॉकडाउन लगाया गया था. लॉकडाउन के दौरान बड़े स्तर पर कारोबार बंद रहा. कोरोना और लॉकडाउन के कारण उद्योग धंधों को बड़े पैमाने पर हुए नुकसान से लाखों लोगों को नौकरी रोजगार गंवाना पड़ा.