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आधी आबादी को वैक्सीनेट कर चुके देशों में बढ़ रहे कोरोना केस; हमारे यहां 5% को ही दोनों डोज लगे और लोग लापरवाह हो गए

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दुनियाभर के अलग-अलग देशों में कोरोना वायरस के नए केस फिर बढ़ने लगे हैं। चिंता की बात ये है कि इनमें कई देश ऐसे हैं, जिनकी आधी से ज्यादा आबादी को वैक्सीन लग चुकी है। कुछ देशों ने तो अनलॉक की अपनी कोशिशों पर ब्रेक लगाकर दोबारा कड़े प्रतिबंध लगाने की शुरुआत कर दी है। फाइजर, मॉडर्ना जैसी वैक्सीन कंपनियां भी दो डोज के बाद अब बूस्टर डोज की तैयारी कर रही हैं।

वहीं, भारत में केवल 5% आबादी को ही दोनों डोज लगे हैं, पर लापरवाही भी कई गुना बढ़ गई है। उत्तराखंड और हिमाचल के कई हिल स्टेशन पर भीड़ उमड़ने ​​​के बाद कड़े उपाय करने पड़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोविड-19 रोकने के उपाय नहीं किए गए और भीड़ ऐसे ही लगती रही तो कोरोना की तीसरी लहर समय से पहले आ सकती है।

आइए जानते हैं कि विदेशों में 50% वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना के मामले किस तरह और क्यों बढ़ रहे हैं?

यूकेः अनलॉक से पहले आ रहे हैं रोज 30 हजार केस
यूके में 51% से अधिक आबादी को दो डोज और 68% आबादी को कम से कम एक डोज लग चुका है। इसके बाद ही सरकार ने 19 जुलाई से लॉकडाउन में ढील देने की तैयारी की थी। पर नए केस आने का सिलसिला थम ही नहीं रहा। पिछले हफ्ते हर 10 लाख की आबादी पर 410 नए केस मिले। शुक्रवार को यूके में 35 हजार से भी अधिक नए केस सामने आए, जो 5 महीने में सबसे अधिक थे। पिछले 5 दिन में लगातार 30 हजार से अधिक नए केस मिले हैं। द एकेडमी ऑफ मेडिकल रॉयल कॉलेज (AMRC) ने चेताया है कि अगर लॉकडाउन में ढील दी गई तो हालात सुधरने के बजाय बिगड़ जाएंगे।

इजराइलः जून में मास्क से आजादी मिली थी, पर 5 इलाके रेड जोन में
इजराइल ने सबसे तेजी से अपनी आबादी को वैक्सीनेट किया था। वहां 60% आबादी को दोनों डोज और 66% आबादी को कम से कम एक डोज दिया जा चुका है। जब यह आंकड़ा 50% तक पहुंचा तो मास्क पहनने से आजादी दी गई थी। पर अब केस फिर बढ़ने लगे हैं। पिछले तीन दिन में 1 हजार नए मामले मिले हैं और इससे एक्टिव केस का आंकड़ा 4 हजार को पार कर गया है। इसके बाद इजराइल ने स्ट्रैटजी बदली और हाई इन्फेक्शन रेट्स वाले देशों से आ रहे ट्रेवलर्स को क्वारैंटाइन करने का फैसला किया है। यहां तक कि दोनों डोज लेकर आ रहे लोगों को भी क्वारैंटाइन में रहना होगा। पूरे इजराइल में 5 इलाकों को इन्फेक्शन रेट के आधार पर रेड जोन घोषित किया गया है।

स्पेन: युवा आबादी सबसे ज्यादा प्रभावित
स्पेन में करीब 45% आबादी को दोनों डोज दिए जा चुके हैं। वहीं 59% आबादी कम से कम एक डोज ले चुकी है। इसके बाद भी पिछले हफ्ते पॉजिटिविटी रेट दोगुना हो गया। 20 से 29 साल के ऐसे युवाओं में सबसे अधिक केस मिले जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है। हर 1 लाख युवाओं में से 911 युवाओं की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। इसके साथ ही यूरोपियन यूनियन के कई देशों में नए केस लगातार बढ़ रहे हैं। इटली में शुक्रवार और शनिवार को 37 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। पिछले एक हफ्ते में हर 1 लाख टेस्ट पर पॉजिटिव केस 9 से बढ़कर 11 हो गए हैं।

अमेरिकाः डेल्टा वैरिएंट ने बढ़ाई परेशानी; रोज 19 हजार नए केस
अमेरिका की करीब 49% आबादी पूरी तरह से वैक्सीनेट हो चुकी है, वहीं 77% आबादी को कम से कम एक डोज लगा है। इसके बाद भी आधे राज्यों में कोरोना के केस बढ़ने लगे हैं। पिछले हफ्ते में हर दिन औसतन 19 हजार नए केस सामने आए हैं। कैलिफोर्निया, टेक्सास, न्यूयॉर्क और फ्लोरिडा में सबसे ज्यादा नए केस मिले हैं। 80% नए मामलों में कोरोना के डैल्टा वैरिएंट को वजह बताया जा रहा है।

भारत में अब तक करीब 38 करोड़ डोज
भारत में 11 जुलाई तक 37.73 करोड़ लोगों को वैक्सीन का कम से कम एक डोज लग चुका है। आबादी के लिहाज से ये 22 फीसदी है। वहीं केवल 5 फीसदी आबादी को ही वैक्सीन के दोनों डोज लगे है। हर दिन लगभग 35 लाख डोज लग रहे हैं। अगर इसी रफ्तार से देश में वैक्सीनेशन होता रहा तो भी भारत को अपनी आधी आबादी को वैक्सीनेट करने में अभी और महीने लग जाएंगे। पॉजिटिव केसेस की बात करें तो अब भी औसतन 40 हजार से अधिक मामले रोज मिल रहे हैं। इनमें भी 50% नए केस केरल और महाराष्ट्र में सामने आ रहे हैं।

वैक्सीनेशन के बाद भी क्यों बढ़ रहे हैं कोरोना के नए केस?
WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार नए केसेस बढ़ने के कारण ये हैं-

  • कोरोना के नए वैरिएंटः कोरोना के डेल्टा समेत अन्य वैरिएंट्स ने परेशानी बढ़ा दी है। डेल्टा वैरिएंट 100 से ज्यादा देशों में फैला है। अमेरिका में 80% नए केस डेल्टा के हैं। साथ ही लैम्ब्डा वैरिएंट भी 31 देशों में पहुंच चुका है। स्टडीज में ये पता चला है कि नए वैरिएंट ओरिजिनल स्ट्रेन के मुकाबले ज्यादा संक्रामक हैं और वैक्सीन के प्रभाव को भी कम कर रहे हैं।
  • लॉकडाउन में ढीलः जिन देशों में वैक्सीनेशन 50% का आंकड़ा पार कर चुका है, वहां सरकारें लॉकडाउन में ढील दे रही हैं। इसका नतीजा ये हुआ कि लोग लापरवाह हो रहे हैं और वायरस को फैलने का मौका दे रहे हैं। इजराइल में चुनाव के बाद मामले बढ़ने लगे हैं। यूरोप के कई देशों में नाइट क्लब खुल गए हैं। सार्वजनिक आयोजन होने लगे हैं। यूरोप में कोरोना के बढ़ते मामलों के पीछे यूरो कप जैसे स्पोर्टिंग इवेंट्स को भी वजह माना जा रहा है।
  • वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तारः कई देशों में वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार भी नए केस सामने ला रही है। रूस, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इंडोनेशिया में हालत इतनी खराब है कि ऑक्सीजन के लिए दूसरे देशों से मदद मांगनी पड़ रही है। मैक्सिको में एक हफ्ते में ही इन्फेक्शन 29% बढ़ गया है। अस्पतालों के 23% बेड कोरोना मरीजों से भरे हैं। ऑस्ट्रेलिया में डेल्टा वैरिएंट के केस बढ़ने के बाद राजधानी सिडनी में फिर से लॉकडाउन लगाया गया है।

क्या आपको वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरूरत होगी?

  • फाइजर CEO अल्बर्ट बोर्ला ने कहा है कि वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के 6 से 12 महीनों बाद एक तीसरा बूस्टर डोज लगवाने की जरूरत पड़ सकती है। तीसरे बूस्टर डोज की अनुमति के लिए फाइजर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन में कुछ हफ्तों में ही आवेदन दे सकती है।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति के चीफ मेडिकल एडवाइजर डॉक्टर एंथनी फॉसी के मुताबिक वैक्सीन के बूस्टर डोज पर फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है। स्टडीज के नतीजों के बाद हो सकता है कि अमेरिकियों को तीसरा बूस्टर डोज दिया जाए।
  • कई देशों में अभी इस पर विचार चल रहा है, पर इजराइल ने फाइजर वैक्सीन के तीसरे बूस्टर डोज देने की तैयारी कर ली है। ये डोज कमजोर इम्यूनिटी वाले युवाओं को दिए जाएंगे। इजराइल का कहना है कि फिलहाल हॉस्पिटल में कोरोना के जितने मरीज भर्ती हैं, उनमें आधे दोनों डोज ले चुके हैं।
  • हालांकि, इस मामले पर अलग-अलग स्टडी चल रही है। कई स्टडीज में ये सामने आया है कि नए वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की इफेक्टिवनेस कम है। वैक्सीन कम एंटीबॉडी बना रही है और ऐसे में एंटीबॉडी की संख्या बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज एक विकल्प हो सकता है।

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