कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी बोले:पंजाब में कैप्टन अमरिंदर से बड़ा कोई नेता नहीं है; आप के कई विधायक हमारे संपर्क में, चुनाव में किसान आंदोलन बड़ा मुद्दा होगा
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि जब से पंजाब बना है किसी को इतना बहुमत नहीं मिला, जो 2017 में कैप्टन साहब के नेतृत्व में पार्टी को मिला। पंजाब की सरकार लोगों के काम करने से चलती है ना की ट्वीट करने से, इस बार चुनाव में किसान आंदोलन बड़ा मुद्दा बनेगा। आम आदमी पार्टी के कई विधायक भी हमारे संपर्क में हैं। बातचीत में कांग्रेस सांसद ने यह बात कही। पढ़िए उस खास इंटरव्यू के प्रमुख अंश…
सवाल: नवजोत सिंह सिद्धू दिल्ली दरबार में हाई कमान से मुलाकात के बाद भी कैप्टन सरकार पर हमलावर क्यों है?
जवाब: कैप्टन अमरिंदर को राजनीति में लगभग 54 साल हो गए हैं। उन्होंने अपना पहला चुनाव 1967 में लड़ा था और 2017 में जो विधानसभा का चुनाव कैप्टन साहब के नेतृत्व में हुआ था, उसमें कांग्रेस ने 70 सीटें जीतीं थी। यह अपने आप में एक इतिहास है। जब से पंजाब बना है आज तक किसी राजनीतिक दल ने इतनी सीटें नहीं जीती हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस देश भर में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाई थी, तब भी उस चुनाव में 13 में से 8 सीटें कैप्टन साहब की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी ने जीती थी।
इसके बाद पंजाब में तीन उप चुनाव हुए और तीनों कांग्रेस पार्टी जीती। इससे पहले पंचायत के चुनाव में 99 प्रतिशत तक परिणाम कांग्रेस पार्टी के पक्ष में रहे। पंजाब में पांच बड़े नगर निगम हैं, उन पांचों पर कांग्रेस के मेयर जीत दर्ज कर चुके हैं। यह सब कैप्टन साहब की कार्यकाल के दौरान हुआ है। आज के दिन अमरिंदर सिंह न केवल कांग्रेस में बल्कि पूरे राज्य में सबसे बड़े नेता हैं। उनके मुकाबले में अगर किसी का कद है तो पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का है। लेकिन, अब उनकी उम्र हो गई है।
सवाल: नवजोत सिंह सिद्धू की बयानबाजी से पार्टी को कितना नुकसान हो रहा है?
जवाब: चुनाव मुद्दों पर लड़े जाते हैं और आज पंजाब में सबसे बड़ा मुद्दा है किसानों का संघर्ष है, जो दिल्ली की सड़कों पर पिछले 7 महीने से चल रहा है। पंजाब के 12 हजार से अधिक गांवों के किसान लामबंद हैं। हर गांवों से खाना दूध व अन्य सामान आ रहा है। पंजाब की राजनीति ट्वीट से तय होने वाली नहीं है। पंजाब के जो बुनियादी मुद्दे हैं, जो लोगों के जीवन यापन करने और उनके भविष्य से जुड़ा हुआ मामले हैं, वे पंजाब की सियासत को तय करेंगे।
सवाल:अरविंद केजरीवाल ने जो बिजली की घोषणा पंजाब चुनाव को लेकर की है उससे चुनाव पर कितना फर्क पड़ेगा?
जवाब: लोकसभा के चुनाव के दौरान एक आम आदमी पार्टी का MLA पार्टी छोड़कर आ गया था। इसके साथ ही आप के विपक्ष के नेता और दो अन्य MLA भी उनके साथ कांग्रेस में शामिल हो गए। और अब सात विधायक हमारा दरवाजा खटखटा रहे हैं। बस उन्होंने दरवाजा तोड़ा तो नहीं हैं। बाकी सब कोशिश कर ली है। पंजाब में आम आदमी पार्टी का जमीनी स्तर पर कोई जनाधार नहीं है। उनके MLA लगातार कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। इसलिए हवा की बातें सिर्फ हवा में होती हैं। केजरीवाल के लिए दुर्भाग्य की बात यह है कि पिछले 5 सालों में अपना संगठन जमीन पर खड़ा नहीं कर पाए।
सवाल: उत्तराखंड के CM के बदलने के बारे में आपका क्या कहना है?
जवाब: भाजपा को कितना जल्दी जल्दी अपना मुख्यमंत्री बदलना पड़ रहा है, लोग इतना जल्दी तो कपड़े भी नहीं बदलते और भाजपा मुख्यमंत्री बदल रही है। इस मामले में BJP की बौखलाहट साफ जाहिर होती है। UP में कोरोना काल की दूसरी लहर में जो परिस्थितियां बनी, आपके सामने हैं। पूरी गंगा मैली हो गई और लोगों को दफनाने की जगह नहीं मिली। देश की जनता भाजपा को माफ नहीं करेगी।
सवाल: राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट, हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ शैलजा, पंजाब में कैप्टन वर्सेज सिद्धू है, तो क्या कांग्रेस अपने आप से ही लड़ रही है?
जवाब: राजनीतिक दलों में वर्चस्व की लड़ाई चलती रहती है। लेकिन, कांग्रेस का इतिहास रहा है जब चुनाव आता है, कांग्रेस पूरी तरह संगठित होकर मजबूती से चुनाव लड़ती है। अब जनता जागरूक हो गई है। चुनाव मुद्दों पर लड़े जाते हैं। आम जन ये देख रहा है कि कौन सा राजनीतिक दल मुद्दों पर क्या बोल रहा है। मैं आपको बता दूं कि राजनीतिक दलों में वर्चस्व की लड़ाई सदियों से चली आई है और अभी भी चल रही है। आप भाजपा में ही देख रहे हैं कि क्या हो रहा है। केंद्र में केवल ढाई आदमियों की सरकार रह गई है। योगी और मोदी दोनों गुत्थमगुत्था हो रहे हैं। राजस्थान में भाजपा में भी अंतर्कलह कोई कम नहीं है।
सवाल: केंद्र सरकार के होने वाले मंत्रिमंडल के विस्तार का आने वाले पांच राज्यों के चुनाव पर क्या असर पढ़ने वाला है?
जवाब: केंद्र में ढाई आदमियों की सरकार है। बाकी किसी भी मंत्री की कोई औकात नहीं है। इस सरकार में किसी मंत्री को कोई तवज्जो नहीं दिया जा रहा है। इसलिए इस मंत्री मंडल का कोई औचित्य नहीं है और ना ही आने वाले राज्यों के चुनाव में इसका कोई असर पड़ेगा।