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Punjab विधानसभा चुनाव से 6 महीने पहले CM का बड़ा फैसला:पावरकॉम को तलवंडी साबो थर्मल प्लांट का एग्रीमेंट रद्द करने के आदेश, अन्य बिजली समझौतों की भी समीक्षा होगी

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पंजाब में तकरीबन 6 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले, बुधवार शाम को CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बड़ा फैसला लेते हुए पंजाब में प्राइवेट थर्मल प्लांटों के साथ किए गए पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) कैंसल और रिव्यू करने के आदेश दे दिए। कैप्टन ने पावरकॉम (PSPCL) को इसके आदेश दिए। इसके लिए धान की बुवाई और गर्मी के दौरान प्रदेश में डिमांड के मुताबिक बिजली सप्लाई उपलब्ध न करवा पाने को आधार बनाया गया। कैप्टन ने तलवंडी साबो पॉवर लिमिटेड (TSPL) के थर्मल प्लांट की विफलता का कड़ा नोटिस लिया और पावरकॉम को आदेश दिया कि यह थर्मल चालू पैडी सीजन में अपनी क्षमता के मुताबिक बिजली सप्लाई देने में नाकाम रहा, इसलिए पावरकॉम इसका पावर परचेज एग्रीमेंट रद्द करे। CM ने इस एग्रीमेंट को पूरी तरह कंपनी के पक्ष में करार दिया। गौरतलब है कि मानसा के तलवंडी साबो में बना वेदांता कंपनी का 1980 मेगावाट क्षमता का TSPL थर्मल प्लांट राज्य का सबसे बड़ा प्राइवेट थर्मल प्लांट है।

मुख्यमंत्री ने पावरकॉम को अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में किए गए सभी पावर परचेज एग्रीमेंट्स की जांच करने को कहा। CM ने कहा कि यह एग्रीमेंट पैडी सीजन और गर्मियों के मौसम में राज्य की बिजली जरूरतें पूरी करने के लिए किए गए थे। कैप्टन ने पावरकॉम से कहा कि बिजली जनरेशन के जो भी प्रोजेक्ट राज्य के लिए फायदेमंद नहीं हैं, उन्हें टर्मिनेट या रिव्यू किया जाए।

तलवंडी साबो पावर प्लांट फेल होने से पैदा हुआ संकट
इस बार पैडी सीजन में तलवंडी साबो पावर लिमिटेड के 3 यूनिट फेल हो गए थे। इस थर्मल प्लांट का एक यूनिट मार्च-2021 से ही खराब था, जबकि बाकी दो यूनिट तकरीबन एक महीने के लिए बंद रहे। इस समय भी इस थर्मल का एक ही यूनिट चल रहा है। TSPL के इस प्लांट से सप्लाई नहीं मिल पाने के कारण 15 बरसों में पहली बार पंजाब में बिजली का ऐसा संकट खड़ा हो गया था कि ब्लैकआउट की स्थिति बन गई। पंजाब में इससे पहले बिजली का ऐसा संकट 2007 में खड़ा हुआ था। CM ने कहा कि पावराकॉम पहले ही TSPL पर जुर्माना लगाने के लिए नोटिस निकाल चुका है। कंपनी के साथ किया गया एग्रीमेंट एकतरफा है और ऐसे में जो नुकसान हुआ, उसके मुकाबले यह जुर्माना बहुत छोटी सजा है।

पावरकाम को खरीदनी पड़ी 886 करोड़ रुपए की बिजली
CM ने कहा कि मौजूदा बिजली समझौतों में यह अनिवार्य नहीं है कि पीक सीजन में पावर प्लांट राज्य को हर हाल में बिजली उपलब्ध कराएं। इसी का फायदा उठाकर पावर प्लांट जरूरत के वक्त बिजली उपलब्ध नहीं कराते। वहीं, ऑफ सीजन में बिजली देकर फिक्स चार्ज ले लेते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि तलवंडी साबो पावर प्लांट फेल हो जाने की वजह से सरकार को उस समय 1980 मेगावाट बिजली नहीं मिली जब उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। TSPL के प्लांट से सप्लाई न मिलने पर पावरकाम को मजबूरन पावर एक्सचेंज से 886 करोड़ रुपए में 271 करोड़ यूनिट बिजली खरीदनी पड़ी।

पंजाब प्रधान बने सिद्धू के मांगपत्र में शामिल था मुद्दा

नवजोत सिद्धू की तरफ से मंगलवार को मुख्यमंत्री को सौंपे गए 5 सूत्रीय मांगपत्र में चौथे नंबर पर बिजली का मुद्दा शामिल था।
नवजोत सिद्धू की तरफ से मंगलवार को मुख्यमंत्री को सौंपे गए 5 सूत्रीय मांगपत्र में चौथे नंबर पर बिजली का मुद्दा शामिल था।

नवजोत सिद्धू ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस का प्रधान बनने से पहले 2 जुलाई को एक के बाद एक, 9 ट्वीट करके इन पावर परचेज एग्रीमेंट पर सवाल उठाए थे। सिद्धू ने कहा था कि पंजाब में औसतन बिजली 4.54 रुपए यूनिट मिलती है, जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 3.85 रुपए है। चंडीगढ़ तो 3.44 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीद रहा है। पंजाब सरकार 3 प्राइवेट थर्मल प्लांटों पर निर्भर है और उनसे 5 से 8 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीद रही है। बादल सरकार के कार्यकाल में किए गए इन पावर परचेज एग्रीमेंट को गलत बताते हुए सिद्धू ने कहा कि इनकी वजह से पंजाब सरकार अब तक ये थर्मल प्लांट चलाने वाली कंपनियों को 5400 करोड़ रुपए दे चुकी है और अभी भी फिक्स चार्जेस के तौर पर 65 हजार करोड़ और देने पड़ेंगे। सिद्धू ने कहा था कि पंजाब नेशनल ग्रिड से सस्ते रेट पर बिजली खरीद सकता है, लेकिन इन एग्रीमेंट की वजह से पंजाब ऐसा नहीं कर सकता। ऐसे में पंजाब सरकार विधानसभा में नया विधेयक लाकर बिजली के रेट तय कर सकती है। नया कानून बनाकर पंजाब के लोगों का पैसा भी बचाया जा सकता है। हाल में प्रदेश कांग्रेस प्रधान की कुर्सी संभालने के बाद सिद्धू ने मंगलवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हुई अपनी पहली ही मीटिंग में CM को जो 5 सूत्रीय मांग-पत्र सौंपा था, उसमें भी बिजली का मुद्दा शामिल था।

कैप्टन का सीएमओ को आदेश:चार साल में कौन सा वादा पूरा हुआ और कौन सा अभी बाकी है, इसकी रिपोर्ट बनवा रही सरकार

  • -हाईकमान का 18 सूत्रीय एजेंडा पूरा करें

पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच तल्खी खत्म नहीं हुई है, क्योंकि सिद्धू फिर से उठाए 5 मुद्दों से सीएम नाराज हैं, क्योंकि ये वहीं मुद्दे हैं, जिनके कारण पंजाब कांग्रेस में अंतरकलह हुई थी। कैप्टन ने हाईकमान द्वारा दिए गए 18 नुक्तों पर काम शुरू कर दिया है, वहीं अपने कार्यालय के अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वे सभी 18 नुक्तों पर विशेष रिपोर्ट तैयार करें ताकि ठोस जवाब दिया जा सके।

इस रिपोर्ट में सभी नुक्तों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाए कि कांग्रेस ने 2017 में सत्ता में आने के बाद से किए वादों पर क्या-क्या काम हुआ और जिन मुद्दों पर कांग्रेस में हो-हल्ला हो रहा है, उन पर किस तरह की कार्रवाई हुई। सीएमओ द्वारा तैयार की जाने वाली रिपोर्ट में सरकार के 4 सालों का ब्यौरा होगा कि इन 4 साल में सरकार ने क्या कदम उठाए, जिससे जनता को लाभ मिला। रिपोर्ट में बेअदबी, बेरोजगारी, तस्करी, किसान और कर्मचारियों के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र होगा।

नए प्रभारी लाने की तैयारी में हाईकमान
जानकारी के अनुसार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत को हाईकमान किसी भी समय पंजाब मामलों के प्रभारी पद से हटाने की तैयारी में है। हालांकि इस संबंध में हरीश रावत भी खुद कह चुके हैं कि उत्तराखंड की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उनके सिर पर है। चूंकि हाईकमान ने सरकार को 18 नुक्तों पर तीव्र गति से काम करने के लिए कहा है, इसलिए सीएमओ द्वारा तैयार की जाने वाली रिपोर्ट जहां हाईकमान को भेजी जाएगी, वहीं यह रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भी जाएगी।

 

 

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