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बच्चे ऑनलाइन गेमिंग में उड़ा रहे लाखों रुपए, इसमें माता-पिता की गलती ज्यादा; आखिर बच्चे कैसे कर रहे अकाउंट से ट्रांजैक्शन?

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मोबाइल गेम का जुनून एक बच्चे की जिंदगी पर हावी हो गया। मामला मध्यप्रदेश के छतरपुर का है, जहां 13 साल के कृष्णा पाण्डेय ने गरेना फ्री फायर (Garena Free Fire) नाम के ऑनलाइन गेम खेलने में 40 हजार रुपए गंवा दिए। जब बच्चे की मां ने इस बात को लेकर उसे डांटा तो वो डिप्रेशन में चला गया। बाद में उसने सुसाइड कर ली।

ये ऐसा पहला मामला नहीं है जब किसी गेम की वजह से बच्चों ने माता-पिता के हजारों या लाखों रुपए खर्च कर दिए हों। इसी साल जून में फ्री फायर को अपग्रेड करने के चक्कर में छत्तीसगढ़ के बच्चे ने 3.22 लाख रुपए के हथियार खरीद लिए। वहीं, यूपी के 3 बच्चों ने गेम खेलते-खेलते करीब 11 लाख रुपए से ज्यादा के हथियार खरीद डाले। कुछ महीनों से लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।

अब सवाल ये उठता है कि आखिर बच्चे ऑनलाइन गेमिंग के दौरान माता-पिता के बैंक अकाउंट को कैसे एक्सेस कर लेते हैं? ऐसे कौन-कौन से गेम हैं जो अपग्रेड होने या दूसरी सर्विस के लिए हजारों रुपए मांगते हैं? क्या ऐसे मामले में स्मार्टफोन पर फोन बैंकिंग सुरक्षित नहीं है? सभी सवालों के जवाब जानते हैं…

पहले बात करते हैं ऑनलाइन पेड गेम्स की…

गूगल प्ले स्टोर या एपल ऐप स्टोर पर ऐसे कई गेम्स हैं जो फ्री डाउनलोड हो जाते हैं, लेकिन बाद में अपग्रेड करने या अपनी अलग-अलग सर्विसेज के नाम पर यूजर से मोटी रकम वसूलते हैं। फ्री गेम में कई लिमिटेशन होती हैं जिसके चलते यूजर का गेमिंग एक्सपीरियंस अच्छा नहीं होता। जबकि पेड सर्विस के बाद उसके गेम में नए हथियार, पॉइंट्स, लाइफ जैसे कई ऑप्शन बढ़ जाते हैं। ऐसे गेम्स की लिस्ट लंबी है…

बच्चों द्वारा जिन गेम्स की वजह से माता-पिता के अकाउंट से पैसे निकले हैं उनमें ज्यादातर फाइटिंग गेम्स शामिल हैं। बच्चों को पहले इन गेम्स की लत लगती है। फिर अच्छे हथियार के लालच और पॉइंट्स अर्न के लिए बच्चे इन्हें खरीदने के लिए मजबूत हो जाते हैं। उन्हें इस बात का पता नहीं होता कि पेरेंट्स के अकाउंट से कितने पैसे खर्च होंगे।

आखिर बच्चे ट्रांजैक्शन कैसे कर लेते हैं…

इसे बारे में हमने दो एक्सपर्ट रितु महेश्वरी (साइबर सिक्योरिटी और क्लाउड कम्पूटिंग) और मनीष खत्री (टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट) से बात की। दोनों ने गेम्स के दौरान होने वाले ट्रांजैक्शन से लेकर इससे बचने के तरीके भी बताए।

  • रितु महेश्वरी के बताया कि जब भी हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से पेमेंट करते हैं तब वो हमारे डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड की डिटेल सेव कर लेता है। इन सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन कीलॉगर्स होते हैं। ऐसे में ये डेटा वहां पर फीड हो जाता है। इससे डेटा की सिक्योरिटी भी कम हो जाती है। इससे गेमिंग ऐप ही नहीं बल्कि दूसरे ऐप्स से भी अकाउंट से पैसे निकलने का खतरा हो जाता है। कई ऐप्स में ट्रोजन या दूसरे मैलवेयर भी होते हैं। ये फोन में इन्स्टॉल होकर आपके डेटा को चुराते हैं।
  • मनीष खत्री ने कहा कि यदि यूजर ने कभी भी गूगल प्ले स्टोर से कोई कोई ऐप खरीदा है, तब पेमेंट किए गए क्रेडिट या डेबिट कार्ड का डेटा उसमें सेव हो जाता है। ऐसे में जब भी हम अगली बार कोई ऐप गूगल प्ले स्टोर से खरीदते हैं तो वो ऑटोमैटिक आपके कार्ड पेमेंट मोड पर आ जाता है। ऐसे में बच्चे को आपके कार्ड का CVV पता है तब वे आसानी से ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। आपने दूसरा पेमेंट प्लेटफॉर्म जोड़ा है और बच्चे उसका पिन जानते हैं, तब वहां से भी ट्रांजैक्शन हो सकता है।

बच्चों को ऐसे पेमेंट से कैसे रोका जाए….

  • दोनों एक्सपर्ट्स ने इस बात की सलाह दी है कि बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग से दूर रखा जाए, क्योंकि पैसे ट्रांजैक्शन के ज्यादातर मामले इन्हें गेम के दौरान होते हैं। ज्यादा बेहतर है कि बच्चों को ऑफलाइन गेम्स खेलने दिए जाएं। या फिर फोन का इंटरनेट डाटा बंद रखा जाए या पासर्वड प्रोटेक्टेड किया जाए।
  • पेरेंट्स को अपने क्रेडिट कार्ड की लिमिट तय कर देनी चाहिए। खासकर इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन के लिए लिमिट को 500 से 1000 रुपए तक कर देना चाहिए। ताकि बच्चे गलती से भी बड़ा अमाउंट किसी इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन पर खर्च नहीं कर पाएं। आपको जब भी जरूरत हो लिमिट अपने हिसाब से बढ़ा लें।

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