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चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के शताब्दी समारोह का जश्न; इस देश की सियासत और कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में जानिए अहम बातें

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चीन में इन दिनों जश्न का माहौल है। देश की सत्ता पर काबिज चाइना कम्युनिस्ट पार्टी यानी CCP की स्थापना को 100 साल हो चुके हैं। इन दिनों चीन के जिस हिस्से पर नजर दौड़ाएंगे, वहां लाल रंग से सराबोर माहौल और लोग नजर आएंगे। चीन के बारे में कहा जाता है कि वहां से जितना सामने आता है, उससे कहीं ज्यादा छिपा होता है। सरकार और उससे जुड़े संस्थान जितना बता दें, उसी से गुजारा करना होता है। मेनस्ट्रीम मीडिया हो या सोशल मीडिया, सब कुछ सरकार के नियंत्रण में है। इसकी जिम्मेदार यही CCP है। तो चलिए इस पार्टी और चीन की सियासत से जुड़ी कुछ अहम बातें जानते हैं।

चीन में कुल कितने राजनीतिक दल हैं?
बाहरी दुनिया को लगता है कि चीन में सिर्फ एक ही राजनीतिक दल यानी ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना’ या चाइना कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) है, लेकिन ऐसा नहीं है। यहां कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा 8 और सियासी पार्टियां हैं। हां, ये बात अलग है कि इनका वजूद होते हुए भी न के बराबर है। ये भी रोचक है कि CCP के अलावा सभी पार्टियां लोकतांत्रिक हैं, लेकिन इनकी आवाज ‘नक्कारखाने में तूती’ की तरह दब जाती है। चीन का संविधान कहता है- बाकी दलों को भी सरकार में भागीदारी का हक है, पर हकीकत कुछ और है। और वो ये कि 8 दल सिर्फ प्रस्ताव पेश कर सकते हैं। इनको मानना या न मानना CCP की मर्जी पर निर्भर करता है।

CCP के करीब 9 करोड़ 20 लाख एक्टिव मेंबर हैं और वो सबसे बड़ी पार्टी है। ताइवान डेमोक्रेटिक सेल्फ गवर्नमेंट पार्टी सबसे छोटी है। उसके सिर्फ 3 हजार सदस्य हैं।

कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में हम क्या नहीं जानते?

  • 1921 में जब यह पार्टी बनी तो किसी ने नहीं सोचा था कि एक वक्त इसका कोई विकल्प ही नहीं होगा। सिर्फ 50 लोगों ने इसकी स्थापना की थी।
  • फाउंडर थे चेन डुग्झियू और लि डेझाओ। मजे की बात यह है कि चेन और डेझाओ दोनों ही जापान में मार्क्सवाद का किताबी ज्ञान लेकर आए थे।
  • 1949 में सिविल वॉर के बाद जब ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ की स्थापना हुई तो उस वक्त CCP में 2.2 करोड़ लोग मेंबर बन चुके थे।
  • CCP में इस वक्त 3 विंग हैं। इन्हें क्लास भी कहा जाता है। ये हैं- फार्मर्स, वर्कर्स और सोल्जर्स। इसी आधार पर पार्टी मेंबर भी बनाए जाते हैं।
  • 2011 के एक सर्वे में सामने आया था कि 15 राज्यों की 140 यूनिवर्सिटीज के 80% स्टूडेंट भविष्य में इसी CCP का हिस्सा बनना चाहते थे।
  • पार्टी का सदस्य बनना भी आसान नहीं है। इसके लिए 20 स्टेप्स का एक प्रोसेस पूरा करना होता है। इसमें 2 से 3 साल तक लग जाते हैं।

शी जिनपिंग इतने ताकतवर कैसे हैं? उनके पास कितने पद हैं?
चीन में जिनपिंग के पास तीन अहम पद हैं। स्टेट चेयरमैन (गुओजिया झुक्शी)। इसके तहत वे देश के प्रमुख शासक हैं। चेयरमैन ऑफ द सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (झोंगयांग जुन्वेई झुक्शी)। इसके मायने हैं कि वे सभी तरह की चीनी सेनाओं के कमांडर इन चीफ हैं। तीसरा और आखिरी पद है- जनरल सेक्रेटरी ऑफ द चाईनीज कम्युनिस्ट पार्टी या सीसीपी (झोंग शुजि) यानी सत्तारूढ़ पार्टी सीसीपी के भी प्रमुख। 1954 के चीनी संविधान के मुताबिक अंग्रेजी में चीन के शासक को सिर्फ चेयरमैन कहा जा सकता है। इसके मायने ये हुए कि जिनपिंग के पास ही सत्ता की असली चाबी है और वे देश के सबसे ताकतवर शख्स हैं।

क्या जिनपिंग को राष्ट्रपति कहा जाना चाहिए, जबकि चीन में तो ये पद ही नहीं है?
यह बहुत रोचक मामला है। चीन के संविधान में राष्ट्रपति पद है ही नहीं। 2020 में डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के एक सांसद स्कॉट पैरी ने कांग्रेस में एक बिल पेश किया। इसमें कहा गया कि शी जिनपिंग को राष्ट्रपति के बजाय तानाशाह कहा जाना चाहिए, क्योंकि चीन में लोकतंत्र नहीं हैं और न जिनपिंग चुनकर आए हैं। पैरी ने बिल को नाम दिया था- ‘नेम द एनिमी एक्ट’। पैरी चाहते हैं कि जिनपिंग या किसी चीनी शासक को अमेरिका के सरकारी दस्तावेजों में न राष्ट्रपति कहा जाए और न लिखा जाए। CNN ने इसी साल एक रिपोर्ट में जिनपिंग को ‘चेयरमैन ऑफ एवरीथिंग’ कहा था।

फिर सच्चाई क्या है..
इसे आसान भाषा में समझते हैं। दरअसल, जिनपिंग को ‘राष्ट्रपति’ कहे जाने पर भ्रम है। और इसीलिए विवाद भी हुए। चीन में जितने भी पदों पर जिनपिंग काबिज हैं, उनमें से किसी का टाइटल ‘प्रेसिडेंट’ नहीं है। और न ही चीनी भाषा (मेंडेरिन) में इस शब्द का जिक्र है। 1980 में जब चीन की इकोनॉमी खुली, तब चीन के शासक को अंग्रेजी में प्रेसिडेंट कहा जाने लगा। जबकि तकनीकी तौर पर ऐसा है ही नहीं। जिनपिंग सीसीपी चीफ हैं। इसलिए देश के प्रमुख शासक हैं, लेकिन वे राष्ट्रपति तो बिल्कुल नहीं हैं। बस उन्हें ‘प्रेसिडेंट’ कहा जाने लगा।

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