Newsportal

CDS जनरल बिपिन रावत की पाक को चेतावनी:जम्मू-कश्मीर में ड्रोन से गोला-बारूद भेजा जा रहा है, यह सीजफायर और शांति प्रक्रिया के लिए शुभ संकेत नहीं

0 158

चीफ डिफेंस ऑफ स्टाफ (CDS) बिपिन रावत ने इशारों-इशारों में पाकिस्तान को चेतावनी दी है। जनरल रावत ने बुधवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में ड्रोन के जरिए आतंकियों को गोला-बारूद पहुंचाया जा रहा है, यह सीजफायर और शांति प्रक्रिया के लिए शुभ संकेत नहीं है।

रावत ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि आंतरिक शांति प्रक्रिया बाधित होती है तो हम यह नहीं कह सकते कि सीजफायर जारी है। सीजफायर का मतलब यह नहीं है कि आप सीमाओं पर संघर्ष विराम करें और देश के अंदर घुसपैठ जारी रखें। यह जान लें कि एक साथ दोनों चीजें नहीं हो सकती हैं।

थिएटर कमांड की गठन प्रक्रिया सही रास्ते पर
रावत ने कहा कि थिएटर कमांड की गठन प्रक्रिया सही रास्ते पर चल रही है। हम तीनों सेवाओं के अधिकांश मुद्दों को हल करने में सक्षम हो गए हैं। जल्द ही कुछ अच्छा परिणाम मिलने वाला है।

क्या है थिएटर कमांड?
थिएटर कमांड का सीधा अर्थ यह है कि एक इलाके में थल सेना, वायु सेना और नौसेना, तीनों की यूनिटों को एक थिएटर कमांडर के अधीन लाया जाना। इन यूनिटों की ऑपरेशनल कमान जिस ऑफिसर के हाथ में होगी वह तीनों में से किसी भी सेना का हो सकता है। अभी तीनों सेनाएं स्वतंत्र ढंग से अपना काम करती हैं। थिएटर कमांड स्थापित होने से यह सबसे बड़ा फर्क देखने को मिलेगा कि जो काम किसी एक सेना ने किया वह दूसरी नहीं करेगी। अमेरिका और चीन समेत दुनिया के कई देशों की सेनाएं इसी व्यवस्था के तहत चल रही हैं।

जम्मू-कश्मीर के लोग शांति चाहते हैं
रावत ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग खुद शांति चाहते हैं। खासकर अनुच्छेद 370 के हटने के बाद। अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक समय ऐसा भी आएगा जब लोग खुद हिंसा से दूर हो जाएंगे और घाटी में उग्रवाद नहीं होने देंगे। क्योंकि स्थानीय लोगों के समर्थन के बिना उग्रवाद और आतंकवाद जीवित नहीं रह सकते।
रावत ने बताया कि कुछ युवाओं को गुमराह किया गया है। मुझे लगता है कि हमें उनकी पहचान करने और यह देखने की जरूरत है कि हम उनके साथ कितनी अच्छी तरह बातचीत कर सकते हैं। उन्हें समझा सकते हैं कि आतंकवाद आगे का रास्ता नहीं है, बल्कि शांति और सिर्फ शांति ही आगे का रास्ता है।

पाकिस्तान का रक्षात्मक ढांचा बर्बाद हुआ
पाकिस्तान सेना युद्धविराम के लिए क्यों सहमत हुई? इस सवाल पर रावत ने कहा कि इसके कई कारण हो सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों से युद्धविराम का व्यापक उल्लंघन हुआ है। इसमें छोटे हथियारों के अलावा उच्च क्षमता वाले हथियारों का भी इस्तेमाल किया गया था। इसने पाकिस्तानी सेना के रक्षात्मक ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया है। उनके सैनिकों के साथ सीमा पर रहने वाले आम नागरिक और मवेशियों को भी नुकसान होता है। यह दबाव भी सीजफायर का कारण हो सकता है।

चीनी सेना को तिब्बत जैसे इलाकों में लड़ने का अनुभव नहीं
वेस्टर्न और नॉर्दन में से कौन सा फ्रंट ज्यादा महत्वपूर्ण है? रावत ने इस सवाल पर कहा कि हमारे लिए दोनों मोर्चे महत्वपूर्ण हैं। पिछले साल गलवान और अन्य घटनाओं के बाद भारत के साथ लगी सीमा पर चीनी तैनाती में बदलाव आया है। उनके सैनिक मुख्य रूप से सिविलियन गली से आते हैं। उन्हें छोटी अवधि के लिए भर्ती किया जाता है। उन्हें इस तरह के इलाकों में लड़ने और काम करने का ज्यादा अनुभव नहीं है। चीनी सेना को महसूस हुआ कि उन्हें और बेहतर प्रशिक्षण और तैयारी की जरूरत है।

इस मामले में हमारे सैनिकोंं उनसे कहीं आगे हैं। क्योंकि हमारे पास बहुत सारे पर्वतीय युद्ध प्रशिक्षण हैं, हम पहाड़ों में काम करते हैं और लगातार अपनी उपस्थिति बनाए रखते हैं। जबकि चीनियों के लिए ऐसा नहीं है। यह एक तरह से उनके प्रशिक्षण का हिस्सा हो सकता है जिसे वे अंजाम दे रहे हैं। हम अपनी जगह पर बने हुए हैं और सीमा पर दुश्मनों की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.