Newsportal

Olympics खेलने वाली भारतीय तलवारबाज बनेंगी भवानी, कहा- इटली में प्रैक्टिस कर रही हूं, यहीं से सीधे जापान जाऊंगी

0 178

भवानी देवी ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली देश की पहली तलवारबाज (महिला-पुरुष) हैं। साथ ही वे देश को कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैंपियनशिप में गोल्ड दिलाने वाली भी पहली तलवारबाज हैं। इतनी उपलब्धियां हासिल करने वाली इस स्टार भारतीय तलवारबाज से फैंस और देश को टोक्यो ओलिंपिक में भी मेडल जीतने की पूरी उम्मीद है।

फिलहाल, भवानी देवी इटली में प्रैक्टिस कर रही हैं। उनका कहना है कि वे ओलिंपिक के लिए इटली से ही सीधे जापान जाएंगी। ओलिंपिक की तैयारियों और अपने अब तक के करियर को लेकर भवानी देवी ने  namastaayindia.com से बात की…

भवानी देवी टोक्यो ओलिंपिक के लिए इटली में ट्रेनिंग कर रही हैं।
  • क्या ओलिंपिक से पहले आप किसी प्रतियोगिता में भाग लेंगी? ओलिंपिक की तैयारी के लिए क्या योजना है।

कोरोना की वजह से सभी प्रतियोगिताओं को स्थगित कर दिया गया है। ऐसे में ओलिंपिक से पहले किसी भी प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाऊंगी। हालांकि मैं कोटा हासिल करने से पहले और उसके बाद से ही इटली में कोच निकोला जानोटी के पास रहकर इटली की नेशनल टीम के तलवारबाजों के साथ ट्रेनिंग कर रही हूं। निकोला ओलिंपिक में इटली के नेशनल टीम के कोच रह चुके हैं। मैं इटली में ही रहकर तैयारी करूंगी। उसके बाद यहां से डायरेक्ट जापान जाऊंगी।

  • आप पिछली बार रियो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई थीं। क्या वजह रही? इस बार टोक्यो के लिए कब से तैयारी कर रही हैं?

रियो ओलिंपिक के बाद से ही मैं देश के बाहर ट्रेनिंग कर रही हूं, क्योंकि भारत में यह खेल नया है। अभी तक किसी ने ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं किया है। ऐसे में किसी को कुछ भी नहीं पता है कि किस तरह तैयारी करना है। पिछली बार मेरे पास फाइनेंस सपोर्ट नहीं होने के कारण मैं ज्यादा दिनों तक विदेश में ट्रेनिंग नहीं कर सकी थी। इस बार स्पॉन्सर के साथ ही तमिलनाडु और साई (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) की ओर से भी पूरा सपोर्ट किया गया। जिसकी वजह से मैं ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर सकी।

  • 2018 एशियन गेम्स के लिए आप सिलेक्ट नहीं हुई थीं। रियो के लिए भी क्वालिफाई नहीं कर पाई थीं? उस दौरान आपकी मानसिक स्थिति पर क्या फर्क पड़ा?

मैं रियो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई थी, इसलिए मैं चिंतित थी। मैं डिप्रेशन में चली गई थी। वहीं 2018 में एशियन गेम्स में मेरा चयन नहीं हुआ। हालांकि उसके कुछ दिनों बाद कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप के लिए चयनित हुई थी। उस समय मेरे पैरेंट्स ने मेरा पूरा साथ दिया। मेरी मां ने मुझसे कहा कि आज आपका समय नहीं है, आने वाला कल आपका होगा। आप मेहनत करें और ट्रेनिंग जारी रखें। उन्होंने बाहर ट्रेनिंग करने के लिए आर्थिक रूप से मदद की। जिसकी वजह से एशियन गेम्स के ठीक बाद मैं ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी बनी।

  • लॉकडाउन में किस तरह से ट्रेनिंग की?

लॉकडाउन के दौरान करीब 8 महीने घर पर ही रही। पार्टनर की कमी को दूर करने के लिए मैंने घर पर एक डमी पार्टनर तैयार कर उसके साथ प्रैक्टिस की। साथ ही कोच जानोटी के साथ ऑनलाइन जुड़ी रही। उनके दिशा-निर्देश पर ही ट्रेनिंग की। सितंबर में तमिलनाडु में ट्रेनिंग की परमिशन मिलने के बाद मैंने स्टेडियम जाकर ट्रेनिंग शुरू की। इस दौरान बगैर पार्टनर के अकेले ही ट्रेनिंग की थी। पिछले साल अक्टूबर में विदेश यात्रा शुरू होने पर मैं इटली चली गई और अब यहीं पर ट्रेनिंग कर रही हूं।

  • फेंसिंग में आप कैसे आईं?

जब मैं 2004 में नए स्कूल में गई तो वहां पर सीनियर्स ने बताया कि हर गेम में एक क्लास से 6 बच्चे ही अपना नाम लिखवा सकते हैं। जब मैं अपना नाम देने गई तो सभी खेलों में 6-6 बच्चे हो चुके थे। सीनियर्स ने कहा कि फेंसिंग में बच्चे नहीं हैं। इसमें नाम लिखवा लो। यह नया गेम है। मैंने जब ट्रेनिंग शुरू की तो मुझे यह गेम काफी अच्छा लगा, उसके बाद मैंने अपना पूरा फोकस इस गेम पर लगा दिया।

  • फेंसिंग इंडिया में लोकप्रिय नहीं है, ऐसे में आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा‌?

मेरे पिताजी मंदिर में पुजारी हैं। वे मंदिरों और लोगों के घर पर जाकर पूजा करवाते हैं। मां हाउस वाइफ हैं। हम 5 भाई-बहन हैं। मैं सबसे छोटी हूं। मेरे से दो बड़ी बहन और दो बड़े भाई हैं। भारत में फेंसिंग काफी लोकप्रिय नहीं है। शुरू में स्पॉन्सर नहीं मिलते थे। यही नहीं इसके इक्विपमेंट्स बड़े महंगे होते थे। मेरे लिए शुरुआत में इन्हें खरीदना मुश्किल था, इसलिए मैंने बांस की स्टिक से प्रैक्टिस शुरू की और बाद में मैंने धीरे-धीरे अपने इक्विपमेंट खरीदे। बाहर की ट्रेनिंग पर जाने के लिए स्पॉन्सर नहीं मिले, इसलिए रियो ओलिंपिक की तैयारी के लिए पापा को उधार भी लेना पड़ा। मां को अपने गहने भी गिरवी रखने पड़े।

Leave A Reply

Your email address will not be published.