यह कहानी एक ऐसे भारतीय की है जो पैसे कमाने और अपने परिवार का गुजर-बसर करने के लिए केन्या का रुख किये। लेकिन दुर्भाग्य से केन्या में भी उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से उन्हें केन्या को भी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। एक जीवन बीमा पॉलिसी, पत्नी और छह बच्चों और जेब में महज़ 5 रुपये के साथ लंदन का रुख किया। एक ऐसे अनजान शहर में जहाँ उनका अपना कोई नहीं था।
लंदन पहुँचने के बाद इनके सामने सबसे बड़ी मुश्किल परिवार के लिए दो जून की रोटी उपलब्ध करानी थी। अंत में उन्होंने लंदन की गलियों में झाड़ू लगाने का काम शुरू कर दिया। पूरा परिवार फूटपाथ पर ही सोता और जो चंद रूपये होते उससे किसी तरह एक समय का खाना मिल पाता था। कई सालों तक इसी तरह वक़्त बीतता चला गया।
एक दिन झाड़ू लगाने के दौरान उनके दिमाग में एक आइडिया आया। उन्हें उस वक़्त बिल्कुल भी पता नहीं था कि उनका यह आइडिया आने वाले वक़्त में 40 से ज्यादा देशों में एक मशहूर ब्रांड बनकर उभरेगा। उन्होंने तो बस अपने आठ लोगों के परिवार के अच्छे जीवन-यापन के लिए अपने आइडिया पर काम करने शुरू कर दिए।
लक्ष्मीशंकर पाठक नाम के इस शख्स ने अपनी पत्नी शांता गौरी की मदद से मिठाई, समोसे, अचार और चटनी बनाने शुरू कर दिए। उन्होंने बेहद ही मामूली रकम में इन भारतीय व्यंजनों को बेचने शुरू कर दिए। उनकी प्रोफिट का दायरा इतना कम था कि एक डिलीवरी वाले लड़के को काम पर रखना मुश्किल था। अंत में उन्होंने अपने छह वर्षीय बेटे किरीट को लोगों के घर-घर डिलीवरी करने के लिए भेजने शुरू कर दिए। उनका लड़का अंग्रेजी बिल्कुल भी नहीं जानता था इसलिए उसे खाने के साथ दो कागज के टुकड़े ले जाने होते। एक पर ग्राहकों के घर का पता रहता और अन्य पर वितरण का पता।
बस चालकों और पैदल चलने वाले लोगों ने पता बताकर किरीट को काफी मदद किया करते और साथ ही छोटे बच्चों को मिले मुफ्त बस पास की मदद से भी लक्ष्मीशंकर को कम खर्चे होते। इन सभी उत्पादों के लिए रसोई घर में एक छोटा सा कमरा था, जहां मुश्किल से सामानों की आवाजाही हो पाती थी। लेकिन उनके प्रयासों ने असर दिखाने शुरू कर दिए और कारोबार धीरे-धीरे बड़ा होता चला गया। कुछ ही दिनों में इन्हें शादी-पार्टी के आर्डर मिलने शुरू हो गए, जो उनके करोबार को एक नई ऊँचाई प्रदान की।
धीरे-धीरे ज्यादा आर्डर मिलने पर उन्हें एक बड़े कमरे की शख्त आवश्यकता महसूस हुई और फिर उन्होंने एक कमरा किराये पर लिया। यह दूकान काफी कम समय में कई भारतीयों और कुछ लंदन के लोगों को भी आकर्षित करने में सफल रहे। इस सफलता के पीछे की वजह, उनका दिन-रात एक कर काम करना ही था।
प्रामाणिकता और उत्पादों की गुणवत्ता ने उन्हें इतना प्रसिद्ध कर दिया कि लगभग हर रेस्तरां उनके ब्रांड के बैनर चिपकाने शुरू कर दिए। अपने ब्रांड को एक मशहूर ब्रिटिश ब्रांड बनाने के उद्देश्य से उन्होंने ब्रांड से ‘एच’ निकाल दिया और ‘Patak’ के रूप में लोकप्रिय हो गए।
आज यह कंपनी सॉस, मिश्रित मसाले और बिभिन्न प्रकार के खाने के आइटम्स बनाते हुए ब्रिटेन के सभी प्रमुख सुपरमार्केट में उपलब्ध है। इतना ही नहीं यह दुनिया भर में 700 से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराते हुए 40 से अधिक देशों में अपने उत्पादों का निर्यात कर रहा है।