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मेमोरी की देवी निमोसाइन की इन ट्रिक्स से कुछ भी रहेगा याद, एग्जाम में भी आएंगे अच्छे मार्क्स

एग्जाम क्लियर करने को बच्चे तलाशते हैं शॉर्टकट्स। और मजेदार बात ये है कि उन्हें इंटरनेट पर ‘बिना पढे़ कैसे पास हों’, ‘नकल कैसे करें’ और तरह-तरह के गुमराह करने वाले शॉर्टकट्स मिल भी जाते हैं जो कि खतरनाक हो सकते हैं।

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दो सालों तक घर पर पढ़ाई के बाद बच्चों के ऑफलाइन एग्जाम सिर पर हैं। अब बच्चे एकदम से इतना बड़ा सिलेबस देखेंगे तो स्ट्रेस होना तो लाजिमी है। ऐसे में बच्चे तलाशते हैं शॉर्टकट्स। और मजेदार बात ये है कि उन्हें इंटरनेट पर ‘बिना पढे़ कैसे पास हों’, ‘नकल कैसे करें’ और तरह-तरह के गुमराह करने वाले शॉर्टकट्स मिल भी जाते हैं जो कि खतरनाक हो सकते हैं।

इन सबसे बच्चे बचे रहें और एग्जाम में अच्छा स्कोर कर सकें, इसके लिए गिनीज बुक रिकार्ड होल्डर और मेमोरी किंग के नाम से प्रसिद्ध कृष्ण चहल से बात की। कृष्ण चहल ने बताया कि भले ही कितना भी बड़ा सिलेबस हो, अगर बच्चे उसे कॉन्शियस होकर पढ़ेंगे तो आसानी से याद कर लेंगे।बातचीत में चहल ने निमोनिक्स (MNEMONICS) का जिक्र किया। चहल बताते हैं कि निमोनिक्स वो ट्रिक्स हैं, जिनके इस्तेमाल से कोई कुछ भी याद कर सकता है। निमोनिक्स (MNEMONICS) और अन्य ट्रिक्स के इस्तेमाल से ही चहल ने पाई के 43,000 डिजिट याद करके गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवाया है। जानते हैं उन मेमोरी ट्रिक्स को जो बना देंगी आपके बच्चे को दिमाग का खिलाड़ी।

सवाल– निमोनिक्स (MNEMONICS) क्या है?

कृष्ण चहल– निमोनिक्स एक प्राचीन तकनीक है जो चीजों को याद रखना आसान बनाती है। नोट्स, चिट्स, को-रिलेशन आदि सब कुछ एक तरीके के निमोनिक्स ही हैं। निमोनिक्स तकनीक को इसका नाम मिला है ग्रीक माइथोलॉजी में मेमोरी की देवी निमोसाइन से।

निमोनिक्स तकनीक पर1967 में अमेरिकी प्रोफेसर गेराल्ड आर मिरर की एक स्टडी सामने आई। उस स्टडी में ये बात निकलकर आई थी कि निमोनिक्स के इस्तेमाल से लोग चीजों को लंबे समय तक याद रख पाते हैं। जिन स्टूडेंट्स ने निमोनिक्स का अपनी पढ़ाई में रेगुलर इस्तेमाल किया, उनके मार्क्स 77% तक बढ़ गए।

निमोनिक्स में चीजों को याद रखने की 9 ट्रिक्स बताई गई हैं। इन्हें नीचे दी गई इस ग्राफिक से समझिए

सवाल– चीजें याद रखने के लिए निमोनिक्स कैसे हेल्प करेगा?

कृष्ण चहल- कई तरह के निमोनिक्स हैं जिनके चीजें याद करवाने के अलग-अलग तरीके हैं। मैं कुछ उदाहरण देकर आपको ये समझाने की कोशिश करता हूं।

  1. म्यूजिक निमोनिक्स– हम साथ-साथ हैं फिल्म का ABCDEFGHI गाना आपने सुना होगा। ये म्यूजिक निमोनिक्स का उदाहरण है। यानी जिस चीज को भी याद रखना चाहते हैं, उसे गाने की धुन में फिट कर दीजिए। जब हम कोई चीज पढ़ते या लिखते हैं तो दिमाग का सिर्फ एक लेफ्ट वाला हिस्सा एक्टिव रहता है, पर गाना सुनते समय दिमाग के दोनों हिस्से एक्टिव हो जाते हैं और चीजें हमें आसानी से याद हो जाती हैं। विज्ञापन कंपनियां अपने प्रोडक्टस हमें याद करवाने और फेमस करने के लिए इसी ट्रिक का इस्तेमाल करती हैं।
  2. नेम निमोनिक्स- यह तरकीब तब काम आती है जब आपको कई सारी अलग-अलग चीजें एक साथ याद रखनी होती है। ऐसे में आप उन चीजों के शुरू के अक्षरों को मिलाकर एक नया नाम बना देते हैं। MNEMONICS भी एक तरह का नेम निमोनिक्स ही है। उदाहरण के लिए आपको याद करना है कि इन्द्रधनुष में कौन-कौन से रंग होते हैं- वायलेट, इंडिगो, ब्लू, ग्रीन, येल्लो, ऑरेंज, रेड। इन सबको एक साथ याद करने के लिए इनके पहले अक्षर से VIBGYOR शब्द बनता है। बस इस शब्द को याद कर लीजिए और फिर जब भी कोई पूछे तो सात रंगों का डाटा एक शब्द में आपके पास होगा।
  3. एक्सप्रेशन निमोनिक्स– एक्सप्रेशन निमोनिक्स के लिए हमें कई सारी चीजों के पहले अक्षरों को मिलाकर एक नया वाक्य बनाना होता है। जैसे-: हली (H Li) ने(Na) की(K) रब(Rb) से(Cs) फरयाद (Fr)., बेटा(Be) मांगे(Mg) कार(Ca) स्कूटर(Sr) बाप (Ba)रोए (Ra). सोच रहे हैं कि ये क्या है? तो आपने अभी-अभी केमिस्ट्री की पीरियॉडिक टेबल के दो शुरुआती कॉलम याद कर लिए हैं।
  4. मॉडल निमोनिक्स– इसका इस्तेमाल हम सभी कर चुके हैं। इसमें काम आते हैं डायग्राम, चार्ट्स और ग्राफ। यानी जब इंफॉर्मेशन ज्यादा हो पर दिमाग में जगह कम हो, तो उसे ग्राफ में सजाकर याद कीजिए। अपने हाथों के पीछे जनवरी, फरवरी गिनना याद है? ये एक तरीके का मॉडल निमोनिक्स ही तो था।
  5. इमेज निमोनिक्स– इसके इस्तेमाल के लिए आप अपने दिमाग में कुछ ऐसी अजीब इमेज बनाते हैं जिन्हें आपका दिमाग चाहकर भी न भूल पाए। इसे माइंड मैपिंग भी कहते हैं। जैसे मानिए कि आपको सब्जियों की लिस्ट याद करनी है तो इसे कुछ ऐसे याद कीजिए। उदाहरण-
  6. यदि आपको बाजार जाकर आलू, प्याज, भिंडी, टमाटर, गाजर, मूली और बहुत सारी बाकी सब्जियां खरीदनी है, तो इन्हें कैसे याद रखेंगे आप? सबसे आसान तरीका है कि अपने दिमाग में हर एक सब्जी की अपने घर में अलग-अलग जगह रखे होने की कल्पना कीजिए और जैसे- जैसे आप घर से बाहर निकलते हैं, हर सब्जी को अपने साथ उठाते जाइए। जैसे पलंग पर बैठे हैं तो कल्पना कीजिए कि पंखे से कद्दू आकर गिरा, जिसकी वजह से आप उठकर भागे और पंखा बंद करने के लिए स्विच बोर्ड की तरफ गए तो उसमें स्विच की जगह भिंडी लटकी हुई थी। अब आपने कपड़े बदलने के लिए अलमारी खोली तो उसमें से ढेर सारे आलू बिखर गए। जूते लेने गए तो उनमें से टमाटर आपको टुकुर-टुकुर देख रहा था। इस तरह अपने दिमाग के तार चीजों से जोड़ते जाइए और सब्जी की लिस्ट आज क्या 10 साल बाद भी याद रहेगी।
  7. कनेक्शन या को-रिलेशन निमोनिक्स– कनेक्शन निमोनिक्स का मतलब है कि नई इंफॉर्मेशन को उन चीजों से जोड़ दिया जाए जो आपको पहले से पता हैं या आपका उनसे करीबी संबंध है। जैसे कोई तारीख याद रखनी है तो उसे अपने या अपने किसी करीबी के बर्थडे से जोड़ दीजिए। कोई जगह याद रखनी है तो उसे आप जहां रहते हैं वहां से उसकी दिशा और दूरी याद कर लीजिए।
  8. सवाल– क्या ब्रेन की प्रोसेसिंग स्पीड बढ़ सकती है? अगर हां, तो इसे बढ़ाने का तरीका क्या है?

    कृष्ण चहल– बिलकुल यह संभव है। जैसे मोबाइल या कंप्यूटर में रैम बढ़ाने से उनकी प्रोसेसिंग स्पीड बढ़ जाती है, वैसे ही हमारे ब्रेन की प्रोसेसिंग स्पीड भी बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए हमें अपने ब्रेन को नेचुरल तरीके से स्ट्रॉन्ग और क्रिएटिव बनाना होगा। आमतौर पर बचपन से ही हमारा ब्रेन इस तरह डेवलप होता है, लेकिन इसे किसी भी उम्र में फास्ट करना आसान है। इसके लिए कुछ चीजें की जा सकती हैं-:

    • एरोबिक एक्सरसाइज करें। नेचुरल कार्डियो से भी ब्रेन के हिप्पोकैम्पस में नए न्यूरॉन्स पैदा होते हैं, जो सीखने के लिए ब्रेन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
    • सही खानपान चुनें और ब्रेन को हेल्दी रखने वाली चीजें खाएं। जंक फूड से दूर रहें।
    • नींद पूरी लें।
    • हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहें। कुछ नया सीखने से नए कनेक्शन किसी चीज के साथ बनते हैं और हम उस काम में एक्सपर्ट हो जाते हैं।

      कुछ और बातें जो आपकी मेमोरी को बेहतर बनाएंगी

      भोपाल के खेल उपसंचालक जोस चाको को शहर के लोग मेमोरी मैन के नाम से जानते हैं। उन्हें खेलों और अन्य चीजों से जुड़े 2-3 लाख से ज्यादा आंकड़े मुंह जुबानी याद हैं। अपनी मेमोरी के पीछे जोस भी को-रिलेशन को ही बड़ा टूल बताते हैं। जोस ने बच्चों की पढ़ाई से जुड़े कुछ ऐसे जरूरी टिप्स शेयर किए जिनसे पढ़ा हुआ लंबे समय तक याद रह सके-:

      • जो आप पढ़ रहे हैं उसे इंट्रेस्ट लेकर पढ़ें। चीजों को समझने की कोशिश करें। जो चीजें हमें समझ आती हैं, वो लंबे समय तक याद रहती हैं।
      • परीक्षा में आपने कितना पढ़ा है, उससे ज्यादा आपको कितना याद है ये मायने रखता है। इसके लिए मेमोरी ट्रिक्स यूज करने के साथ-साथ रोज जो पढ़ा है वो रिवाइज भी करते रहें।
      • जब भी पढ़ने बैठें तो हमेशा खुश और सकारात्मक रहें। जब आप हैप्पी फील करते हैं तो दिमाग की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।

      अब आप समझ गए होंगे कि आपको कैसे पढ़ना है और कैसे मेमोरी ट्रिक्स अप्लाई करनी हैं, पर ये चीजें तभी काम करेंगी जब आप अपने दिमाग में से परीक्षा का डर निकाल देंगे।

      परीक्षा का डर क्यों होता है और इससे कैसे निपटें?

      भले ही आप कितने भी होशियार हों, परीक्षा का डर तो सताता ही है। इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं, जैसे कि तैयारी की कमी, भविष्य की चिंता, पेरेंट्स की उम्मीदों का बोझ, कंपीटीशन, चीजों को याद रखने में तकलीफ, या आत्मविश्वास की कमी। इससे निपटना आसान है।

      अगर आप स्टूडेंट हैं तो-:

      • दूसरों से अपनी तुलना न करें। अपना बेस्ट दें, यही आपके हाथ में है।
      • एक स्टडी प्लान के साथ चलें।
      • मेमोरी ट्रिक्स का इस्तेमाल करें।
      • नोट्स बनाते रहिए। इससे रीविजन होगा और चीजें एग्जाम में जल्दी याद आएंगी।
      • परीक्षा से पहले मॉक टेस्ट देकर एग्जाम के लिए अपने आपको तैयार करें।
      • ध्यान रखें कि परीक्षा के बिना भी जीवन था, है और रहेगा। परीक्षा को जीवन का स्टेप समझे, मंजिल नहीं।

      अगर आप पेरेंट हैं तो-:

      • ध्यान रखें कि हर बच्चा एक जैसा नहीं होता। तुलना करने से बचें।
      • आपका बच्चा जैसा भी है उसके लिए आप बराबर के जिम्मेदार हैं। इसलिए अतिरिक्त दबाव न डालें।
      • बच्चों को एहसास करवाएं कि नतीजा जो भी रहे, आप हमेशा उनके साथ हैं।
      • उन्हें बताएं कि कैसे आप भी एग्जाम से डरते थे पर बड़े होने के साथ सब सामान्य हो जाता है।

 

 

 

 

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