गुजरात के नए CM का ऐलान LIVE:पाटीदार समाज के भूपेंद्रभाई पटेल अगले मुख्यमंत्री चुने गए; पहली बार के विधायक पटेल अब तक मंत्री भी नहीं बने थे
विजय रुपाणी के इस्तीफे के 24 घंटे में गुजरात के नए मुख्यमंत्री पर फैसला हो गया है। बीजेपी ने एक बार फिर चौंकाते हुए भूपेंद्र रजनीकांत पटेल को राज्य का अगला CM चुना है। चौंकाया इसलिए, क्योंकि पहली बार विधायक बने पटेल का नाम मुख्यमंत्री की रेस में एक बार भी सामने नहीं आया था। विधायक दल की बैठक के बाद पार्टी पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर ने उनके नाम का ऐलान किया।
नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले विजय रुपाणी ने ही विधायक दल की बैठक में भूपेंद्र भाई पटेल के नाम का प्रस्ताव रखा। डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने इसका समर्थन किया। इसके बाद विधायक दल ने पटेल के नाम को मंजूरी दे दी। भूपेंद्र भाई जल्द ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, हालांकि उन्होंने शपथ ग्रहण का दिन नहीं बताया है।
पहली बार विधायक बने और पार्टी ने CM बना दिया
केवल 12वीं पास भूपेंद्र पटेल कडवा पाटीदार समाज के नेता हैं। वे राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन के करीबी माने जाते हैं। पटेल ने 2017 के विधानसभा चुनाव में अहमदाबाद जिले की घाटलोडिया सीट से रिकॉर्ड 1.17 लाख वोट से जीत दर्ज की थी। उन्हें 1.75 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को शशिकांत पटेल को 57902 वोट ही मिले थे।
आनंदीबेन के कहने पर विधायक का टिकट मिला था
गुजरात की मुख्यमंत्री रहीं आनंदीबेन पटेल ने 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। इसके बाद उनके कहने पर ही घाटलोडिया सीट से भूपेंद्र पटेल को टिकट दिया गया था। चुनाव में उन्होंने 69 लाख 55 हजार 707 रुपए की संपत्ति का हलफनामा दिया था। वे अहमदाबाद अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (AUDA) के अध्यक्ष और अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (AMC) की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन भी रहे हैं।
RSS की बैठक में लिखी गई रुपाणी के इस्तीफे की स्क्रिप्ट
सूत्रों के मुताबिक विजय रुपाणी गुजरात के लिए कभी भी स्थाई CM थे ही नहीं। उनका जाना तो तय था, बस तारीख तय नहीं थी। तारीख पर मुहर संघ प्रमुख के हाल ही में हुए गुप्त दौरे में मिले फीडबैक के बाद लगा दी गई। हालांकि उन्हें 2022 की जनवरी या फरवरी में इस्तीफा देना था, लेकिन भागवत के गुप्त दौरे ने रुपाणी के CM पद की उम्र थोड़ी कम कर दी।
भाजपा के जिन पांच मुख्यमंत्रियों को बदला गया है, उनमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का कार्यकाल सबसे छोटा रहा। उन्होंने 10 मार्च को पदभार ग्रहण किया और 2 जुलाई को इस्तीफा दे दिया। वे तीन महीने भी कुर्सी पर नहीं रह सके। तीरथ गढ़वाल से लोकसभा सांसद थे। दावा यह भी किया गया कि उत्तराखंड में एक साल बाद चुनाव होने थे। इस वजह से चुनाव आयोग किसी भी विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं करवाने वाला था। अगर तीरथ मुख्यमंत्री बने रहते तो उनके लिए विधानसभा सदस्य बन पाना मुश्किल हो सकता था। कानूनन उन्हें 10 सितंबर तक किसी भी स्थिति में विधानसभा का सदस्य होना आवश्यक था। तीरथ के बाद पुष्कर सिंह धामी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। तीरथ अब भी लोकसभा सदस्य हैं।